प्रेम गीत : दिल को बहलाया हमने...
दिल को बहलाया हमने यूं कि तुम
मिलो तो भी सही वरना ये तन्हाई ही सही
थोड़ी-सी है प्यास मेरी समंदर का क्या करेंगे
जब तुम नहीं जीवन में तो जीकर क्या करेंगे
है दुआ रहे मुकम्मल बुलंदी तेरी पर थम के रखना इसे
गर्दिश में फलक से गिरने पर चोट बड़ी है लगती
है तजुर्बा मेरा, हो वक्त बुरा तो दुआ देने वाले लोग भी चोट देते हैं बड़ी
ऐ वक्त जितना समझ रहा हूं तुझे
उतना ही तन्हा हो रहा हूं खुद से
जो-जो हालात से हम गुजरे रफ्ता-रफ्ता
हर रिश्ते का भरम उतरा कतरा-कतरा
दौलत भी क्या बला है
इसके बगैर हर हुनर बला है।