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Written By WD

लव टिप्स : रिश्तों में कैसे बनी रहे मिठास....

बेवफा हम नहीं, बेवफा तुम नहीं, फिर क्यूं...

प्यार
प्यार हमको भी है, प्यार तुमको भी है, फिर ये क्या सिलसिले हो गए
बेवफा हम नहीं, बेवफा तुम नहीं, फिर क्यूं इतने गिले हो गए
चलते-चलते कैसे ये फासले हो गए...

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फिल्म ‘चलते-चलते’ के गीत की यह पंक्तियां पति-पत्नी के प्यार भरे रिश्ते की संवेदनशीलता को स्पष्ट रुप से बयां करती हैं। विवाह के बाद आमतौर पर शुरुआत में तो नव-विवाहित जोड़े को एक-दूसरे में सब कुछ अच्छा लगता है लेकिन धीरे-धीरे आपस की छोटी-छोटी बातें भी उनके बीच बड़ी लकीरें खींचने के लिए काफी होती हैं।

दरअसल वैवाहिक जिंदगी में संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों में आपसी समझदारी और सामंजस्य बेहद जरुरी होता है। ज्यादातर जोड़े इसके लिए प्रयास भी करते हैं लेकिन कई बार किसी एक को या दोनों को समझ ही नहीं आता, कि आखिर गलती कहां हो रही हैं? हालांकि यह बहुत सामान्य बात है।

अगर आपका रिश्ता भी ऐसे दौर से गुजर रहा है तो घबराएं नहीं, बस कुछ बातों पर गौर करें। बिना सोचे-समझे किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले यह जानने की कोशिश करें, कि गलती कहां हो रही है और उसे कैसे सुधारा जाए। बस फिर देखिएगा, कि आपकी जोड़ी भी लोगों के बीच कैसे परफेक्ट कपल के तौर पर मिसाल कायम करती है। चलिए इसमें हम आपकी थोड़ी मदद किए देते हैं।

पेश हैं ध्यान देने योग्य कुछ बातें, जिनकी अनेदखी किसी भी जोड़े की सुखी शादीशुदा जिंदगी की गाड़ी को पटरी से उतार सकती है।


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दिल की बात होठों पर न लाना : शादीशुदा जिंदगी में ज्यादातर परेशानियों की जड़ होती है दिल की बात जुबां पर न लाना। ऐसा संकोच, शर्म या डर के कारण भी हो सकता है। साथ ही कई बार पति-पत्नी एक-दूसरे से यह उम्मीद करते हैं कि उनके बिना कहे ही सामनेवाला उनकी बात समझ जाएगा।

अगर ऐसा नहीं होता, तो यह झगड़े की वजह बन जाता है। इसलिए अगर मन में कोई बात हो, तो उसे खुलकर अभिव्यक्त करें। साथ ही हर वक्त अपने साथी से ही उम्मीद न करें, कि वो आपकी बात समझे। हो सकता है वह भी आपसे बिना कहे समझने या आपसे पहल की उम्मीद रख रहा हो।


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किसी भी मुद्दे या झगड़े को लंबा खींचना : आमतौर पर ज्यादा समय तक किसी छोटे-से मुद्दे या झगड़े को भी लंबा खींचना रिश्ते में दरार डालने के काफी होता है। इसी तरह कई बार बातों-बातों में ऐसी बात हो जाती है जो झगड़े का कारण बन जाती है। जाहिर है जिंदगी है तो बातें तो होती रहेंगी, लेकिन यह ध्यान रखना जरुरी है कि वह विवादास्पद मुद्दा या झगड़े का कारण न बन जाए।

सबसे पहले किसी भी मुद्दे को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश करें। फिर अगर दोनों ही तुरंत किसी समाधान पर नहीं पहुंच पा रहे हैं तो कुछ समय के लिए उस मुद्दे को छोड़ देना ही बेहतर रहता है। जब दिमाग शांत हो, तो ठंडे दिमाग से उस पर विचार करें।


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जिम्मेदारियों का सही तरीके से बंटवारा : शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत में नई-नई जिम्मेदारियां अच्छी लगती हैं। हालांकि जैसे-जैसे वक्त बीतने लगता है एक-दूसरे के प्रति ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारियां या तो बोझ बन जाती हैं या दोष। दरअसल ऐसा तब होता है जब काम के बंटवारे में स्पष्टता या स्वभावगत विशेषता का ध्यान नहीं रखा जाता।

इसलिए शुरुआत से ही आपस में काम या जिम्मेदारियों का बंटवारा इस तरह करें, कि जिसे जो काम आता है या दोनों में से जो उसे अच्छे से निभा सके, उसे ही काम सौंपा जाए। साथ ही काम का बंटवारा आपसी सहमति से बराबर या कम-ज्यादा किया जाए।

अक्सर जोड़े बराबर-बराबर काम तो बांट लेते हैं लेकिन हर काम में समय और ऊर्जा अलग-अलग खर्च होती है जिसका शुरु से ही ध्यान रखा जाना बेहद जरुरी है अन्यथा वह बाद में मतभेद का कारण बन जाती है।


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आर्थिक प्रबंध और बजट व्यवस्था : शादी के बाद पति-पत्नी में अक्सर आमदनी-खर्च और बजट वगैरह पर झंझट या झगड़ा होता है। इससे बचने का सबसे सही तरीका है कि दोनों मिल-बैठकर आपसी सहमति से आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब करें।

साथ ही आने वाले समय और जरूरतों के मुताबिक आवश्यक मदों को सम्मिलित करते हुए सही तरह से बजट बनाकर योजनाबद्ध तरीके से खर्च करें।


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किसी तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी : अपने रिश्ते में किसी तीसरे व्यक्ति को न ही शामिल करें और न ही किसी तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी या उसकी वजह से आपस में झगड़ा करें। पति-पत्नी अगर सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो भूलकर भी किसी तीसरे की वजह से अपने बीच दूरियां या विवाद न पनपने दें।

इसी तरह किसी और को अपने रिश्ते से जुड़ी खास बातें बताने से रिश्ते की प्राइवेसी (गोपनीयता) खत्म होती है। कई बार इससे लोगों को बातें बनाने या बेवजह की मुसीबतें खड़ी करने का मौका मिलता है। साथ ही आपस की बातें किसी और के साथ साझा करना आपके साथी को बुरा लग सकता है।

समाप्त