बुधवार, 25 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. गरीब देशों को मिल पाएगी कोरोना वैक्सीन?
Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 19 नवंबर 2020 (09:10 IST)

गरीब देशों को मिल पाएगी कोरोना वैक्सीन?

Coronavirus | गरीब देशों को मिल पाएगी कोरोना वैक्सीन?
जैसे ही कोरोना की वैक्सीन बन जाने की खबर आई तो अमीर देशों ने धड़ाधड़ उसके लिए ऑर्डर देने शुरू कर दिया। वैक्सीन से संक्रमण और मौतों को रोकने में कामयाबी मिल सकती है। लेकिन सवाल यह है कि गरीब देशों के वैक्सीन कब मिलेगी।
 
कई देशों में कोरोना की वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है। इनमें से एक वैक्सीन दवा कंपनी फाइजर और जर्मन स्टार्टअप बियोनटेक ने बनाई है। उनका कहना है कि आने वाले कुछ हफ्तों में वे वैक्सीन की खुराक जारी करने लगेंगे। बस उन्हें दवा संबंधी एजेंसियों से टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमित का इंतजार है। उनका कहना है कि अगले साल टीके की 1.3 अरब डोज तैयार हो सकती हैं।
फाइजर और बियोनटेक ने जो टीका तैयार किया है, उसके फेज 3 क्लिनिकल ट्रॉयल के नतीजे दिखाते हैं कि वह कोविड-19 के लक्षणों की रोकथाम में 90 प्रतिशत प्रभावी है। जिन हजारों वॉलंटियरों पर उसे परखा गया, उनमें कोई साइड इफेक्ट भी नहीं दिखे। कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गरीब और विकासशील देशों को वैक्सीन हासिल करने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में अरबों लोग टीके से महरूम हो सकते हैं।
 
गरीब देशों की चिंता
 
संक्रमण से बचने के लिए एक व्यक्ति को इस टीके की 2 खुराकें देनी होंगी जिनकी कीमत 40 डॉलर होगी। अमीर देशों ने करोड़ों की तादाद में ऑर्डर भी दे दिए हैं, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि गरीब देशों तक वैक्सीन कैसे पहुंचेगी? ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिसिन डिपार्टमेंट से जुड़े ट्रूडी लांग कहते हैं कि अगर हमारे पास सिर्फ फाइजर की वैक्सीन है तो हर व्यक्ति को इसकी 2 खुराकों की जरूरत होगी। ऐसे में नैतिक रूप से यह मुश्किल दुविधा होगी।
मंजूर होने वाली किसी भी वैक्सीन का वितरण समान रूप से हो, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अप्रैल में सीओवीएएक्स केंद्र बनाया था। यह केंद्र सरकारों, वैज्ञानिकों, सामाजिक संस्थाओं और निजी क्षेत्र को एकसाथ लाता है हालांकि फाइजर अभी इसका हिस्सा नहीं है। कंपनी के प्रवक्ता ने एएफपी को बताया कि उन्होंने सीओवीएएक्स को संभावित आपूर्ति के बारे में अपनी इच्छा के बारे में सूचित कर दिया है।
 
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवेलपमेंट में पॉलिसी फेलो रशेल सिल्वरमन कहती हैं कि इस बात की संभावना कम है कि कोरोना वायरस के पहले टीके गरीब देशों तक पहुंच पाएंगे। टीके की खरीद के लिए फाइजर के साथ होने वाले एडवांस कॉन्ट्रैक्टस के आधार पर उन्होंने गणना की है कि 1.1 अरब डोज पूरी तरह से अमीर देशों में जानी हैं। वह कहती हैं, बाकी औरों के लिए ज्यादा कुछ बचा ही नहीं है।
 
नैतिकता का तकाजा
 
जापान और ब्रिटेन जैसे जिन देशों ने टीके के लिए पहले से ऑर्डर दे रखा है, वे सीओवीएएक्स के सदस्य हैं। ऐसे में हो सकता है कि वे जो टीके वे खरीदें, उनमें से कुछ विकासशील देशों को मिलें। वहीं 60 करोड़ डोज का ऑर्डर देने वाला अमेरिका सीओवीएएक्स में शामिल नहीं है लेकिन जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद स्थिति बदल सकती है।
 
संयुक्त राष्ट्र की बाल कल्याण संस्था यूनिसेफ में कोविड-19 वैक्सीन समन्वयक बेन्यामिन श्राइबर मानते हैं कि यह बहुत जरूरी है कि सभी देशों को नई वैक्सीन मिलनी चाहिए। वे कहते हैं कि हमें वाकई ऐसी स्थिति से बचना चाहिए, जहां सारे अमीर देश वैक्सीन पर कब्जा कर लें और फिर गरीब देशों के लिए पर्याप्त वैक्सीन ना बचें।
 
एके/ओएसजे (एएफपी)
ये भी पढ़ें
महाराष्‍ट्र में मंदिर पर सियासत, शिवसेना का सवाल- भाजपा का सिर घुम गया क्या...