नया ज्ञानोदय
(अप्रैल 2008)
संपादक रवींद्र कालिया कार्यालय 18,
इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, पो. बॉ. नं. 3113, नई दिल्ली- 110003 फोन : 2462 6467, 2465 6201 वेबसाइट : www.jnanpith.net तरतीब नवगीत8
नईम : कौन नहीं, व्यर्थ के उत्पात, उबे उबे से, चाँदी-सी रातें 9
सुधांशु उपाध्याय : दो हंसों के जोड़े वाली, उम्र के फूल, भला लगे या बुरा लगे 10 रविशंकर पाण्डेय : हार रहे अपनों से, तलवारें थामे काठ कीअनुशीलन 11 अब्दुल बिस्मिल्लाह : ‘ग़ज़ल’ को ‘ग़ज़ल क्यों कहें शोध 27
इमरै बंघा : अति सूधो सनेह को मारग है कहानी 52 मधु कांकरिया : पोलिथिन में पृथ्वी 58 ओमा शर्मा : ग्लोबलाइजेशन 60 हरि भटनागर : दूसरा 63 बसंत त्रिपाठी : अतीत के प्रेत 80 चंद्रकिशोर जायसवाल : मैट्रिमोनियल तस्वीर 86
नरेंद्र प्रताप सिंह : आपका मुन्ना 93
जयशंकर : कोई उजली शुरुआत मील का पत्थर : सूर्यबाला 32
सूर्यबाला : वेणु का नया घर (नई कहानी) 36 सरोज चन्दोला : सूर्यबाला : जिनमें यमुना के तमाम गुण हैं (संस्मरण) 39
सूर्यबाला : अनाम लम्हों के नाम (चर्चित कहानी) कविता 46 प्रयाग शुक्ल : एक्सप्रेस वे, यहीं कहीं, रात घिर आती है, प्रेम की आँखें, अँधेरे में दृश्य 47
पवन करण : लड़ाई 50
सुंदर चंद ठाकुर : एक बेरोज़गार की कविताएँ 51
अनिरुद्ध उमट : बावजूद, अजीर्णविमर्श 18
परितोष बैनर्जी : साहित्य की स्वायत्तता22
सुमन राजे : राष्ट्रीय आंदोलन और महिला-लेखन ग़ज़ल 13
ओम प्रभाकर : तीन ग़ज़लें 17 राजेश रेड्डी : चार ग़ज़लें देशकाल 70 मनीषा कुलश्रेष्ठ 72
प्रांजल धर : कैसा होगा मीडिया और कैसी होगी भाषा (मीडिया)75
शशांक दुबे : दुश्मन दुश्मन जो दोस्तों से प्यारा है (मैटिनी शो) पहली परंपरा की खोज96
भगवान सिंह : युगों की बातप्रसंग 102 अजय तिवारी : दलित : अभिव्यक्ति और अंतर्विरोधज़रूरी किताब 104
राहुल सिंह : आलोचना की सामाजिकता (आलोचना की सामाजिकता : मैनेजर पाण्डेय) 109 :
सुशील सिद्धार्थ : अब एक अलग तरह की धूप है जीवन में (वाजश्रवा के बहाने : कुँवर नारायण) मेल-ईमेल 111 कांतिकुमार जैन एवं अन्य पत्र 118
ज्ञान चतुर्वेदी : एक सड़कछाप प्रेमकथा अनन्तिम 119
विजयमोहन सिंह : कालजयी कृतियाँ और समकालीनतामूल्य : 250 रु. वार्षिक/ एक अंक 25 रुपए