मध्यप्रदेश : 'अपनों' ने बढ़ाई शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें, बागी होकर मैदान में उतरे
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की नामांकन के आखिरी दिन भाजपा में टिकट न मिलने से नेताओं की बगावत खुलकर सामने आ गई। पूरे प्रदेश में करीब 50 बागी नेताओं ने अलग-अलग विधानसभा सीटों पर अपना नामांकन दाखिल किया।
सबसे आश्चर्यजनक बात ये रही कि निर्दलीय या भाजपा छोड़ दूसरी पार्टी से नामांकन करने वालों में ऐसे बड़े नेता भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कैबिनेट सहयोगी को रूप में काम किया और पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में उतरने वाले ये नेता कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास माने जाते थे।
रामकृष्ण कुसमारिया : भाजपा से बागी होगा आखिरी दिन दमोह और पथरिया सीट से नामांकन भरने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया का क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है। पांच बार के सांसद और दो बार विधायक रहे कुर्मी समाज के बड़े नेता कुसमारिया शिवराज कैबिनेट में कृषि मंत्री भी रहे। वर्तमान में कुसमारिया बुंदेलखंड विकास प्रधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। कुसमारिया को दमोह सीट से नामांकन भरने से इस सीट से भाजपा प्रत्याशी वित्त मंत्री जयंत मलैया की मुश्किल बढ़ गई है।
राघवजी : शिवराज कैबिनेट में कभी वित्त मंत्रालय जैसा भारी-भरकम विभाग संभालने वाले पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने विदिशा की शमशाबाद सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है, वहीं सापक्स पार्टी ने राघवजी को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है।
राघवजी को निर्दलीय प्रत्याशी को तौर पर नामांकन भरने से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के घर में पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शमशाबाद सीट पर मौजूदा विधायक और मंत्री रहे सूर्यप्रकाश मीणा ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। इसके बाद भाजपा ने इस सीट से राजश्री सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।
सरताज सिंह : शिवराज कैबिनेट में लंबे समय तक मंत्री रहे भाजपा के दिग्गज नेता सरताज सिंह भी अब बागी होकर कांग्रेस के टिकट पर होशंगाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। सरताज सिंह के चुनाव लड़ने से होशंगाबाद से ही चुनाव लड़ रहे विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा की मुश्किलें बढ़ गई है, वहीं सरताज सिंह के कांग्रेस में जाने से सिवनी-मालवा सहित आसपास की कई सीटों पर सियासी समीकरण बदल गए हैं।
केएल अग्रवाल : शिवराज कैबिनेट में मंत्री रहे केएल अग्रवाल टिकट न मिलने पर गुना के बमौरी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। केएल अग्रवाल को मुख्यमंत्री शिवराज के करीबी नेताओं में माना जाता था। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केएल अग्रवाल को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन वे नहीं माने।
समीक्षा गुप्ता : नामांकन के आखिरी दिन ग्वालियर भाजपा में बड़ी बगावत देखने को मिली। शहर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। समीक्षा गुप्ता ग्वालियर दक्षिण से भाजपा से टिकट की मांग कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने इस सीट से नारायण सिंह कुशवाह को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद समीक्षा गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा।