• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. विधानसभा चुनाव 2018
  3. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018
  4. Surendra Patwa mp elections
Written By
Last Modified: शनिवार, 10 नवंबर 2018 (13:45 IST)

पटवा का कार शोरूम पर खुद की कार नहीं, पचौरी के पास सबसे ज्यादा सोना

पटवा का कार शोरूम पर खुद की कार नहीं, पचौरी के पास सबसे ज्यादा सोना - Surendra Patwa mp elections
रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन जिले की बहुचर्चित भोजपुर और सिलवानी विधानसभा सीटों से नामांकन दाखिल करने वाले दो मंत्रियों सुरेंद्र पटवा, रामपालसिंह राजपूत और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी द्वारा दाखिल किए नामांकन पत्रों में कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं।
 
प्रत्याशियों द्वारा शपथ पत्र में दी गई जानकारी के अनुसार मंत्री पटवा का कार का शोरूम है, लेकिन उनके नाम एक भी कार नहीं है। पटवा 38 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ सर्वाधिक धनी प्रत्याशी हैं, लेकिन उन पर 33 करोड़ 84 लाख रुपए का कर्ज है। उनके नाम एक दुपहिया वाहन है। पटवा और उनकी पत्नी के पास 118 तोला सोना है। उनके पास एक भी शस्त्र नहीं है।
 
दूसरी ओर पटवा का मुकाबला कर रहे भोजपुर से कांग्रेस प्रत्याशी पचोरी के पास एक निजी कंपनी द्वारा गुड़गांव में बनाया गया फ्लैट है। पचोरी और उनकी पत्नी के पास जिले के प्रत्याशियों में सर्वाधिक 207 तोला सोना और 16 किलो चांदी है। पचोरी के पास एक रिवॉल्वर और एक बंदूक भी है। उनके पास कोई वाहन नहीं है। पचोरी कम से कम आधा दर्जन गांवों में करीब 21 एकड़ जमीन के मालिक हैं।
 
प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री और सिलवानी से भाजपा प्रत्याशी राजपूत और उनके पत्नी के पास 81 तोला सोना और नौ किलो चांदी है। दोनों के नाम चार हथियार हैं। उनके पास उदयपुरा, बेगमगंज के अलावा भोपाल की एक प्रसिद्ध टाउनशिप में 1600 वर्गफुट में बना हुआ मकान है। उनके पास एक पजेरो वाहन और 32 एकड़ जमीन भी है। 
 
जिले की चार विधानसभाओं के लिए 73 नामांकन पत्र जमा कराए गए हैं। इनमें से सर्वाधिक 23-23 सिलवानी और भोजपुर विधानसभा की सीट के लिए जमा कराए गए हैं। सांची के लिए 14 और उदयपुरा के लिए 13 नामांकन पत्र शुक्रवार तक जमा हुए हैं। सभी पार्टियों सहित निर्दलीय उम्मीदवार मिलाकर 73 प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि जमा कराए गए नामांकनों की जांच और नाम वापसी के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
राजनीतिक दलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है 'नोटा'