रविवार, 29 दिसंबर 2024
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100 कौरवों की 10 रोचक बातें जानकर आप चौक जाएंगे

Story Of Kauravas | 100 कौरवों की 10 रोचक बातें जानकर आप चौक जाएंगे
महाभारत ग्रंथ विचित्र और रोचक बातों से भरा है। बहुत कम लोग ही इस ग्रंथ की रोचक बातों को जानते हैं। कौरव और पांडवों की गाथा के अलावा भी महाभारत में बहुत कुछ है। आओ यहां जानते हैं 100 कौरवों की 10 रोचक बातें।
 
 
1. महाभारत की सबसे बड़ी बात यह कि कौरव कुरु के वंश के नहीं थे। भीष्म पितामह को ही अंतिम कौरव माना जाता था। दूसरा यह कि युयुत्सु को भी अंतिम कौरव माना जाता है। इसके अलावा कहते हैं कि महाभारत के बाद कुरुवंश का अंतिम राजा निचक्षु था। पुराणों के अनुसार हस्तिनापुर नरेश निचक्षु ने, जो परीक्षित का वंशज (युधिष्ठिर से 7वीं पीढ़ी में) था, हस्तिनापुर के गंगा द्वारा बहा दिए जाने पर अपनी राजधानी वत्स देश की कौशांबी नगरी को बनाया। इसी वंश की 26वीं पीढ़ी में बुद्ध के समय में कौशांबी का राजा उदयन था। निचक्षु और कुरुओं के कुरुक्षेत्र से निकलने का उल्लेख शांख्यान श्रौतसूत्र में भी है। परंतु यह कौरव नहीं हो सकता क्योंकि यह तो पांडवों के कुल में जन्मा था और पांडव तो कौरव थे ही नहीं।

 
2. दुर्योधन सहित सभी कौरव धृतराष्ट्र के पुत्र नहीं थे। दरअसल माना जाता है कि धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी को महर्षि वेदव्यास ने सौ पुत्रों की माता होने का वरदान दिया था। समय आने पर गांधारी को गर्भ ठहरा लेकिन वह दो वर्ष तक पेट में रुका रहा। घबराकर गांधारी ने गर्भ गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के गोले के समान एक मांस पिंड निकला। तब महर्षि वेदव्यास वहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि तुम सौ कुण्ड बनवाकर उन्हें घी से भर दो और उनकी रक्षा के लिए प्रबंध करो। इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने गांधारी को उस मांस पिण्ड पर ठंडा जल छिड़कने के लिए कहा। जल छिड़कते ही उस मांस पिण्ड के 101 टुकड़े हो गए। गांधारी ने उन सभी मांस पिंडों को घी से भरे कुंडों में रख दिया। दो वर्ष बाद समय आने पर उन कुण्डों से पहले दुर्योधन का जन्म हुआ और उसके बाद अन्य गांधारी पुत्रों का। 

 
3. 99 पुत्रों के अलावा गांधारी की एक पुत्री भी थी जिसका नाम दुश्शला था, इसका विवाह सिंधु नरेश राजा जयद्रथ के साथ हुआ था। युयुत्सु को मिलाकर 100 कौरव होते हैं। गांधारी के तो 99 ही पुत्र थे और एक पुत्री।

 
4. कहते हैं कि जन्म लेते ही दुर्योधन गधे की तरह रेंकने लगा। उसका शब्द सुनकर गधे, गीदड़, गिद्ध और कौए भी चिल्लाने लगे, आंधी चलने लगी, कई स्थानों पर आग लग गई। यह देखकर विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से कहा कि आपका यह पुत्र निश्चित ही कुल का नाश करने वाला होगा अत: आप इस पुत्र का त्याग कर दीजिए लेकिन पुत्र स्नेह के कारण धृतराष्ट्र ऐसा नहीं कर पाए। 

 
5. कौरवों के अतिरिक्त धृतराष्ट्र का एक पुत्र और था, उसका नाम युयुत्सु था। यही धृतराष्ट्र का एकमात्र पुत्र था। जिस समय गांधारी गर्भवती थी और धृतराष्ट्र की सेवा करने में असमर्थ थी। उन दिनों एक वैश्य कन्या ने धृतराष्ट्र की सेवा की, उसके गर्भ से उसी साल युयुत्सु नामक पुत्र हुआ था। युयुत्सु पांडवों के खेमे में चले गए थे।

 
6. 100 कौरवों की कई पत्नियां थीं। जिससे कई पुत्रों का जन्म हुआ। सभी के पति और पुत्र मारे गए थे।

 
7. सौ कौरवों के नाम ये हैं- 1. दुर्योधन, 2. दुःशासन, 3. दुःसह, 4. दुःशल, 5. जलसंघ, 6. सम, 7. सह, 8. विंद, 9. अनुविंद, 10. दुर्धर्ष, 11. सुबाहु, 12. दुषप्रधर्षण 13. दुर्मर्षण 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण 16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान 19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र 22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन 25. दुर्मद 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु 28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ 31. नन्द 32. उपनन्द 33. चित्रबाण 34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन 37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल 41. भीमवेग 42. भीमबल 43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध 46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर 49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी 52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र 55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक 61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी 64. दुष्पराजय 65. अपराजित 66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष 68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त 71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु 74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी 77. कवचि 78. क्रथन 79. कुण्डी 80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु 83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा 86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य 88. कुण्डभेदी 89. विरवि 90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम 92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा 94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु 96. सुजात 97. कनकध्वज 98. कुण्डाशी 99. विरज 100. युयुत्सु।

 
8. माना जाता है कि महाभारत युद्ध में एकमात्र जीवित बचा कौरव युयुत्सु था। यह धृतराष्ट्र का पुत्र था। 

 
9. पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानंदन पुरुरवा का जन्म हुआ। पुरुरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए। ययाति से पुरू हुए। पुरू के वंश में भरत और भरत के कुल में राजा कुरू हुए। कुरू के वंश में शांतनु का जन्म हुआ। कुरू से वंशजों को कौरव कहा जाता है। महाराजा शांतनु की पत्नी का नाम था गंगा। दूसरी का नाम सत्यवती था। शांतनु को सत्यवती से दो पुत्र मिले चित्रांगद और विचित्रवीर्य। चित्रांगद युद्ध में मारा गया जबकि विचित्रवीर्य का विवाह भीष्म ने काशीराज की पुत्री अंबिका और अंबालिका से कर दिया। लेकिन विचित्रवीर्य को कोई संतान नहीं हो रही थी तब चिंतित सत्यवती ने कुंवारी अवस्था में पराशर मुनि से उत्पन्न अपने पुत्र वेद व्यास को बुलाया और उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी कि अंबिका और अंबालिका को कोई पुत्र मिले। अंबिका से धृतराष्ट्र और अंबालिका से पांडु का जन्म हुआ जबकि एक दासी से विदुर का। इस तरह देखा जाए तो पराशर मुनि का वंश चला। पांडु की पत्नी कुंती के पुत्र युधिष्ठिर के जन्म का समाचार मिलने के बाद धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी के मन में भी पुत्रवती होने की इच्छा जाग्रत हुई, लेकिन धृतराष्ट्र के लाख प्रयासों के बावजूद कोई पुत्र जन्म नहीं ले पा रहा था तब एक बार फिर से वेद व्यास को बुलाया गया और वेद व्यास की कृपा से गांधारी ने गर्भ धारण किया।

 
10.कहते हैं कि दुर्योधन कलियुग का अंश था तो उसके 100 भाई पुलस्त्य वंश के राक्षस के अंश से थे। वायु पुराण (70.51.65) में राक्षसों को पुलह, पुलस्त्य, कश्यप एवं अगस्त्य ऋषि की संतान माना गया है।