इलाज की उम्मीद में एमवाय पहुंची नेशनल कबड्डी प्लेयर को चढ़ाई एक्सपायरी डेट की दवाएं, हालत बिगड़ी, ये कैसा इलाज?
डिस्चार्ज के बाद बिगड़ी तबीयत, निजी अस्पताल में इलाज के लिए नहीं पैसे, पति का काम प्रभावित, कैसे हो इलाज?
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहा कांड के बाद अब एक मरीज को अस्पताल के स्टाफ ने एक्सपायरी डेट की दवाईयां चढ़ा दी। इतना ही नहीं, शिकायत करने पर उन्हें अपमानित किया गया और कहा कि जो करना है करो।
दुखद है कि इस लापरवाही के बाद मरीज की हालत में सुधार होने के बजाए उसकी हालत और ज्यादा बिगड़ गई। इतना ही नहीं, जब इस बारे में शिकायत की गई तो मरीज की मदद करने के बजाए उसे कहा गया कि जिसे कहना है, कह दो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हैरान करने वाली बात यह लापरवाही एक राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी रोशनी सिंह के साथ की गई। जब अस्पताल में उनकी शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें थकहार कर कलेक्टर के पास जाना पड़ा।
क्या है पूरा मामला : इंदौर की रोशनी सिंह लंबे समय से बीमार थहीं। वे कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से वे निजी अस्पताल में इलाज नहीं करवा पा रही थी। इसलिए उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एमवाय अस्पताल में भर्ती किया गया था। पति सागर ने बताया कि हमें एमवाय अस्पताल पर भरोसा था कि रोशनी इलाज के बाद ठीक हो जाएगी, लेकिन इसके विपरीत यहां लापरवाही के चलते उसकी जिंदगी और हेल्थ के साथ नर्सिंग स्टॉफ ने खिलवाड़ कर डाला। बता दें कि रोशनी सिंह को एसिटिक फ्लूइड की मात्रा की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था।
जिससे कहना है कह दो, कोई फर्क नहीं पड़ता : दरअसल, डॉक्टर ने रोशनी को सिप्रो नामक एंटीबायोटिक दवा की वॉयल चढ़ाने के लिए लिखी थी। लेकिन स्टॉफ जो सलाइन लगाने के लिए लाया। उसकी एक्सपायरी डेट खत्म हो चुकी थी। रोशनी के पति सागर ने इसकी जानकारी स्टॉफ को दी। सागर ने शिकायत की कि उनकी पत्नी को एक्सपायरी डेट की वॉयल चढ़ा दी गई है। उनकी शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाए उन्हें उल्टा अपमानित किया गया। जब सागर ने कहा कि अगर आप सुनवाई नहीं करेंगे तो वे एमवाय अस्पताल के
अधीक्षक अशोक यादव से बात करेंगे। इस पर ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने उन्हें जबाद दिया कि जिससे कहना है कह दो, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता।
क्या कहा अस्पताल अधीक्षक ने : इस मामले में एमवाय अस्पताल अधीक्षक अशोक यादव ने बताया कि इस बारे में शिकायत हमारे पास आई थी। जानकारी मिलने के बाद नर्स ने दवा हटा ली थी। उधर, इस मामले में
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मामला गंभीर है। इस मामले में दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए। लेकिन बावजूद इसके मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पूरे मामले में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अस्पताल के स्टॉक में एक्सपायरी डेट की दवाइयां कैसे और क्यों रखी जा रही हैं।
रोशनी की तबीयत बिगड़ी, पति ने लगाए आरोप : दुखद यह है कि अस्पताल की लापरवाही के बाद अब पीड़िता की तबीयत और बिगड़ गई है। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उन्हें ज्यादा दिक्कत होने लगी। रोशनी के पति सागर सिंह ने बताया कि 22 नवंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद घर पहुंचते ही उनकी पत्नी की तबीयत फिर बिगड़ने लगी। जब उन्होंने डिस्चार्ज रिपोर्ट देखी, तो पता चला कि रोशनी के लिवर में सूजन है और किडनी व फेफड़ों में भी गंभीर इन्फेक्शन हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि मरीज को टीबी है और घर पर दवा लेने से ठीक हो जाएगी, लेकिन असलियत में उनकी हालत काफी नाजुक थी। रोशनी का कहना है कि अस्पताल में भर्ती होते समय वह पैदल चलकर गई थीं, लेकिन गलत इलाज और लापरवाही के कारण अब वह व्हील चेयर पर आ गई हैं और चल-फिर भी नहीं पा रही हैं।
आर्थिक स्थिति बिगड़ी कैसे हो गुजारा और इलाज : जब अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद रोशनी की तबीयत ज्यादा खराब हुई तो उनके सामने निजी अस्पताल में इलाज का संकट खड़ा हो गया। इसके बाद रोशनी अपने पति और दो छोटे बच्चों के साथ व्हील चेयर पर कलेक्टर के पास पहुंचीं और अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि अस्पताल ने गंभीर इन्फेक्शन और बीमारी छिपाई। रोशनी अपने पति सागर सिंह के साथ कलेक्टर कार्यालय शिकायत लेकर पहुंची। यहां उन्होंने एसडीएम प्रियमा वर्मा के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराई। सागर सिंह ने बताया कि पत्नी की बीमारी के कारण वह पिछले चार महीने से पर नहीं जा पाए हैं, जिससे घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
हमारी मदद करे प्रशासन : उन्होंने प्रशासन से बेहतर इलाज और आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है। अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया है कि सरकारी योजनाओं और आयुष्मान कार्ड के तहत उनका उचित इलाज करवाया जाएगा और संभव आर्थिक मदद दी जाएगी। सवाल यह है कि आम आदमी जिस उम्मीद और आस में इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में इलाज के बदले स्टाफ लापरवाही का शिकार होने के साथ अपमानित होना पड़ रहा है।