बिहार के बाद अब मध्यप्रदेश में SIR पर BJP का फोकस, बोले हेमंत खंडेलवाल, 2028 में बनेगी जीत का आधार
बिहार में NDA की प्रचंड जीत के लिए विपक्ष ने SIR को ठहराया है जिम्मेदार
भोपाल। बिहार चुनाव में NDA की प्रचंड जीत और महागठबंधन की करारी हार का ठीकरा भले ही पूरा विपक्ष चुनाव से ठीक सूबे में SIR की प्रक्रिया पर फोड़ रहा हो लेकिन दूसरी भाजपा अपने सबसे मजबूत बढ़ माने जाने वाले मध्यप्रदेश में चल रही SIR की प्रक्रिया पर पूरा फोकस कर दिया है। सूबे में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा मानती है कि 2028 के विधानसभा चुनाव में SIR की बड़ी भूमिका होगी और SIR ही भाजपा की जीत का आधार बनेगी। यहीं कारण है कि भाजपा ने अपने कमजोर गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल में SIR पर पूरा फोकस कर दिया है और रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय नेता से लेकर प्रदेश नेतृत्व ने पूरा संभाग के नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों की SIR को लेकर क्लास ली।
ग्वालियर-चंबल संभाग की बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में भाजपा के लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण ग्वालियर-चबंल दो संभाग हैं, जहाँ पिछले वर्षों में बेहद कम मतों के अंतर से जीत-हार तय हुई थी। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में SIR का प्रक्रिया का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि एसआईआर कोई साधारण या एक दल से संबंधित प्रक्रिया नहीं है, बल्कि वर्ष 2028 के चुनाव में भाजपा की जीत और हार को निर्णायक रूप से प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
वर्ष 2028 की चुनावी सफलता के लिए जितनी अधिक गंभीरता अभी दिखाई जाएगी, सफलता उतनी ही सुनिश्चित होगी। इसलिए एसआईआर को पूर्ण समर्पण, एकजुटता और युद्धस्तर की तत्परता के साथ लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा इस प्रक्रिया को केवल औपचारिकता मानकर चलेगी, तो आने वाले समय में चुनाव हमारे लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकते । उन्होंने बीएलए की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रत्येक बीएलए-1 अपने क्षेत्र के बीएलए-2 के साथ लगातार संवाद में रहे, बूथ-दर-बूथ समीक्षा करें और आवश्यक दस्तावेजों की सत्यता की जाँच करें।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि एसआईआर कोई साधारण या एक दल से संबंधित प्रक्रिया नहीं है, बल्कि वर्ष 2028 के चुनाव में भाजपा की जीत और हार को निर्णायक रूप से प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण चुनावी सफलता की कुंजी है। संगठन की शक्ति और 2028 की जीत, दोनों का आधार एसआईआर है। मतदाता सूची की एक गलती से परिणाम बदल सकते है, इसलिए कार्यकर्ता एसआईआर को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर कार्य में जुट जाएं। विधानसभा चुनाव 2028 एवं लोकसभा चुनाव की प्रचंड जीत का आधार, बूथ मजबूती और बीएलए की सक्रिय भूमिका रहेगी।
वहीं भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने कहा कि एसआईआर को पूरी गंभीरता से लागू कर मेरा बूथ सबसे मजबूत बनाने की जिम्मेदारी पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं की है।जो लोग नौकरी, व्यवसाय या अन्य वजह से किसी क्षेत्र में आए थे लेकिन अब वहां निवास नहीं करते, उनके नाम हटवाने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। यदि किसी भी बूथ पर कोई संदिग्ध मतदाता दिखाई दे, तो उसे पहचान कर इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी जाए। निर्वाचन आयोग और प्रशासन के साथ पूर्ण पारदर्शिता व सहयोग रखते हुए एसआईआर की हर प्रक्रिया को सही रूप से लागू किया जाए।