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Last Updated :मुंबई , बुधवार, 18 जून 2025 (15:50 IST)

Maharashtra: राज ठाकरे ने हिन्दी भाषा को लेकर सरकार पर साधा निशाना, जानें क्या कहा

ठाकरे ने कहा कि गुजरात में 3 भाषाओं का कोई फॉर्मूला नहीं है और स्कूलों में हिन्दी अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हिन्दी कुछ उत्तरी राज्यों की राजभाषा है और इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है।

Raj Thackeray
Raj Thackeray's statement on Hindi language : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS)) के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने राज्य के स्कूलों में हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने पर बुधवार को सवाल किया कि छात्रों पर हिन्दी थोपने की क्या जरूरत थी? उन्होंने महाराष्ट्र (Maharashtra) के स्कूलों से सरकार के जानबूझकर भाषायी विभाजन पैदा करने के छिपे हुए एजेंडे को विफल करने की अपील की। ठाकरे ने कहा कि हिन्दी कुछ उत्तरी राज्यों की राजभाषा है और इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है, जहां मराठी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।ALSO READ: RSS नेता भैयाजी जोशी के बयान के बाद मुंबई में भड़का मराठी विवाद, BJP आई बचाव में
 
राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी करके कहा था कि राज्य में 1ली से 5वीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को हिन्दी सामान्य रूप से तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाएगी। ठाकरे ने यहां एक सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार स्कूलों पर दबाव डालती है तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी रहेगी। उन्होंने अंग्रेजी और मराठी का पिछला दो-भाषा फॉर्मूला जारी रखने की मांग की।
 
ठाकरे ने कहा कि परिणामों के लिए सरकार जिम्मेदार होगी : ठाकरे ने कहा कि परिणामों के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। यदि वह सोचती है कि यह हमारी ओर से चुनौती है तो ऐसा ही समझ लिया जाए। ठाकरे की पार्टी बैंकों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के उपयोग पर जोर देती रही है। ठाकरे ने सवाल किया कि हिन्दी के विकल्प की आवश्यकता क्यों है? स्कूल में उच्च कक्षाओं से ही हिन्दी हमेशा एक वैकल्पिक भाषा रही है। जो लोग इस भाषा को सीखना चाहते हैं, वे हमेशा ऐसा करते हैं। इसे छोटे बच्चों पर क्यों थोपा जाए?ALSO READ: मराठी नहीं बोलने पर MNS कार्यकर्ताओं ने बैंक में किया हंगामा, मैनेजर को धमकाया
 
मनसे नेता ने कहा कि मैं इसके पीछे की राजनीति को नहीं समझ पा रहा हूं। उन्होंने सवाल किया कि क्या महाराष्ट्र की आईएएस लॉबी ऐसा कर रही है ताकि उन्हें मराठी जानने की जरूरत ही न पड़े। ठाकरे ने कहा कि उन्हें संदेह था कि सरकार यू-टर्न ले सकती है, क्योंकि हिन्दी को अनिवार्य नहीं करने का निर्णय लेने के बाद उसने पहले कोई जीआर जारी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि हिन्दी पाठ्यपुस्तकों की छपाई जारी है।ALSO READ: महाराष्ट्र के स्कूलों में हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाया, हो रहा विरोध
 
ठाकरे ने कहा कि स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्यों के अलावा वह सरकार को भी नया आदेश वापस लेने के लिए पत्र लिखेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंग्रेजी और मराठी का पिछला दो-भाषा फॉर्मूला जारी रहना चाहिए। ठाकरे ने कहा कि मैं स्कूलों, अभिभावकों और सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे स्वार्थी राजनीतिक हितों के लिए जानबूझकर भाषायी विभाजन पैदा करने के सरकार के छिपे हुए एजेंडे को विफल करें। उन्होंने दावा किया कि निकट भविष्य में मराठी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।ALSO READ: उद्धव ठाकरे ने चेताया, महाराष्ट्र में हिन्दी को नहीं बनाने देंगे अनिवार्य
 
उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को, चाहे वे मराठी भाषी हों या नहीं, सरकार के इस फैसले का विरोध करना चाहिए। ठाकरे ने कहा कि गुजरात में 3 भाषाओं का कोई फॉर्मूला नहीं है और स्कूलों में हिन्दी अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हिन्दी कुछ उत्तरी राज्यों की राजभाषा है और इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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