मनीष कुमार
बिहार में चाहे नौकरी के लिए ली जाने वाली परीक्षा हो या फिर दसवीं-बारहवीं की, पेपर लीक होना जैसे तय है। परीक्षाओं में अब नकल तो नहीं हो रही, किंतु परीक्षा शुरू होते ही सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र वायरल होने लगता है।
बिहार में हाल के कुछ वर्षों में ली गई 90 प्रतिशत परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। 2017 में कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली गई परीक्षा में पेपर लीक होने के मामले में एक आईएएस अधिकारी जेल भी भेजे जा चुके हैं। बिहार पुलिस में 21,391 सिपाही (जवान) की नियुक्ति के लिए परीक्षा बीते एक अक्टूबर को केंद्रीय चयन परिषद (सिपाही भर्ती) के द्वारा ली गई थी। पेपर लीक होने के कारण इसे तो रद्द किया ही गया, सात और 15 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा को भी अगले आदेश तक स्थगित कर दी गई। पहले तो चयन परिषद पेपर लीक होने से इन्कार करती रही, लेकिन बाद में तीन अक्टूबर को परीक्षा रद्द करने की घोषणा करनी पड़ गई।
5.5 से 15 लाख तक में डील
पुलिस मुख्यालय के अनुसार पेपर लीक के केवल इस मामले में प्रदेश के 24 जिलों में 74 एफआईआर दर्ज की गई है और विभिन्न जगहों से 150 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनके पास से बड़ी संख्या में ब्लूटूथ डिवाइस, वॉकी-टॉकी, एंटी जैमर, मोबाइल फोन, परीक्षार्थियों के दस्तावेज और नकदी बरामद की गई। बिहार सरकार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) इस मामले की जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, इस परीक्षा में पटना से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के माफिया पेपर लीक करने तथा आंसर शीट भेजने की प्रक्रिया में जुटे थे। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार शिक्षा माफियाओं ने प्रति उम्मीदवार साढ़े पांच से पंद्रह लाख तक का सौदा किया था, जिसमें बतौर एडवांस वे 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक ले चुके थे। परीक्षा शुरू होने के पहले 30-30 हजार रुपये में आंसर की अभ्यर्थियों को बेचे जाने की बात भी सामने आ रही है। परीक्षा के ठीक एक दिन पहले तीन लोगों को पटना पुलिस ने पकड़ा था।
कई स्तर पर होता है फर्जीवाड़ा
राज्य में शिक्षा माफिया, नेता व अधिकारी का ऐसा गठजोड़ तैयार हो गया है, जो परीक्षा की घोषणा किए जाने के पहले से सेटिंग का काम शुरू कर देता है। सेंटर मैनेज करने से लेकर पेपर लीक करने की कवायद शुरू हो जाती है। सबसे पहले गिरोह शिकार ढूंढता है। इसके बाद शुरू होती है पेपर लीक करने की कवायद, चाहे परीक्षा ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। अगर ऑनलाइन होना है तो सेंटर मैनेज किया जाता है, वहीं ऑफलाइन होता है तो पेपर की छपाई करने वाले प्रिंटिंग प्रेस से किसी न किसी तरह प्रश्न पत्र का जुगाड़ किया जाता है।
परीक्षा से दो-तीन दिन पहले सेटिंग वाले अभ्यर्थी को पेपर व आंसर दे दिया जाता है। कोशिश की जाती है परीक्षार्थी आंसर रट ले या फिर सेंटर मैनेज कर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के सहारे कैंडिडेट की मदद की जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ओएमआर शीट पर स्पेशल पेन से उत्तर के लिए गोले भरवाए जाते हैं और फिर बाद में उसे मिटा कर सही गोले भरे जाते हैं।
बिहार की परीक्षाओं में घोटालों का पुराना इतिहास है। वर्ष 2016 में बिहार का नाम उस समय काफी चर्चा में आया था, जब कुछ टीवी पत्रकारों ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) आर्ट्स की टॉपर रूबी राय से उसके सब्जेक्ट के बारे में बात की थी। रूबी राय ने पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस बताया था, जिसमें उसे सौ में 91 नंबर मिले थे। जांच में यह बात सामने आई कि उसने अपनी कॉपी खुद नहीं लिखी थी। इस घटनाक्रम के बाद बीएसईबी ने अपनी कार्यप्रणाली में काफी बदलाव किया।
क्यों नहीं लग पा रही है रोक
पटना में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे गौरव चौधरी कहते हैं, ‘‘बड़ी मुश्किल से घर से पैसा मिल रहा था। यहां ऐसे ही परीक्षा कैंसिल होती रहती है। पता नहीं, ऐसे में नौकरी मिलेगी भी या नहीं।'' परीक्षा रद्द होने से क्षुब्ध होकर पूर्णिया में तो सूरज कुमार नामक एक अभ्यर्थी ने जहर पी लिया।
परीक्षाओं के रद्द होने पर जब जो पार्टी सत्ता में होती है, उसका कहना होता है कि कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जा रही है। वास्तव में शुरुआती जांच के बाद पुलिस जालसाजों की गिरफ्तारी तो करती है, लेकिन उसके बाद आगे नहीं बढ़ती है। जो पकड़े जाते हैं वे छह-सात माह बाद साक्ष्य के अभाव में छूट जाते हैं और वे फिर अपने धंधे में जुट जाते हैं।
छात्र नेता धीरज कहते हैं, ‘‘यहां भी झारखंड, उत्तर प्रदेश या फिर गुजरात की तरह कड़े कानून के प्रावधान की जरूरत है। झारखंड में जो पेपर लीक के आरोप में पकड़ा जाता है, उसे उम्रकैद तक की सजा मिल सकती है, साथ ही दो करोड़ से दस करोड़ तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में तो ऐसे लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान है।''
अगर परीक्षा रद्द ना भी हो तो नकलची सफल हो जाते हैं और मेधावी बाहर ही रह जाते हैं। ऐसे में बेरोजगार नौजवानों का आर्थिक व मानसिक शोषण होता है। जनवरी, 2021 में दारोगा व सिपाही की नियुक्ति के लिए शारीरिक परीक्षा में 370 अभ्यर्थी पकड़े गए थे। इन अभ्यर्थियों ने अपनी जगह साल्वर को बैठाकर लिखित परीक्षा पास की थी।
तीन साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी कोई परीक्षा माफिया या साल्वर अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। शिक्षाविद गुरु रहमान कहते हैं, ‘‘बिहार में अब तक पेपर लीक के जितने भी मामले हुए हैं, उनमें सिर्फ छोटी मछली ही पकड़ी गई है। कोई मगरमच्छ हाथ नहीं आया है।'' बिहार में जनसुराज पदयात्रा कर रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘‘बिहार में प्रश्न पत्र का लीक होना कोई न्यूज़ नहीं है। हां, बिना पेपर लीक हुए परीक्षा हो जाए, वो जरूर न्यूज है।'' भारत में बिहार अकेला ऐसा राज्य है जहां परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने की इतनी घटनाएं लगातार हो रही हैं।