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Written By ND

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इंदौर
ऐसा समझा जा रहा है कि बाजार नियामक सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में भेदिया कारोबार (इनसाइडर ट्रेडिंग) के आरोप की जाँच के सिलसिले में रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह और उसकी सहयोगी इकाइयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

कंपनी के प्रवक्ता ने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया पर सूत्रों ने बताया कि संसद में यह मामला उठने के बाद सेबी ने वर्ष 2008 की शुरूआत में इसकी जाँच शुरू की थी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने नवंबर 2007 में आरपीएल में करीब चार फीसदी शेयर बेचा था। ऐसा कहा गया कि इससे पहले विभिन्न इकाइयों ने भारी बिकवाली की थी। इसे आरपीएल के शेयरों के वायदा सौदों में देखा गया।

सूत्रों ने कहा कि इन सौदों के जरिए जो लाभ कमाए गए वह 500 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है लेकिन सेबी से इस बारे में पुष्टि नहीं हो सकी है।

ऐसा समझा जा रहा है कि कारण बताओ नोटिस में सेबी ने आरआईएल और उससे संबंधित 12 इकाइयों से पूछा है कि उनके खिलाफ सेबी अधिनियम तथा धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार निरोधक नियमन के तहत क्यों नहीं कार्रवाई की जाए।

इस बारे में संपर्क किये जाने पर सेबी की जाँच विभाग के अधिकारियों ने कोई बयान नहीं दिया। अधिकारियों ने कहा कि वे मीडिया से बातचीत करने के लिए अधिकृत नहीं है। जबकि दूसरी ओर सेबी के प्रवक्ता से संपर्क नहीं हो सका।

इससे पहले फरवरी 2009 में आरपीएल के शेयरों में भेदिया कारोबार को लेकर उठाए गए सवाल पर सरकार ने संसद को सूचित किया था कि सेबी इस मामले की जाँच कर रही है।