शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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दीपावली पर कविता : माटी के नन्हे दीप का तेज नापते चलें

दीपावली पर कविता : माटी के नन्हे दीप का तेज नापते चलें - Diwali Poem
सूर्य का तेज
सूर्य की रोशनी 
सूर्य का वजूद 
दुनिया जानती है।
 
चांद की चांदनी 
चांद की शीतलता 
चांद का अमृत 
दुनिया पहचानती है।
 
तारों की शान 
अनोखी आन बान 
रात की रुपहली आभा
दुनिया मानती है। 
 
इस नन्हे माटी के दीप के तेज को 
आइए नापने चलें 
दीपों की श्रृंखला के 
झिलमिलाते बिंब को
आइए भांपने चलें।
 
अब के बरस 
माटी के दीप की तरह 
क्यों न हम भी 
अपने अपने तेज की आंच को 
जांचने चलें...।