अत: छुटभैये नेताओं से लेकर स्टार प्रचारक तक सस्ते से सस्ते बोलों का प्रयोग कर रहे हैं। प्रत्येक बोल के साथ एक वैधानिक चेतावनी अवश्य होती है जिसे हर राजनेता संविधान की प्रस्तावना की तरह अनदेखा कर देता है- 'बोल, बाजार के जोखिमों के अधीन हैं, कृपया बोलने से पहले तोल लें एवं टटोल लें।' विगत सप्ताह गुजरात में संपन्न विधानसभाचुनाव में सत्तासीन पक्ष की अप्रभावी, निराशाजनक, दुर्भाग्यशाली विजय हुई और अनादि काल से विपक्ष में स्थापित पार्टी की शानदार, धमाकेदार हार दर्ज हुई। हालांकि चुनाव तो हिमाचल में भी हुए थे, पर उस विषय में न कोई चर्चा हुई और न ही यह इस लेख का विषय है।