गुलाबों से दिन, कुमुदिनी सी रातें
दिन के साथ ही दिल भी खिलता है, मौसमों के साथ मन भी बदलता है... इन दिनों प्यार का मौसम अंगड़ाई ले रहा है.. यह 14 तारीख का नशा है या 16 फरवरी के वसंत आगमन का असर है... कह नहीं सकते पर कुछ तो है कि सब खुशनुमा लगने लगा है.. लिखने, पढ़ने, बोलने बात करने का मन करने लगा है। खूब झूम कर नाचने का, जमकर खिलखिलाने का...प्रकृति निरंतर आगे बढ़ने का संदेश गुनगुनाती है अगर हम ध्यान से सुनें और समझें...
प्यार के खूबसूरत अहसास को न मौसमों की जरूरत है न तारीखों की वह तो कब, कहां, कैसे, किस पल ,किससे हो जाए इसे आज तक कोई नहीं समझ सका है। प्यार को कुछ देर रहने भी दें तो समय के बदलने के साथ हमें भी कुछ-कुछ बदलना सीखना चाहिए... 'हम तो ऐसे ही हैं और रहेंगे' के भाव से मन, बुद्धि और शरीर तीनों जड़ हो जाते हैं.. खुश और सरल-तरल रहने के लिए थोड़ा-थोड़ा बदलना अच्छा होता है।
ज्ञान को भी कुछ देर परे रख कर देखें तो यह अहसासों का मामला है कि हम अपने ही कार्यों और अपने ही विचारों को मुड़कर देखें। क्या है जो पिछले दिनों हमने खोया, क्या है जो पाया....क्या था जो अधूरा रहा, क्या था जो पूरा हो गया.... चलो अब आगे बढ़ते हैं...
एक बुरे सपने की तरह 2020 आया और बहुत कुछ समेट कर ले गया...लेकिन सतह और किनारों पर कुछ जलते सवाल भी छोड़ गया...
ऐसा नहीं है कि 2021 में सब ठीक हो गया है अभी भी कोरोना से सांसें थम रही हैं, आंसू बह रहे हैं, चीत्कार गूंज रही है.. लेकिन हमारा बस नहीं है इन पर, कोशिशें जारी हैं।
प्रकृति के इस सबक को याद रखते हुए वसंत की आहट, सुगंध और रंगों को अनुभूत कीजिए....महसूस कीजिए कि गुलाबों से मखमली दिन हो रहे हैं, कुमुदिनी सी खिली-खिली कोमल रातें हो चली है, शीत लहर विदा ले रही है, तपन के दिन झरोखें से झांक रहे हैं...बहुत ज्यादा अच्छे दिनों के सपने देखे हैं तो कुछ तो अच्छा होगा ही...थोड़े अच्छे के ख्वाब देखे हैं तो भी बदलाव की दिशा में हथेलियां खाली नहीं रहेगी, ये बदले हुए दिन रख जाएंगे इन पर खुशियों के रंग, मन की उमंग अपने अपनों के संग... चलो वसंत के बदले दिनों में बुहार दें वह जो बुरा था... संवार दें उसे जो सामने हैं... दिन बदले हैं दिल भी बदल लीजिए....