गरीब मरीज अस्पताल में डॉक्टर को अपना भगवान मानकर इलाज के लिए जाते हैं, लेकिन उन्हें इलाज के बदले मिलता है धोखा और अन्याय। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में इन दिनों यही हो रहा है। हाल ही में जो मामला सामने आया है वो हैरान करने वाला है।
एक मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आया, लेकिन कमिशन के लालच में मरीज को डॉक्टरों ने निजी अस्पताल भेज दिया। मरीज ने खुद इसकी शिकायत की थी कि रातभर जमीन पर बिना इलाज के उसे पटक रखा और सुबह डॉक्टर ने निजी अस्पताल में जाने के लिए कह दिया।
क्या है पूरा मामला : इंदौर के एमवाय अस्पताल में इलाज के लिए आए एक मरीज को न्यूरो सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर ने निजी अस्पताल रैफर कर दिया। इसके पहले वो रातभर एमवाय अस्पताल के फर्श पर इलाज की उम्मीद में बैठा रहा। उसे रातभर इलाज नहीं मिला। सुबह होते ही न्यूरो सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर ने मरीज को निजी अस्पताल जाने के लिए कह दिया। उसे कहा गया कि वो शहर के इंडेक्स अस्पताल चला जाए। मरीज ने खुद इसकी शिकायत की और बताया कि उसे अस्पताल में रातभर जमीन पर बिना इलाज के बिठाए रखा और सुबह डॉक्टर ने निजी अस्पताल में जाने के लिए कहा। मामला संज्ञान में आने के बाद डॉक्टर का 15 दिन का वेतन काटने की कार्रवाई की गई है।
एमवाय में घूमते हैं निजी अस्पताल के एजेंट : वेबदुनिया के विश्वसनीय सूत्रों और इस धांधली पर नजर रखने वाले डॉक्टरों ने बताया कि आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाने वाले कई एजेंट यहां घुमते हैं। पहले भी कई लोगों को पकड़ा जा चुका है। इन्हें मरीजों के हिसाब से निजी अस्पताल में कमीशन मिलता है। इसके लिए यह मरीजों को एमएलटी, एक्सरे सहित अन्य जांच होने के बाद निजी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए लेकर चले जाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा मरीज हड्डी रोग विभाग, न्यूरोसर्जरी, कैंसर, मेडिसिन विभाग आदि के होते हैं।
मुनाफे के लालच में हो रही करतूत : दरअसल, शहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर कमीशन के चक्कर में मरीजों को निजी अस्पताल भेजने का काम कर रहे हैं। यह तो एक ऐसा मामला है जो सामने आया है, ऐसे कई मामले हैं जो सामने नहीं आ पा रहे हैं। एमवाय से लेकर शहर के सरकारी अस्पतालों में आए दिन इस तरह के प्रकरण हो रहे हैं।
10 प्रतिशत कमीशन मिलता है : बता दें कि इंदौर में डॉक्टरों कमीशन के लालच में ऐसा कर रहे हैं। एक मरीज को निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेजने पर डॉक्टर को 10 प्रतिशत कमीशन मिलता है। ऐसे इस तरह से समझ सकते हैं कि यदि कोई मरीज निजी अस्पताल में भेजे जाने के बाद 3 लाख रुपए का इलाज करवाता है या 3 लाख रुपए का बिल बनता है तो डॉक्टर को इसके एवज में 30 हजार रूपए मिलते हैं। सबसे दुखद बात यह है कि यह खेल सरकारी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान कार्ड योजना के नाम पर चल रहा है।
रोज 10 मरीज भेजे जा रहे निजी में : बता दें कि इंदौर के एमवाय अस्पताल में इलाज के लिए रोजाना हजारों मरीज आते हैं। इनमें से कई मरीज आयुष्मान कार्ड धारक भी होते हैं। लेकिन एमवाय के कुछ डॉक्टर मरीजों को अच्छी सुविधा, इलाज और क्वालिटी दवाइयों की बात कहकर उन्हें निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाने के लिए कहते हैं। उन्हें कहा जाता है कि निजी अस्पताल में बेहतर सुविधा के साथ निशुल्क उपचार मिल जाएगा। वेबदुनिया की पडताल में सामने आया कि ऐसा करने पर डॉक्टर को एक मरीज पर करीब 10 प्रतिशत कमीशन निजी अस्पताल की तरफ से मिल जाता है। एमवाय से तकरीबन 10 मरीजों को रोजाना निजी में भेज दिया जाता है।
एंबुलेंस गैंग भी सक्रिय : इतना ही नहीं, इस पूरी धांधली में एंबुलेंस गैंग भी सक्रिय है। जो मरीजों को सरकारी अस्पताल से निजी ले जाने के काम में लगे हुए हैं। इनकी भी डॉक्टरों के साथ मिलीभगत सामने आ रही है। बता दें कि पहले भी एंबुलेंस गैंग के बारे में यह धांधली सामने आई थी, जिसके बाद प्रशासन ने इन पर रोक लगाने की बात कही थी, लेकिन अब भी एमवाय अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा मरीजों को ले जाने में एंबुलेंस गैंग भी सक्रिय है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार : महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) के
डीन डॉक्टर अरविंद घनघोरिया ने
वेबदुनिया को बताया कि अस्पतालों में इस तरह की धांधली रोकने और एंबुलेंस गैंग पर रोक लगाने के लिए हम कोशिश कर रहे हैं। हमने हाल ही में एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की है। इन गतिविधियों को रोकने के लिए एक कमेटी भी बनाई जा रही है, जो मरीजों और डॉक्टरों से बात कर के रिव्यू करेगी और इन गतिविधियों पर रोक लगाएगी।
साल भर पहले हुआ था मामला : बता दें कि करीब एक साल पहले मरीजों को एमवाय अस्पताल से निजी अस्पताल लेकर जाने पर वाली एंबुलेंस गैंग का मुखिया दीपक वर्मा पकड़ाया था। इस दौरान जूनियर डॉक्टरों ने उसकी पिटाई कर दी थी। इसके बाद दीपक और उसके साथी असलम के लिए अस्पताल परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। इसमें वार्ड बॉय और अन्य कर्मचारी भी शामिल थे। लेकिन अब भी एंबुलेंस इन मामलों में सक्रिय है। इन दिनों भी एमवाय अस्पताल में तिरूपती बालाजी एंबुलेंस के राहुल और बहादुर, श्रीबालाजी एंबुलेंस के दीपक और एकाक्ष सामाजिक संस्था से रामगोपाल श्रीवास्तव आदि लोग सक्रिय हैं।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल