दीपावली पर कविता : माटी के नन्हे दीप का तेज नापते चलें
सूर्य का तेज
सूर्य की रोशनी
सूर्य का वजूद
दुनिया जानती है।
चांद की चांदनी
चांद की शीतलता
चांद का अमृत
दुनिया पहचानती है।
तारों की शान
अनोखी आन बान
रात की रुपहली आभा
दुनिया मानती है।
इस नन्हे माटी के दीप के तेज को
आइए नापने चलें
दीपों की श्रृंखला के
झिलमिलाते बिंब को
आइए भांपने चलें।
अब के बरस
माटी के दीप की तरह
क्यों न हम भी
अपने अपने तेज की आंच को
जांचने चलें...।