आरएसएस से जुड़ा भारतीय किसान संघ भी आंदोलन कूदा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ (बीकेएस) मध्यप्रदेश में किसानों के पिछले तीन दिन से जारी किसान आंदोलन के पक्ष में आज खुलकर सामने आ गया। लेकिन इस संगठन ने स्पष्ट किया कि वह आंदोलन के दौरान हो रही हिंसक घटनाओं का समर्थन नहीं करता है।
बीकेएस के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल ने कहा कि ‘हम प्रदेश में शांतिपूर्ण ग्राम बंद (किसान आंदोलन) का समर्थन करते हैं, लेकिन हम इस आंदोलन के दौरान सड़कों पर हो रही अराजक और हिंसक गतिविधियों के पक्ष में नहीं हैं। किसान आंदोलन के समर्थन में बीकेएस के देरी से मोर्चा संभालने के सवाल पर पटेल ने दावा किया कि संघ परिवार का यह संगठन कृषकों के हित में पहले दिन से इस विरोध प्रदर्शन के पक्ष में है।
उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को खेती की लागत के मुताबिक प्याज और आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जल्द तय करना चाहिये और सरकारी एजेंसियों के जरिये इस कीमत पर दोनों कृषि जिंसों की खरीद शुरू करनी चाहिए।
पुलिस के साए में दूध-सब्जी की आपूर्ति : किसानों के पिछले तीन दिनों से जारी आंदोलन के मद्देनजर जिले में 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की अलसुबह तैनाती की मदद से दूध और सब्जियों की आपूर्ति कराई गई। हालांकि जरूरत के मुकाबले आपूर्ति कम होने से ग्राहकों की परेशानियां दूर नहीं हुईं। पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि जिले के गांवों से शहर के बीच के रास्तों पर 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। ये पुलिसकर्मी तड़के चार बजे से तय जगहों पर तैनात होकर शहर में दूध और सब्जियों की आपूर्ति सुनिश्चित करा रहे हैं।
पुलिस को यह तैनाती इसलिये करनी पड़ी है, क्योंकि पिछले दो दिन में आंदोलनकारी किसान शहर पहुंचने वाली दूध की गाड़ियों को बलपूर्वक रोककर लाखों लीटर दूध सड़कों पर बहा चुके हैं। आंदोलनकारी किसान शहर आने वाली सब्जियों की बड़ी खेप भी सड़कों पर बिखेर चुके हैं। बहरहाल, पुलिस और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद शहर में अनाज, दूध और फल.सब्जियों की आपूर्ति अब तक सामान्य नहीं हो सकी है। आम जरूरत की इन चीजों की स्थानीय मंडियों में आंदोलनकारी किसान पिछले तीन से जमे हैं जिससे कारोबार ठप पड़ा है।
किसानों ने अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर 1 से 10 जून तक आंदोलन की घोषणा की है। इनमें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक आलू-प्याज समेत सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने, सभी कृषि उपज मंडियों में एमएसपी से नीचे खरीदी नहीं किए जाने को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाए जाने, कृषि ऋणों की माफी और किसानों की सिंचित व बहुफसलीय कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं किए जाने की मांग शामिल है। (भाषा)