शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. 21 days lock down

21 days : लॉकडाउन में अपनों के लिए मिला सुनहरा वक्त

21 days : लॉकडाउन में अपनों के लिए मिला सुनहरा वक्त - 21 days lock down
जबसे करोना कहर से लॉकडाउन हुआ है,तबसे कुछ बातें बहुत सोचने पर मजबूर कर रही हैं...। एक तो सोशल मीडिया पर पत्नियों का मखौल...मसलन.. 21 दिन तक 24 घंटे पत्नी के साथ रहना तुम क्या जानो ...बाबू...! आदि..आदि.... ऐसे कई मैसेज बार बार मोबाइल स्क्रीन पर आ रहे हैं..। दूसरे बोरियत दूर करने के लिए लोग अपने शौक पूरे कर रहे हैं...। 
 
मुझे अचरज है..तो मतलब इतने समय तक आप अपनी ज़िंदगी जी ही नहीं रहे थे...!
 
अब मैं आम गृहिणी (वर्किंग वूमन भी गृहिणी तो है ही) की बात करूं तो वो घर परिवार के सारे दायित्व निभाते हुए भी अपने शौक पूरे करती है..। वो रोज़ सुबह चिड़ियों की चहचहाहट सुनती है...खिले फूलों को देख प्रसन्न होती है...धूप में कुछ सुखाते हुए धूप का आनंद भी लेती है..मनपसंद गीत गुनगुनाते हुए नहा लेती है....नाश्ता बनाते हुए अपने मनपसंद आर.जे.नवनीत.. विनी ..आदि को सुन लेती है...और भोजन बनाना व प्रेम से खिलाना तो उसका प्रिय शगल है ही....और दोपहर के वक्त मे अपने शौक का कोई आर्ट...मांडना... लेखन...केसिओ...पुस्तकें पढ़ना...आदि के लिए भी वक्त निकाल लेती है..।
 
 
अब बात पुनः लॉकडाउन की...मुझे लगता है ये वो दिन हैं जब आप अपने जीवनसाथी के साथ बहुत खूबसूरत समय बिता सकते हैं..। अपने लिए तो हम हमेशा समय चुरा लेते हैं.... अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ भी हमारा समय व्यतीत होता है..। लेकिन साथी के साथ ये पल दुबारा नही मिलेंगे..( और प्रार्थना है कि ऐसे वायरस के कारण तो ना ही मिले)
 
 तो क्यों बोरियत या टाइमपास का रोना रोएं..?
 
अब जबकि दोनों को ही,या एक को भी दफ्तर या बिजनेस का कोई तनाव नहीं तो क्वॉलिटी टाइम बिताने का ये खुबसूरत मौका हाथ से न जाने दें..(और क्वांटिटी तो बोनस है ही) ताश, ऊनो,डॉबल,अष्ट-चंग-पे खेलने से लेकर गप्पे लड़ाना...और कुछ नहीं तो बेसिर पैर की साऊथ की अल्लू अर्जुन, विजय,सूर्या,महेश बाबू की फिल्में देखना भी इसमे शामिल हो सकता है..।
 
 
स्त्री हर मोर्चे पर आपके साथ डटी रहती है..। परिस्थितियों के अनुसार मितव्ययिता से भी काम लेती है...जो वो इन दिनों ले रही है...।कम में भी बेहतर दे सकती है...।
 
ये स्त्री ही है जो हर रूप में सबका साथ निभाती है..ज़रूरत पड़े तो परिचारिका का भी..।
 तो चुटकुलों के लिए कोई और विषय चुनें तो बेहतर...। 
 
सेंस ऑफ ह्यूमर स्त्रियों में भी होता है..वे बाकी विषय भी समझ लेंगी...।
 
सो....इन दिनों हम ये चिंतन अवश्य करें कि हमने अब तक की बीती हुई अपनी मशीनी लाइफ में क्या-क्या खोया..?और कम से कम अब लॉकडाउन से बाहर आने के बाद भी हम उसे इसी तरह जीते रहें, जैसे लॉकडाउन मे जी रहे थे..।ये इतना मुश्किल भी नहीं होगा..।
 
हम ये रोना न रोएं कि ये दिन कब बीतेंगे... बल्कि ये सोचें कि ये दिन वापस न आएंगे, तो इन्हें भरपूर जी लें...
ये भी पढ़ें
21 days : लॉकडाउन के बाद आएंगे ये बदलाव, 21 काम की बातें