अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस पर CM डॉ. मोहन यादव ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़े 3 चीते, सूबे में 32 हुई चीतों की संख्या
भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कूनो में मादा चीता 'वीरा' के साथ उसके दो शावक को बड़े से खुले में छोड़ा। प्रदेश में अब चीतों की संख्या अब 32 हो गई है। इसमें गांधीसागर अभयारण्य के 3 चीते भी शामिल हैं। कूनो नेशनल पार्क चीतों के पुनर्वास से अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर का केंद्र बन चुका है। कूनो में हमारी धरती पर ही जन्मे तीसरे पीढ़ी के चीते विचरण कर रहे हैं। कूनो में जन्मी मादा चीता 'मुखी' के 5 शावक स्वस्थ हैं, यह सुखद समाचार है। कूनो के चीते अब श्योपुर से मुरैना और राजस्थान की धरती तक दौड़ लगा रहे हैं। राज्य की समृद्ध वन संपदा में चीता मुकुटमणि और कोहिनूर के समान है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की भूमि पर सभी जीव सुरक्षित होंगे, राज्य सरकार इसके लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उन्नत रेडियो ट्रेकिंग प्रणाली और समर्पित टीमों के माध्यम से सतत् निगरानी की जाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान के वर्ष-2026 के कैलेण्डर और 'फील्ड मैन्युअल फॉर क्लिनिकल मैनेजमेंट ऑफ फ्री-रेंजिंग चीताज़ इन कूनो नेशनल पार्क' बुक का विमोचन किया। साथ ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 'नव-निर्मित सोवेनियर शॉप' का लोकार्पण भी किया।
चीतों का परिवार बढ़ रहा है तेजी से- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश, टाइगर, लैपर्ड और चीता स्टेट है। हमारे जंगल बहुत से वन्यजीवों के आश्रय स्थल हैं। ऐसे में विश्व में पहली बार चीतों का पुनर्स्थापन मध्यप्रदेश में हुआ, इसके लिए वन विभाग के मंत्री और अधिकारी बधाई के पात्र हैं। श्योपुर, कूनो में चीतों के पुनर्स्थापन से पर्यटन में 5 गुना वृद्धि हो चुकी है। चीतों का परिवार जिस तेज गति से बढ़ रहा है, उसी हिसाब से भविष्य में कूनो नेशनल पार्क से विस्थापित लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि चंबल अंचल के स्वच्छ वातावरण में हमारे नागरिक भी चीतों के साथ जीना सीख गए हैं और चीतों से प्रेम भी कर रहे हैं। प्रदेशवासियों में वन्यजीवों एवं प्रकृति के साथ भाईचारे से जुड़ने का स्वभाव है। यह वसुधैब कुटुम्बकम का सबसे सुंदर उदाहरण है।