13वीं विधानसभा के गठन के लिए 27 नवंबर को हुए चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सहित उनके तत्कालीन मंत्रिमंडल के 34 में से जो 24 मंत्री इस बार जीत कर वापस लौटे हैं। हालाँकि उनमें आधे से ज्यादा का जनाधार चिंताजनक रूप से गिरा है।
शिवराज मंत्रिमंडल के विजयी 24 मंत्रियों में से 14 का जनाधार घटा है, जबकि केवल दस मंत्री ही ऐसे हैं, जिनकी जीत का अंतर नवंबर 2003 के पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बढ़ा है।
जनाधार घटने वाले मंत्रियों मे दो जयंत मलैया और रामदयाल अहिरवार तो क्रमशः 130 और 958 मतों के अंतर से ही जीत पाए हैं और अनूप मिश्रा जो पिछली बार 12716 मतों के अंतर से जीते थे। इस बार केवल 1538 वोट से जीतकर जैसे-तैसे अपनी चुनावी वैतरणी पार कर सके हैं।
जनाधार घटने वाले मंत्रियों में नौ बार चुनाव जीत चुके वरिष्ठ मंत्री बाबूलाल गौर, अनूप मिश्रा, गोपाल भार्गव, रामदयाल अहिरवार, जयंत मलैया, नागेन्द्रसिंह, मीनासिंह, हरेन्द्रजीतसिंह बब्बू, राघवजी, लक्ष्मीकांत शर्मा, अंतरसिंह आर्य, रंजना बघेल, कैलाश विजयवर्गीय एवं जगदीश देवड़ा हैं।
मुख्यमंत्री चौहान के अलावा जनाधार बढ़ाने में सफल रहे मंत्रियों में नरोत्तम मिश्रा, नारायणसिंह कुशवाह, जगन्नाथसिंह, मोती कश्यप, कमल पटेल, करणसिंह वर्मा, तुकोजीराव पवार, विजय शाह एवं पारस जैन हैं।
सभी जीते हुए मंत्रियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री चौहान लगातार दूसरी बार उन्हें अपने मंत्रिमण्डल में जगह देंगे, लेकिन चौहान के साथ-साथ पार्टी आलाकमान ने भी नए दावेदारों सहित इन मंत्रियों के दावों का भी आकलन शुरू कर दिया है और इस सप्ताह इसका फैसला हो जाएगा कि इनमें से कितनों को दोबारा मौका मिलता है।
दूसरी ओर भाजपा सूत्र बताते हैं कि शिवराज के नए मंत्रिमंडल में अधिकतर पुराने मंत्री बरकरार रहेंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने रविवार को यहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी से अपने मंत्रिमण्डल के स्वरूप पर विचार-विमर्श के बाद आज प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर के साथ दिल्ली का रुख किया है।
दिल्ली में वे पार्टी के लगभग सभी बड़े नेताओं से विचार मंथन कर मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देंगे। सूत्र यह भी कह रहे हैं कि दिल्ली में चौहान को पार्टी आलाकमान ने मंत्रिमण्डल गठन के लिए छूट दे दी है।