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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 9 जुलाई 2024 (15:34 IST)

भारत के किस प्रदेश में हैं सबसे ज्यादा जंगल, देश विदेश के लोग आते हैं घूमने

भारत के किस प्रदेश में हैं सबसे ज्यादा जंगल, देश विदेश के लोग आते हैं घूमने - Forests List of Madhya Pradesh
Forests List of Madhya Pradesh: दुनिया के सबसे ज्यादा जंगल अफ्रीका के बाद भारत में मौजूद है। भारत में हजारों जंगल है जिनमें से कुछ तो ऐसे भयानक है कि जहां यदि गुम हो जाएं तो बाहर निकलना बहुत ही मु्श्किल है। यहां स्थित खतरनाक जानवरों के कारण मौत का खतरा 90 प्रतिशत है। भारत के जंगलों में शानदार हाथी की चिंघाड़, मोर का नाच, ऊंट की सैर, शेरों की दहाड़, लाखों पक्षियों की चहचहाहट सुनने और देखने को मिलेगी। भारत में जंगली जीवों की बहुत बड़ी संख्या है। यहां जंगली जीवों को देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। भारत में 70 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और 500 से अधिक जंगली जीवों के अभयारण्य हैं इसके अतिरिक्त पक्षी अभयारण्य भी हैं।ALSO READ: बारिश के मौसम में मध्यप्रदेश के इन 5 में से कोई एक जंगल घूम आएं, कभी भूलेंगे नहीं
 
भारत के मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा जंगलों की संख्या सबसे अधिक है। यहां छोटे बड़े मिलेकर कुल जंगल है। प्रदेश की कुल जमीन के 25.1 प्रतिशत यानी 77 हजार 482 वर्ग किमी पर जंगल मौजूद है। इन जंगलों के भी 21 प्रकार हैं। करीब 6 हजार 676 वर्ग किमी पर तो अति सघन वन है। राज्य के 52 में से 21 जिले आदिवासी बहुल हैं और इन्हीं जिलों में जंगल की जमीन सर्वाधिक है।
 
राज्य शासन ने अब तक 11 राष्ट्रीय उद्यानों और 24 वन्यप्राणी अभयारण्यों को अधिसूचित किया है। कुल अधिसूचित संरक्षित क्षेत्र 11 हजार 393 वर्ग किमी से अधिक में अधिसूचित संरक्षित क्षेत्र है। इसमें से 4 हजार 773 वर्ग किमी में टायगर रिजर्व कोर (क्रिटिकल बाघ रहवास) क्षेत्र मौजूद है।
 
1. पन्ना टाइगर रिजर्व : पन्ना भारत के 22वां टाइगर रिजर्व है यानी बाइसवां बाघ अभयारण्य है और मध्यप्रदेश का पांचवां। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था। इसे 1994 में भारत सरकार द्वारा एक परियोजना टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व 56 बाघों का घर है। पन्ना टाइगर रिजर्व में अनेक जंगली जानवर हैं।  पन्ना नेशनल पार्क के मुख्य आकर्षण बाघ, चौसिंगा हिरण, चिंकारा, सांभर, जंगली बिल्ली, घड़ियाल, मगरमच्छ, नीलगाय आदि हैं। इस पार्क में पक्षियों की लगभग 200 से अधिक प्रजातियां है, जिनमें प्रवासी पक्षी भी सम्मिलित है, जो दूरदराज के इलाकों से यहां आते हैं। इसके अलावा पार्क में अजगर व सांप की भी कई प्रजातियां निवास करती हैं।ALSO READ: Tour & travels: भारत के 6 खास समुद्रीय पर्यटन स्थल, गर्मी में एडवेंचर का लें मजा
 
2. कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान : एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। खुले घास के मैदान यहां की विशेषता हैं। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुंचा जा सकता है।
 
3. बांधवगढ़ : यदि आप जंगल की सैर करना चाहते हैं तो बांधवगढ़ जाएं। यह स्थल मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। यहां जंगल में घूमने का आनंद ही कुछ ओर है क्योंकि यहां बंगाल के टाइगर, सफेद बाघ, लंगूर, हिरण, हाथी, प्राइमेट और अनेक प्रकार के लुप्तप्राय पक्षियों के नजारे आपको देखने को मिलेंगे। यहां हनीमून कपल्स के लिए पार्क के अंदर रुकने के स्थान भी हैं।
 
4. रातापानी जंगल रिसोर्ट : भोपाल शहर से बमुश्किल 30 किलोमीटर दूर इस जंगल में सैर कराने और कैंप लगाने वाली कई कंपनियां आपको मिल जाएगी। यह आपके के लिए सभी कुछ अरेंज करती हैं। खूबसूरत और घने सागौन के जंगलों के बीच, बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्लियाँ, सुस्त भालू, लोमड़ी, लकड़बग्घा, हिरण और लंगूरों से भरा यह एक इलाका है। यहां पर रात रुकने की व्यवस्था भी है। 
 
5. पचमढ़ी : होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी मध्य प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन है जिसे मध्यप्रदेश का श्रीनगर और स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। रोमांटिक स्थलों में यह टॉप पर है। ऊंचे ऊंचे पहाड़, झील, झरने, गुफाएं, जंगल सभी कुछ हैं यहां पर। यहां से अमरकंटक तक जंगल फैला है। यहां घूमना बहुत ही आनंददायक है।
6. पेंच राष्ट्रीय उद्यान : रुडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक की प्रेरणा के रूप में विश्व स्तर पर पहचाने जाने वाले पेंच नेशनल पार्क भारत के हृदय में हरे-भरे घास के मैदानों का एक लहरदार इलाका है। पार्क का नाम पेंच नदी के नाम पर रखा गया है जो इसके बीच से होकर बहती है और यह 758 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जंगल बुक में वर्णित कई स्थान इस क्षेत्र में पाए जाते हैं, जिसमें वैनगंगा नदी और उसका घाट शामिल है जहाँ शेरखान मारा गया था, सीओनी पहाड़ियाँ, कान्हीवाड़ा गाँव। यह कुख्यात काले तेंदुए को देखने की जगह भी है, साथ ही यहाँ तेंदुए, जंगली कुत्ते, हिरणों, बंदरों और पक्षियों की एक महत्वपूर्ण आबादी भी है।
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7. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान : सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में स्थित है और 524 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अपनी समृद्ध जैव विविधता और विविध स्थलाकृति के लिए जाना जाता है, जिसमें पहाड़ियाँ, घाटियाँ, घाटियाँ और जल निकाय शामिल हैं। यह बाघों, भारतीय भालू (रीच) और मालाबार गिलहरियों (भारतीय विशाल गिलहरी) का महत्वपूर्ण निवास स्थान है। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश भारतीय विशाल गिलहरियां मध्यप्रदेश के सतपुड़ा पर्वतमाला में देखी जाती हैं और वे लगभग 6 मीटर की प्रभावशाली ऊंचाई तक छलांग लगा सकती हैं।
 
8. वन विहार राष्ट्रीय उद्यान : वन विहार राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह पार्क 4.45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और प्रकृति प्रेमियों, पक्षी देखने वालों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। पार्क आगंतुकों के लिए कई अन्य गतिविधियाँ प्रदान करता है, जैसे प्रकृति की सैर, साइकिल चलाना, पैदल यात्राएँ और बहुत कुछ। यह प्रकृति के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने, सुंदर पक्षियों के झुंड को देखने और एक कायाकल्प अनुभव प्राप्त करने के लिए भी एक आदर्श स्थान है। पार्क में एक व्याख्या केंद्र भी है, जो न केवल पार्क के बारे में जानकारी प्रदान करता है बल्कि संरक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है।
 
9. माधव राष्ट्रीय उद्यान : मध्यप्रदेश के शिवपुरी शहर के पास स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान लगभग 354 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों में एक उल्लेखनीय स्थल है। माधव राष्ट्रीय उद्यान की एक अनूठी विशेषता महारानी सख्या राजे सिंधिया और माधो राव सिंधिया के नाम पर दो झीलों का होना है- क्रमशः सख्या सागर और माधव सागर। यह झील मगरमच्छों को देखने, नौका विहार और पक्षियों को देखने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। झील के अलावा, पार्क कई ऐतिहासिक स्मारकों से घिरा हुआ है, जिसमें माधव विलास पैलेस और जॉर्ज कैसल शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की झलक प्रदान करते हैं। हाल ही में, भोपाल के बाहरी इलाकों से तीन बाघों को भी इस राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया था।ALSO READ: घने जंगल में बेफिक्र सो रहा था हाथियों का ये परिवार, IAS ने वीडियो शेयर किया और फिर...
 
10 संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान : सीधी जिले में स्थित, संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान 831 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला एक खूबसूरत वन्यजीव अभ्यारण्य है। यह उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, और यहाँ वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत विविधता पाई जाती है। इस राष्ट्रीय उद्यान में गंभीर रूप से लुप्तप्राय सफेद-पंख वाले गिद्ध भी देखे जा सकते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान की खोज करने के बाद, आप हमेशा बनास नदी के किनारे नंगे पांव टहलने और साफ आसमान के नीचे तारों को निहारने के लिए पारसिली जा सकते हैं।
 
11. कुनो राष्ट्रीय उद्यान: 404 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला कुनो मध्य भारत की विंध्य पहाड़ियों में एक आभूषण की तरह है। श्योपुर जिले में स्थित, इसका नाम कुनो नदी से लिया गया है जो राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है। मध्यप्रदेश सरकार के सफल चीता पुनर्वास कार्यक्रम की बदौलत, यह हाल ही में भारत का पहला स्थान बन गया है जहां 75 साल बाद 4 चीता शावकों का जन्म हुआ। कुनो नेशनल पार्क के कुछ अन्य लोकप्रिय आकर्षणों में डोबकुंड और पालपुर किला शामिल हैं।
 
 यदि आप कुनो जाने की योजना बना रहे हैं, तो आप कुनो जंगल रिज़ॉर्ट में ठहरने पर विचार कर सकते हैं, जो अभयारण्य के हरे-भरे परिवेश के बीच आरामदायक आवास और कई सुविधाएँ प्रदान करता है।
 
12. घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान : घुघवा राष्ट्रीय उद्यान को पूरे राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान माना जा सकता है। इसमें पौधों के जीवाश्मों का अमूल्य खजाना है जो भारत में 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पहले कहीं भी मौजूद थे। इस क्षेत्र को 1983 में घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया था और यह लगभग 75 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
 
13. डिनो एडवेंचर पार्क : मांडू से 4 किमी पहले स्थित यह एक अनूठा स्थान है जो पर्यटको को समय में पीछे जाने और डायनासोर की दुनिया का पता लगाने का अवसर प्रदान करता है। पार्क में डायनासोर के अंडों और लकड़ी के जीवाश्मों सहित जीवाश्मों की एक विस्तृत श्रृंखला है। पर्यटक डायनासोर की विभिन्न प्रजातियों की आदमकद प्रतिकृतियां देख सकते हैं और पार्क में पाए गए जीवाश्मों के इतिहास के बारे में जानने के लिए एक निर्देशित दौरे पर भी जा सकते हैं।
 
इसके अलावा छोटे छोटे जंगल करीब अनुमानीत रूप से 100 से ज्यादा बताए जाते हैं। इंदौर के पास रालामंडल, देवास के पास बागली के जंगल और जबलपुर के पास भेड़ाघाट के जंगल भी प्रसिद्ध हैं।