हम भारतीयों को एक बार आत्मचिंतन अवश्य करना चाहिए। देशप्रेम का राग अलापने और महानता का ढोल पीटने के बजाय एकबारगी एक नजर अपने घर, अपने कार्यस्थल और अपने व्यवहार पर डालनी चाहिए। 
				  																	
									  
	 
	1) पहली बात हम भाषा कौन-सी बोल रहे हैं? 
	2) हमने कैसे परिधान धारण किए हैं?
	3) हमारे आचार विचार और व्यवहार में कितनी भारतीयता है?
				  
	4) हमने राष्ट्रहित में अपना क्या योगदान दिया है?
	5) क्या हम अपनी भूमिका में कहीं खरे उतरे हैं?
				  						
						
																							
									  
	और दीपावली के इस अवसर पर सबसे जरूरी सवाल 
	6) हमने दीपावली मनाने के लिए कितने देशी उत्पाद लिए? 
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	7) देशहित में क्या हमने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को जलाने से परहेज़ किया?
	 
	हमने महंगी लाइटों के प्रकाश में ऑनलाइन शॉपिंग से किसके हित में उत्सव मनाया?
				  																	
									  
	 
	वैश्वीकरण का युग है। दुनिया मोबाइल में सिमट हमारी जेब में है लेकिन हम भारतीय अपनी करनी में अपने ही देश के हितार्थ कुछ भी नहीं सोचते। हम वहां भी फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं जहां दो भारतीय आपस में सामान्य बात कर रहे होते हैं। हम विदेशी वस्तुओं के प्रदर्शन में सबसे आगे होते हैं। हम अपनी गाड़ियों और अपने घरों से विदेशी वस्तुओं का वैभव दिखलाते हैं। चाइनीज उत्पादों ने पूरे देश में अपना जाल फैला दिया है। हम आंख मूंद कर केवल अपने हित में जो सबसे सुंदर और आकर्षक है उस ओर मुड़ जाते हैं। 
				  																	
									  
	 
	जिन पर देश की जिम्मेदारी है उन्हें कुर्सी की लड़ाई से मतलब है। आरोप-प्रत्यारोप से फुर्सत नहीं है उन्हें। सबको अपना घर भरने की चिंता है। अपनी एक नहीं अगली दस पुश्तों के लिए धन संग्रह किया जा रहा है। बाजार में जबरदस्त मंदी है, क्यों? देश का पैसा कहां गया? लोग किस लिए जी रहे हैं? हम धन बटोरते, प्रगति करते मेट्रो में सवार हैं। पानी दूषित और दुर्लभ हो रहा है, वायु प्रदूषित है, ध्वनि प्रदूषण का दौर है। सांस लेना दूभर हो रहा है। 
				  																	
									  
	            
	पर्यावरण हित के लिए NGO काम करते हैं। सरकार के पास कोई दृष्टि, कोई सोच नहीं है। जरूरत भी तो नहीं है शायद? लोगों को ए.सी. चाहिए। बोतलबंद पानी तो है ही। विदेश यात्रा की सुविधा है। जब देश प्रदूषित हो कुछ दिन बाहर की सैर कर लें। ताजा हवा की देश में किसे दरकार है? अपनी सुविधा को जीने वाला हर एक भारतीय देश हित में क्या कर रहा है? एक बार अवश्य विचार करें।
				  																	
									  
	 
	हम हमारी करनी से, भाषा, व्यवहार और जीवन से कहीं भी देश के लिए नहीं सोचते, नहीं करते तो एकबारगी अवश्य चिंतन करें...।
				  																	
									  
	 
	इस दीपावली छोटी दुकानों से, दीपक अवश्य खरीदें...। अपने हाथों से तेल डालें, बाती डालें और उजास फैलाएं। ....अपनी तिजोरियों में कैद लक्ष्मी को मुक्त करें उनके लिए जिनके पसीने की कीमत आपने पूरी नहीं चुकाई।