आपका प्यार टाइम पास तो नहीं?
प्यार और फ्लर्टिंग में अंतर होता है
दोस्तो! हम जीवन की कठिनाइयों से दो चार होते ही रहते हैं और जब उसका सामना करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं तो लगता है कि हम भी अच्छे-खासे बहादुर हैं। हमें यकीन होता जाता है कि हमारे साहस को तोड़ पाना इतना आसान नहीं पर कभी-कभी जिंदगी इतना सख्त मोड़ लेती है कि हम हक्के-बक्के से रह जाते हैं। हमारा हौसला बिल्कुल पस्त हो जाता है। हमें विश्वास ही नहीं होता कि वह हम ही थे जिसने इतनी सारी मुश्किलों का इतनी हिम्मत से सामना किया था। थक कर हम हार मान लेते हैं। एक कदम भी आगे बढ़ा पाना नामुमकिन-सा लगता है। जीवन का पेचीदा खेल, खेल पाना असंभव-सा जान पड़ता है पर फिर हम जीवन का नया फरमान स्वीकार कर लेते हैं। साहस बटोरते हैं और नए मोड़ की ओर चल पड़ते हैं। इस कार्य में मदद करता है समय। शायद प्रकृति का यही नियम है। इसका हमें सम्मान करना चाहिए। हर हाल में सकारात्मक सोच में ही भलाई है। बेशक कुछ लोग हम में से खुशकिस्मत होते हैं, जिन पर जिंदगी मेहरबान होती है। वह जिस ओर बढ़ना चाहते हैं, जिंदगी उनका रास्ता हमवार करती जाती है पर ऐसा नहीं होने पर हम बिल्कुल निराश हो जाएँ, यह सही नहीं है।जीवन के ऐसे ही दोराहे पर आज आकर रुक गई हैं नेहा अरोड़ा। नेहा और उनके दोस्त, एयर इंडिया में काम करते हैं और पिछले दो वर्षों से एक-दूसरे से प्यार करते हैं। नेहा के परिवार वाले उन्हें बेहद प्यार करते हैं इसलिए उसकी खुशी के लिए मध्य प्रदेश के पंडित को अपनाने में उन्हें कोई एतराज नहीं है, पर नेहा के दोस्त के परिवार वालों को यह मेल पसंद नहीं है। उनका फैसला है या तो वे या फिर नेहा। यूँ तो यह सीधा-सा मामला था कि नेहा और उनके दोस्त प्यार करते हैं तो एक हो जाएँ पर ऐसा नहीं हो पा रहा है। नेहा के दोस्त फैसला नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने परिवार से भी बहुत प्यार है इसलिए अपने परिवार को नाराज करना उन्हें स्वीकार नहीं। नेहा को लगता है, उसका दोस्त फैसला नहीं ले पा रहा है और वह उसके बिना जी नहीं सकती है।
नेहा जी, आपने लिखा है कि आपके दोस्त को पता ही नहीं चलता है कि कब क्या करना चाहिए इसलिए वह निर्णय नहीं ले पाता है। आप उसे अल्हड़ और भोला समझती हैं पर सच्चाई यह है कि आप बहुत भोली हैं। आपके दोस्त को क्या पढ़ाई करनी थी, कौन-सी नौकरी करनी थी, नौकरी कैसे निभानी है, घर वालों की क्या खुशी है, इन सब बातों का फैसला लेना और खयाल रखना आता है। बस एक बात में आकर वह असमंजस में पड़ जाते हैं! क्या आपसे दोस्ती और प्यार करने के लिए भी उसे किसी ने जबरदस्ती बाध्य किया था। आपसे दोस्ती और प्यार का निर्णय भी आपकी तरह ही, उसका भी अपना था। ऐसे में उसका यह अहसास दिलाना कि अपने घरवालों से दूर होकर वह दुखी ही रहेगा, एक प्रकार से इस रिश्ते के खिलाफ फैसला सुना ही देना है। मेरे खयाल से यदि कोई व्यक्ति किसी को सचमुच प्यार करे तो वहाँ अगर-मगर की गुंजाइश नहीं रहती है। आपके हालात में कम से कम आपका परिवार तो इस जोड़े को गले लगाने को तैयार है। लोग तो पूरी दुनिया की नाराजगी भी उठाकर शादी करते हैं क्योंकि उनकी साथ जीने की इच्छा हर बाधा से ज्यादा प्रबल होती है। यदि आपका प्रेमी आपसे शादी नहीं करता है तो उनसे आप हमेशा के लिए दूर हो जाएँगी जबकि माँ-बाप को मनाने के लिए तो उनके पास पूरी जिंदगी पड़ी है। जब वे उसे प्यार करते हैं तो आज न कल बेटे को माफ कर ही देंगे।आपसे जीवन भर के लिए अलग हो जाने वाली स्थिति पर विचार करना इस बात की पुष्टि करता है कि आपके बिना भी वह आसानी से जी सकता है जबकि आप उसके बिना जीने की कल्पना नहीं कर पा रही हैं। आप लिखती हैं, यदि किसी भावुक दबाव में उसने शादी कर भी ली तो उसका दुख आपसे देखा नहीं जाएगा, आप भी दुखी होंगी। आपका कोमल मन, इतनी संवेदनशील भावना, निश्चय ही सराहनीय है पर इस भावुकता में कोई खास दम नहीं है क्योंकि ऐसा सोचकर आप उसके फैसले को सही जमीन दे रही हैं।जब उसने प्यार करने के बारे में सोचा था तब अपने माता-पिता से राय ली थी! नहीं न। अब क्यों? उसे यदि केवल समय बिताना था, मौजमस्ती करनी थी तो यह बात शुरू के दिन से सामने रखनी चाहिए थी। उसे माँ-बाप, समाज सबकी फिक्र है, बस आपकी नहीं! ऐसे व्यक्ति से यदि आपने शादी कर भी ली तो वह दिन-रात अपनों से बिछुड़ने का उलाहना देकर आपका जीना हराम कर देगा।
जिसे सचमुच प्यार व खुशी चाहिए वह किसी भी कुर्बानी से पीछे नहीं हटते हैं पर यहाँ आपके दोस्त को केवल आपसे बलिदान चाहिए। जिस माँ-बाप के लिए आज वह इतना तमाशा खड़ा कर रहा है, हो सकता है उनकी मर्जी की शादी करने के बाद गाहे-बगाहे ही जीवन में उनसे मिले। तब न उसे और न ही उसके माँ-बाप को कोई मलाल होगा पर वह यह कष्ट आपके लिए नहीं उठाना चाहता है।जो व्यक्ति आपको लेकर इतना आश्वस्त या पक्का न हो, उसके लिए अपने जीवन में धुन लगाना कितना उचित है। आपके दुख से आपके माँ-बाप भी आहत होंगे। उनके प्रति भी आपका कुछ फर्ज बनता है। आपका दोस्त उस माँ-बाप के लिए जो उसकी खुशी के लिए रत्ती भर भी नहीं सोचते हैं, आपको छोड़ने की सोच रहा है तो क्या आप अपने माता-पिता के लिए प्रसन्न जीवन जीने का नहीं सोचेंगी जो आपकी खुशी के लिए उसे भी अपनाने को तैयार हैं। जिन्हें हमारी फिक्र है, जो हमें प्यार करते हैं, उनकी खुशी के लिए जीना हमारा फर्ज है। प्यार और फ्लर्टिंग में अंतर होता है, इसे समझने का यही वक्त है।