मातृ दिवस कविता : उसका ही अंश हूं मैं
उसकी ही पहचान हूं
वो जिसने मुझे नकारा नहीं
वो जिसने मुझे अपनाया है
वो औरत है एक मां
मेरी मां!
वो कहती है जिंदगी हूं मैं उसकी
अभिमान हूं मैं उसका
वो औरत कोई और नहीं
वो है एक मां
मेरी मां!
वो ठंडी छांव है इस कड़ी धूप में
वो है तो मैं हूं इस दुनिया में
वो है तो अस्तित्व मेरा
वो है कोई और नहीं
मेरी मां!
जिसकी बदौलत मैं हूं
आज यहां!