19 नवंबर को साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण।
- चंद्र ग्रहण मंत्रों की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण।
- सोमवार को चंद्रमा का दिन कहा जाता है।
- मंत्रों का मन से जाप करने पर मुसीबत टल जाती है।
धर्म और ज्योतिष में ग्रहण की घटना को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वर्ष 2021 में 19 नवंबर, कार्तिक पूर्णिमा के दिन आखिरी चंद्र ग्रहण lunar eclipse 2021 लग रहा है। ज्योतिष में इस चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। किंतु चंद्र ग्रहण को मंत्रों की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। ग्रहण काल में किसी भी एक मंत्र को, जिसकी सिद्धि करना हो या किसी विशेष प्रयोजन हेतु सिद्धि करना हो, जप सकते हैं। ग्रहण काल में मंत्र जपने के लिए माला की आवश्यकता नहीं होती बल्कि समय का ही महत्व होता है।
चंद्र की प्रसन्नता के लिए हर उस तिथि को चंद्र मंत्र पढ़ना चाहिए जो चंद्र से संबंधित है। हफ्ते में सोमवार का दिन चंद्र को समर्पित है। हर पूर्णिमा को यह सरलतम चंद्र मंत्र की एक माला भी मनचाहा परिणाम देती है। एकदम सरल इन मंत्रों को चंद्र ग्रहण, पूर्णिमा की रात अवश्य पढ़ना चाहिए।
कैसे करें मंत्र जाप- कोई मंत्र तब ही सफल होता है, जब आप में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास हो। किसी का बुरा चाहने वाले मंत्र सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते। मंत्र जपते समय एक खुशबूदार अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर लें। इससे एकाग्र होकर जप में मन लगता है व ध्यान भी नहीं भटकता है। इन मंत्रों का विधिवत जाप करने से दिव्य फल प्राप्त होता है और जीवन की सभी मुसीबतें दूर होती है।
ग्रहण की अवधि में जपें यह मंत्र-
1. यदि आपके शत्रुओं की संख्या अधिक है तो बगलामुखी का मंत्र जाप करें। मंत्र इस प्रकार है-
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:।
2. वाक् सिद्धि हेतु- ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:
3. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:।
4. नौकरी एवं व्यापार में वृद्धि हेतु प्रयोग- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
5. मुकदमे में विजय के लिए- ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।।
इसमें 'सर्वदुष्टानां' की जगह जिससे छुटकारा पाना हो उसका नाम लें।
6. ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
7. ॐ सों सोमाय नमः।
8. ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
9. ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:
10. ॐ ऐं क्लीं सौमाय नमः।