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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: सोमवार, 18 अप्रैल 2022 (12:13 IST)

खरगोन हिंसा में पहली मौत, लापता युवक का शव इंदौर हॉस्पिटल में मिला, कर्फ्यू में 2 घंटे की ढील

खरगोन हिंसा में पहली मौत, लापता युवक का शव इंदौर हॉस्पिटल में मिला, कर्फ्यू में 2 घंटे की ढील - First death in Khargone violence, 2 hours relaxation in curfew
भोपाल। रामनवमी को खरगोन में हुई हिंसा में पहली मौत हो गई है। रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद लापता इब्रेश उर्फ सद्दाम खान का शव इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल में मिला है। पुलिस ने शव की शिनाख्त होने के बाद परिजनों को सद्दाम का शव सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि घटना के बाद शिनाख्त न होने वजह से सद्दाम के शव को पुलिस ने इंदौर के अस्पताल में भेज दिया गया था। 
 
सूबे के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि 10 अप्रैल को शव मिला था और 11 को पोस्टमार्टम किया गया था। 11 अप्रैल को पीएम रिपोर्ट के आधार पर 302 का केस दर्ज किया गया था। शिनाख्त नहीं होने और गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट नहीं होने से शव को सुरक्षित रख दिया गया था। इसके बाद जब परिवार वालों ने सद्दाम की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई तो परिवार वालों से शव की शिनाख्त कराने के बाद शव को परिवार वालों को सौंप दिया गया है और उनका अंतिम संस्कार करवा दिया गया है। इस मामले में पुलिस ने सात-आठ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की है। 
 
रामनवमी को हुई हिंसा के बाद से सद्दाम लापता था और परिवार वाले उसकी तलाश कर रहे थे। सद्दाम के नहीं मिलने पर 14 अप्रैल को खरगौन थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद बीती रात पुलिस की सूचना पर परिजन इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल पहुंचे और शव की शिनाख्त की।
 

वहीं खरगोन में पूरी तरह शान्ति बनी हुई  है और हालात अब सामान्य की ओर हैं। स्थानीय प्रशासन अपने स्तर पर स्थिति की समीक्षा कर कर्फ्यू में ढील दे रहा है। वहीं खरगोन प्रशासन ने दोपहर 12 बजे से 2 तक कर्फ्यू में ढील दी है। ढील के दौरान सिर्फ किराना, मेडिकल और दूध की दुकाने खुली रहेगी।

वहीं खरगोन में एक वर्ग विशेष के खिलाफ बुलडोजर चलाने की कार्रवाई का मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। हिंसा के बाद प्रशासन पर लग रहे आरोप और कोर्ट जाने के सवाल पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि  खरगोन हिंसा के बाद दंगाइयों के विरुद्ध विधि सम्मत तरीके से कार्रवाई की गई है। जो भी न्यायालय जाना चाहता है, जा सकता है। 
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