बिहार में कौन बनेगा सीएम?
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार। यहां नवंबर में एक ब्लॉकबस्टर फिल्म रिलीज होने वाली है—रहस्य, रोमांच से भरपूर। बिहारियों की पसंद के अनुसार एक्शन का तड़का भी संभव है। रिलीज डेट? चाचा नेहरू के जन्मदिन के बाद, कभी भी। पटकथा लिखी जा रही है, प्रोमो और टीजर के लिए धीरे धीरे बड़े बजट वाली फिल्म की शूटिंग भी दिल्ली से लेकर पाटलिपुत्र तक जारी है।
अब तक की कहानी : नीतीश बाबू का दिल तो सीएम की कुर्सी पर अटका है। अटके भी क्यों नहीं। हर स्थित में दो दशक से यह कुर्सी उनकी ही तो रही है। नीतीश का यह जादू राजनीति के कई जानकारों के लिए अबूझ पहेली रहा। वह ये पता नहीं लगा सके कि सीएम की कुर्सी उनसे चिपकी है! या सीएम की कुर्सी से वह? सबसे बड़ा सवाल तो यह रहा कि इतने मजबूत जोड़ वाला रसायन कौन सा है? संभव है यह पता लगाने के लिए आगे कुछ शोध भी हों। शोध के निचोड़ को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। अगर इस शोध पर कोई किताब आई तो इसका बेस्ट सेलर होना तय है।
हालांकि बिहार का विधानसभा चुनाव नीतीश के ही चेहरे पर लड़ा जा रहा है। पर सीट शेयरिंग में बराबरी का फार्मूला कुछ खटक रहा है। नीतीशजी की दिली इच्छा थी कि ज्यादा नहीं सिर्फ एक सीट देकर उनके बड़े भाई के दर्जे को बरकार रहने दिया जाए। उनके लाख चाहने के बावजूद उनकी 'बिग ब्रदर' वाली स्क्रिप्ट बदलकर उनको चुनावी दंगल में बराबरी पर खड़ा कर दिया गया। अब वो खुद को दिलासा दे रहे हैं कि दो दशक से, चाहे सीटें कम हों या ज्यादा, कुर्सी तो उनकी ही रही। जीतन राम मांझी? उनका कार्यकाल तो बस मुगलकाल में शेरशाह सूरी सा एक छोटा-सा इंटरवल था। वह भी उनकी मर्जी से हुआ था। लेकिन राजनीति का इतिहास नीतीश की इस फंतासी का साथ नहीं दे रहा।
सब कुछ अब JDU और BJP के विधानसभा स्ट्राइक रेट पर टिका है। फिल्म के बाकी पात्र — प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव, राहुल गांधी— सब खुद या अपने दल के लिए सीएम की कुर्सी की रेस में। सबका दावा, 'कुर्सी मेरी! कुर्सी मेरी' की है। उनकी भूमिका के अनुसार फिल्म में अभी और भी ट्विस्ट आ सकता है।
पूरी फिल्म रिलीज होने के पहले आप प्रोमो और टीजर का मजा लें।