‘सोलर कुकर’ से महिलाओं को मिली ‘धुएं और दुष्कर्म’ से निजात
यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट डायलॉग्स 2020 के दौरान सोलर कुकर्स का महिलाओं और पर्यावरण पर सकारत्मक प्रभाव विषय पर एक वर्चुअल संगोष्टी के आयोजन किया गया।
इस आयोजन में जनक मगिलिगन बतौर वक्ता आमंत्रित थी। संगोष्टी की संयोजिका और सोलर कुकर्स इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक कैटलिन ह्यू ने सभी का स्वागत किया।
इस मौके पर जनक पलटा मगिलिगन ने भारत में सोलर कुकर से महिलाओं और पर्यावरण पर अपने विचार रखे।
जनक पलटा ने कहा कि ग्रामीणों में आदिवासी महिलाओं को ट्रेनिंग देने के दौरान उन्होंने देखा कि करीब 300 गांवों में पूरे सालभर महिलाएं गोबर के कंडे के धूएं में खाना बनाती हैं।
उन्होंनें बताया कि एक तरफ जंगल खत्म हो रहे थे तो दूसरी तरफ महिलाएं धूएं में काम करने को मजबूर थीं। एक दिन खबर लगी कि मध्यप्रदेश सरकार सोलर कुकर पर सब्सिडी दी रही है।
जल्दी ही मैंने सोलर बॉक्स खरीदा और धूप से खाना बनाकर खाया तो स्वादिष्ट था। बस फिर क्या था, देखते ही देखते कई लोगों के घरों तक यह पहुंच गया और कई लोग इससे जुड़ गए।
इससे महिलाओं को धूएं से निजात मिली। मध्यभारत में सबसे बड़ा पहला सोलर किचन 1998 बनाया गया, जिसमें 100 महिलाओं के लिए सालभर भोजन बनता था।
सोलर कुकिंग का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि दूर दराज में लकड़ी के लिए भटकने वाली लड़कियां को यौन शोषण का खतरा भर नहीं रहा। महिलाएं धूएं से बची और अब पेड़ भी नहीं कटेंगे।