IIPS में आईसीटी (एमडीसी) रिफ्रेशर कोर्स के तहत ऑनलाइन सेमिनार
इंदौर। 70 प्रतिशत कॉलेज प्रोफेसर और लेक्चरर को भारत में जीमेल अकाउंट संचालित करने के लिए न्यूनतम आयु की जानकारी तक नहीं है। प्रो. रावल ने यह बात अपनी 225वीं ऑनलाइन वर्कशॉप के दौरान यूनिवर्सिटी व कॉलेज प्रोफेसरों से कही।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीस (IIPS) डीएवीवी इंदौर मे संचालक डॉ. बीके त्रिपाठी के मार्गदर्शन में यूजीसी एचआरडीसी आईसीटी (एमडीसी) रिफ्रेशर कोर्स के अंतर्गत 'साइबर सिक्योरिटी चिंताएं व समाधान' विषय पर एक ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय स्तर साइबर सेक्युरिटी विशेषज्ञ प्रो. गौरव रावल ने भारत के विभिन्न यूनिवर्सिटी व कॉलेज प्रोफेसरों व टीचरों को साइबर अपराध के विभिन्न कारणों और रोकथाम के बारे में बताया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा और गोपनीयता के पहलुओं के बारे में बताया। साथ ही ऑनलाइन लेन-देन फ़िशिंग और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000/2008 तथा साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में भारतीय कानून एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने साइबर अपराध में नवीनतम तरीकों जैसे साइबरस्टॉकिंग, साइबरबुलिंग एवं सोवा वाइरस और आईपीसी के तहत क्रमशः 354 डी और 509 पर भी व्यापक रूप से चर्चा की।
इसके बाद प्रो. गौरव रावल ने सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेज प्रोफेसरों से अनुरोध किया कि कृपया अपने सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल (जैसे फेसबुक, ट्विटर, आदि) निजी पर सेट रखें। एक अंतराल के भीतर सुरक्षा सेटिंग्स की जांच करें। उन्होंने कहा कि हम किस तरह की जानकारी ऑनलाइन पोस्ट और सर्च कर रहे हैं, इस बारे में अधिक सावधान रहें।
उन्होंने यह भी बताया कि गूगल पर नकली टैक सपोर्ट से सावधान रहें। ईमेल की जानकारी प्राप्त करें और अपनी इंटरनेट गतिविधि को गोपनीय बनाए रखें तथा अपने सभी बिजनेस और पर्सनल आईडी के लिए एक मजबूत पासवर्ड बनाएं और हमेशा रजिस्टर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करें।
प्रोफेसर गौरव रावल बताया कि किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड किया ठगी होने पर तुरंत स्थानीय पुलिस को इसकी रिपोर्ट करें या www.cybercrime.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन रिपोर्ट करें या हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें। इसके बाद कॉलेज टीचरों के प्रश्नों का समाधान किया गया।
सत्र में देश के विभिन्न यूनिवर्सिटी व कॉलेज के 40 से ज्यादा प्रोफेसरों व टीचरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम डिज़ाइन व को-ऑर्डिनेशन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीस (IIPS) डीएवीवी इंदौर के डॉ. सुरेन्द्र मालवीय व डॉ. शालीग्राम प्रजापति द्वारा किया गया।