जब खोया प्यार लौट आए...
लव-मंत्र
मानसी दोस्तो ! कमोबेश हम सभी बेहतर जीवन जीने का सही तरीका जानते हैं। मसलन समय की अहमियत। सही समय पर सही निर्णय। इलाज से बेहतर एहतियात। इस तरह की हजारों नसीहतें हैं जो हमें बचपन से ही घुट्टी में पिलाई जाती हैं पर नतीजा क्या निकलता है, ढाक के वही तीन पात। फिर तंग आकर बड़े बुजुर्ग बोलते हैं, 'आँख के अंधे को भला क्या समझाया जाए। कोई 'आ बैल मुझे मार' पर ही उतारू हो जाए तो उसे कहाँ तक बचाया जाए।' वगैरह-वगैरह। मजे की बात यह है कि जो तजुर्बेकार लोग हमें ये सीख देते हैं वे खुद भी इसी प्रकार की गलतियाँ दोहराते रहे हैं और अपने बड़ों से ऐसी ही हिदायतें लेते रहे हैं। शायद मनुष्य की फितरत ही यही है कि वह थोड़ी टेढ़ी डगर चुने और मुश्किलों का खुद जायजा ले और हल ढूँढ़े। चैन का रास्ता चुनने के बजाय इंसान साहस व जोखिम को तरजीह देता आ रहा है पर यह जोखिम कई बार पूरी जिंदगी पर भारी पड़ती है। कई बार बहुत ही अहम फैसले को टालते जाना या जो होगा देखा जाएगा वाला दृष्टिकोण अपनाने के कारण बहुत बड़ी कीमत हमें चुकानी पड़ती है। जीवन के किसी नाजुक मोड़ पर लापरवाही वाला नजरिया हमें ले डूबता है और तब समझ में नहीं आता है कि किस तिनके का सहारा लेकर हम मझधार से बाहर निकलें। ऐसे ही एक भँवर में फँस कर रह गए हैं वरुण (बदला हुआ नाम)। वरुण अपनी पड़ोस की एक लड़की को पहली ही नजर में दिल दे बैठे। उनका मिलना-जुलना हुआ, बातें होने लगीं पर मोह भंग होने के बजाय उस लड़की के प्रति उनकी पसंद और भी गहरी होती गई । वरुण की हँसी-खुशी व उदासी पूरी तरह उस लड़की से जुड़ गई । उस लड़की को न देख पाने भर से ही उसका पूरा दिन एकांत में बैठकर आहें भरते हुए बीतने लगा पर हैरानी की बात यह थी कि उस लड़की को अपने मजनूँ की इस दिली हालत का अंदाज बिल्कुल नहीं था क्योंकि अभी तक वरुण ने उसके सामने अपने प्यार का इजहार नहीं किया था।
घर वालों को ज्यों ही इस एक तरफा प्रेम कहानी का पता चला उन्होंने दोनों को आमने-सामने बिठाया और हकीकत बयान करने को कहा पर वरुण की दोस्त ने प्रेम जैसी भावना से इंकार कर दिया। उसके बाद वरुण की स्थिति और भी खराब हो गई। माँ-बाप ने वरुण की शादी कहीं और कर देना ही उचित समझा। कई रिश्ते ठुकराने के बाद आखिरकार वरुण को एक जगह शादी करनी पड़ी। शादी के बस कुछ दिन पहले वरुण की दोस्त ने माना कि उसे भी प्रेम था पर वह स्वीकार नहीं कर पाई थी। हालाँकि तब तक देर हो चुकी थी। वरुण की शादी हो गई। एक छोटी सी बेटी भी है लेकिन इस बेमन की शादी का यह हश्र हुआ है कि वे दोनों तलाक ले रहे हैं। उधर वरुण की दोस्त भी किसी परेशानी में फँसकर बहुत दुखी है। वरुण अपनी पत्नी से अलग होकर अपनी दोस्त से शादी करना चाहते हैं। वरुण जी, कई बार जीवन में ऐसी घटना घट जाती है जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है। हम बस हालात के हाथों मजबूर होते हैं। किसी और का फैसला हमारे जीवन का रुख बदल देता है। ऐसे में एक ही बात दिल में काँटे की तरह चुभती है कि काश अपने भीतर थोड़ी व्यवहारिकता होती, अपनी भावना और हकीकत के साथ सामंजस्य करने की हममें ताकत होती। आपको क्या रास्ता बताऊँ, आपने तो अपने जीवन का रिमोट ही अपनी दोस्त के हाथ में दे रखा है। इसमें कोई शक नहीं कि आज भी आप अपनी दोस्त से बेइंतहा प्यार करते हैं। आपके जीवन में कितनी चीजें बदल गईं पर अपनी दोस्त को आप नहीं भूल पाए। आपकी नन्ही सी बेटी भी आप और आपकी पत्नी को एक परिवार होने का अहसास नहीं करा पाई। ऐसा इसलिए क्योंकि आप अपने प्यार के अलावा किसी और के साथ परिवार की कल्पना नहीं कर पा रहे थे। बदकिस्मती से आपके माता-पिता ने आपकी शादी में जल्दी की पर आपको भी राजी नहीं होना चाहिए था। आपको लगता है आपकी पत्नी एवं उसके घर वाले इस रिश्ते को बर्बाद करने के दोषी हैं पर हो सकता है आपने अपनी पत्नी की उतनी सुध नहीं ली होगी जितनी एक नई-नवेली दुल्हन को अपने पति, अपने जीवन-साथी से उम्मीद होती है। उसे भी आपके प्रेम कहानी का पता चला होगा और तब आपकी हर उदासीनता का उसने एक ही मतलब निकाला होगा। यूँ भी ऐसे नाजुक संबंधों पर यदि कोई शक का चश्मा चढ़ा ले तो हर व्यवहार को देखने का एक ही दायरा बन जाता है।आज भी आपका दिल अपनी दोस्त के दुख के कारण तड़प उठता है। आप दोनों का जीना मुहाल हो चुका है, उधर आपके ससुराल वाले हालात संभालने के बजाय आपकी पत्नी को अलग करने में लगे हैं तो ऐसे में स्थिति सुधरने की कम ही गुंजाइश दिखती है। आप अपनी दोस्त से शादी करना चाहते हैं। सच तो यह है कि यह फैसला भी एक जूए की तरह ही है। बेहतर तो यह है कि आप अपनी पत्नी से थोड़े दिनों के लिए अलग होकर इत्मीनान से इस विषय पर विचार करें। आवेग में उठाया गया कदम हमेशा जोखिम भरा होता है। अपनी दोस्त से भी समझदारी से संवाद बनाएँ। एकतरफा प्यार के बजाय एक-दूसरे को समझें। केवल आपकी चाहत, नरम दिली, बलिदान से आप थक जाएँगे। आपकी दोस्त को भी यही सब कुछ का अहसास आपके लिए भी हो तभी संतुलित गृहस्थ जीवन की नींव पड़ सकती है। एक गलत कदम ने आपका जीवन तबाह कर दिया इसलिए इस तजुर्बे से सबक लेकर ही आगे बढ़ें। इसी में आपकी भलाई है।