पीथमपुर में नष्ट किया यूनियन कार्बाइड का 19 टन अतिरिक्त अपशिष्ट, गैस त्रासदी में 5479 लोग मारे गए थे
19 tonnes of Union Carbide waste: मध्यप्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) कारखाने का 337 टन कचरा खाक किए जाने के बाद राज्य की राजधानी के इस बंद पड़े कारखाने के परिसर की करीब 19 टन मिट्टी में शामिल अतिरिक्त अपशिष्ट (additional waste) भी जलकर भस्म हो चुका है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
19 टन 'अतिरिक्त अपशिष्ट' पीथमपुर के संयंत्र में जलाया : भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के परिसर की मिट्टी में शामिल लगभग 19 टन 'अतिरिक्त अपशिष्ट' को इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर के संयंत्र में जलाकर भस्म कर दिया गया है।
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उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जिस पैकेजिंग सामग्री में पीथमपुर के संयंत्र में लाया गया था, उसका 2.22 टन अपशिष्ट अलग से निकला है। अब इस अपशिष्ट को भी नष्ट किया जा रहा है जिसमें मुख्यत: लोहे के ड्रम शामिल हैं। इन ड्रमों को नष्ट करने के लिए काटकर उच्च तापक्रम पर आग में तपाया जा रहा है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि पैकेजिंग सामग्री के अपशिष्ट को नष्ट किए जाने का काम जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।
800 टन से ज्यादा राख निकली : द्विवेदी ने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन कचरा पीथमपुर के संयंत्र में अलग-अलग चरणों में पहले ही भस्म किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे की इस मूल खेप को चूना और अन्य चीजें मिलाकर भस्मक में जलाया गया था, उससे 800 टन से ज्यादा राख निकली है। द्विवेदी ने बताया कि इस राख को बोरों में सुरक्षित तरीके से भरकर पीथमपुर के संयंत्र के 'लीकप्रूफ स्टोरेज शेड' में रखा गया है और इसे जमीन में दफनाने के लिए तय वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत विशेष सुविधा (लैंडफिल सेल) का निर्माण कराया जा रहा है।
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भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर के संयंत्र में 2 जनवरी को पहुंचाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई थी जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया था।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा है कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जलाए जाने के दौरान पीथमपुर के संयंत्र से 'पार्टिकुलेट मैटर', 'सल्फर डाई ऑक्साइड', 'कार्बन मोनो ऑक्साइड', 'हाइड्रोजन सल्फाइड हाइड्रोजन फ्लोराइड' और 'नाइट्रोजन' के 'ऑक्साइड' के साथ ही 'मर्करी', 'कैडमियम' और अन्य भारी धातुओं के उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाए गए।
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बोर्ड के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और अर्द्ध प्रसंस्कृत अवशेष शामिल थे। बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव पहले ही लगभग नगण्य हो चुका था। बोर्ड के मुताबिक इस कचरे में 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस का कोई अस्तित्व नहीं था और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं थे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta