रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. They are giving security to goons and not witnesses, Supreme Court reprimands MP Police
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 19 जनवरी 2024 (22:52 IST)

गवाह नहीं गुंडों को दे रहे हैं सुरक्षा, MP Police को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

कहा- दिवंगत कांग्रेस नेता के बेटे की सुरक्षा हटाने पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

MP Police
  • शीर्ष अदालत ने दी मप्र पुलिस को चेतावनी
  • कहा- सोमेश चौरसिया को उपलब्ध करवाएं सुरक्षा
  • कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया की हुई थी हत्या
Supreme Court rebuke to Madhya Pradesh Police: उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के एक दिवंगत नेता के बेटे की सुरक्षा हटाने के लिए शुक्रवार को मध्य प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह अभियोजन के गवाह के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।
 
अदालत ने कहा कि आप लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आप अभियोजन के एक गवाह को सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहे, लेकिन गुंडों को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
 
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्नाथन की पीठ ने राज्य के दमोह जिले के पुलिस अधीक्षक को 24 घंटे के अंदर कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया के बेटे सोमेश चौरसिया को सुरक्षा मुहैया करने का निर्देश दिया। चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद 2019 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
 
पीठ ने पुलिस अधीक्षक को चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के अंदर सोमेश और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा नहीं प्रदान की गई, तो अवमानना कार्रवाई की जाएगी। हत्या के मामले में अभियोजन का गवाह होने के चलते चौरसिया परिवार को धमकियां मिल रही हैं।
 
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने यह दलील दी कि पुलिस ने खतरे की समीक्षा करने के बाद सुरक्षा घटा दी है, जिसके बाद अदालत ने फटकार लगाई।
 
पीठ ने कहा कि आप, लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आप अभियोजन पक्ष के गवाह को सुरक्षा प्रदान नहीं कर रहे हैं, लेकिन 'गुंडों' को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। यदि 24 घंटे के भीतर याचिकाकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती है, तो अपने एसपी (पुलिस अधीक्षक) और डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) को सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित होने के लिए कहें।
 
एसपी को कहा अहंकारी : अदालत ने यह भी कहा कि दमोह जिले के पुलिस अधीक्षक एक ‘अहंकारी अधिकारी’ जान पड़ते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि चौरसिया को वर्तमान में किसी तरह की सुरक्षा नहीं मिल रही है और अदालत के निर्देश पर पहले जो सुरक्षा प्रदान की गई थी, उसे हटा दिया गया है।
 
ठाकुर ने कहा कि उन्हें (सोमेश) 2019 से लगातार अपनी जान को खतरे का सामना करना पड़ रहा है। पीठ, न्यायिक आदेशों के बावजूद याचिकाकर्ता के परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं करने को लेकर अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala