एडम स्मिथ : अमेरिका और यूरोप कर्ज़दार हैं। टेलिफोनिक बातचीत
बुकर पुरस्कार : अरविंद अडिगा
विजय शर्मा : व्हाइट टाइगर, काली दुनिया
दुर्लभ पृष्ठ नागार्जुन : एक कविता
स्मरण : वेणुगोपाल नरेंद्र मोहन : दु:स्वप्न को सपने में ढालने की कोशिश
गुलज़ार : मेरा कुछ सामान... गुलज़ार : पीपल, इमली, आम, अमलतास, खु़मानी अखरोट, सब्ज़ लम्हे गुलज़ार : मैं कुछ कहता नहीं ख़ुद से कन्हैयालाल नंदन : अहसास के गमलों में उगे हुए सपने
कहानी निर्मल वर्मा : दूसरी दुनिया कैलाश बनवासी : उनकी दुनिया शर्मिला बोहरा जालान : ईमेल राजेंद्र लहरिया : सवाल आर.के.पालीवाल : ताक झाँक श्रीप्रकाश मिश्र : प्रेत-पुतले
कला सौंदर्य यशदेव शल्य : कला का सत्य
लोक इंदुप्रकाश पांडेय : लोकवार्ता : प्रसंग और प्रयोजन
यात्रा ममता कालिया : काजू, कैसिनो और फ़ैनी का प्रदेश : गोआ
शख्सियत प्रयाग शुक्ल : याद आते हैं पक्षियों की दुनिया वाले सालिम अली
कविता हरीशचंद्र पांडेय : किसान और आत्महत्या, भाई-बहन, गोधूलि श्रीप्रकाश शुक्ल : पाथेय, रेत में कलाकार, रेत में सुबह, रेत में दोपहर, रेत में शाम, रेत में लखटकिया एकांत श्रीवास्तव : नासपाती, अंगूर, अनार, तरबूज़, लीची जितेंद्र श्रीवास्तव : एक घर था, जैसे दो हाथ, बहाव
कहानी जो याद आती है विजयमोहन सिंह : 'दूसरी दुनिया' : एक मार्मिक मानवीय कहानी
गुलज़ार : मेरा कुछ सामान...
गुलज़ार : पीपल, इमली, आम, अमलतास, खु़मानी अखरोट, सब्ज़ लम्हे
गुलज़ार : मैं कुछ कहता नहीं ख़ुद से
कन्हैयालाल नंदन : अहसास के गमलों में उगे हुए सपने ...
अतिथि भूमि केशरीनाथ त्रिपाठी : तीन कविताएँ विश्वनाथ : नहीं देख पाया, चिंतन, महाभारत प्रसंग, चीरहरण
पहली परंपरा की खोज भगवान सिंह : कच्चा चिट्ठा
प्रत्यंचा ज्ञान चतुर्वेदी : कब तक यह फैंटेसी?
ज़रूरी किताब राहुल सिंह : सार्त्र : असंभव विकल्पों की तलाश (विजयमोहन सिंह)
पढ़ते-लिखते सुशील सिद्धार्थ : ये असंख्य लोग
संपूर्ण उपन्यास संजय कुंदन : टूटने के बाद
मार्फ़त नया ज्ञानोदय एस.आर.हरनोट : स्नोवा बार्नो : आवाज़ दे कहाँ है?
संपादक : रवींद्र कालिया मूल्य : 25 रुपए प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ 18, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, पोस्ट बॉक्स नं. 3113 नई दिल्ली - 110003 फोन - 2462 6467, 2465 4197