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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 21 दिसंबर 2021 (08:06 IST)

क्या है पनामा पेपर मामला और अब क्यों बुलाई गईं ऐश्वर्या राय?

क्या है पनामा पेपर मामला और अब क्यों बुलाई गईं ऐश्वर्या राय? - Why ED called Aishwarya rai in Pamana papers case
साल 2016 में ऐश्वर्या के साथ-साथ अमिताभ बच्चन का नाम भी पनामा पेपर्स में आया था। अब उस मामले में ऐश्वर्या राय बच्चन को पूछताछ के लिए बुलाया गया।
 
पनामा पेपर्स मामले में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन से पूछताछ की है। पनामा पेपर्स मामला साल 2016 में सामने आया था, जिसमें भारत समेत दुनिया भर के रईसों की टैक्स फ्री देशों में मौजूद संपत्तियों की जानकारी दी गई थी।
 
‘द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐश्वर्या ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में एमिर पार्टनर्स नाम की एक कंपनी खोलने का आरोप है। इसके अलावा अपने पति अभिषेक बच्चन के विदेशी बैंक अकाउंट में बड़ी मात्रा में पैसा जमा कराने का भी आरोप है। इसके मद्देनजर ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम(फेमा) के तहत मामला दर्ज किया है।
 
ऐश्वर्या तीसरी बार समन मिलने पर पूछताछ में शामिल हुई हैं। पहले दो मौकों पर उन्होंने पूछताछ से छूट मांगी थी। पनामा पेपर्स मामले में ही अभिनेता और ऐश्वर्या के ससुर अमिताभ बच्चन का नाम भी आया था।
 
क्या है पनामा पेपर्स?
पानामा पेपर्स ने साल 2016 में दुनिया भर के उन लोगों खुलासा किया था, जिन्होंने पानामा की लॉ कंपनी ‘मोसाक फोन्सेका' की मदद से विदेशों में अपनी संपत्तियां बनाई थीं। जिन देशों में ये संपत्तियां बनाई गईं, उन्हें ‘टैक्स हैवन' कहा जाता है। इन देशों की कानून व्यवस्था पैसा जमा करवाने वाले की असल पहचान छुपाने में मदद करती है। पनामा पेपर्स से पता चला कि भारतीय कानूनों के तहत इजाजत ना होने के बावजूद कुछ भारतीयों ने पनामा की लॉ फर्म ‘मोसाक फोन्सेका' की मदद से ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कंपनियां बनाईं।
 
कुछ ने विदेशों में हुई कमाई पर लगने वाला टैक्स बचाने के लिए टैक्स हैवन देशों में विदेशों से हुई कमाई जमा करवा दी। कुछ लोगों ने सरकारी ठेके या अपराध से कमाई संपत्ति को ठिकाने लगाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया। पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, बहामास, केयमेन आइलैंड्स, बरमूडा जैसे कई देश टैक्स हैवन की तरह काम करते हैं।
 
पनामा पेपर्स तक कैसे पहुंचे?
जर्मन अखबार ‘ज्यूडडॉएचे त्साइटुंग' को ‘मोसाक फोन्सेका' के वित्तीय लेनदेन का करीब 2,600 जीबी डेटा मिला था। इसमें 1975 से 2015 तक के लेनदेन की जानकारी थी। ज्यूडडॉएचे त्साइटुंग ने इसे खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह- इंटरनैशनल कॉन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) से साझा किया। इस समूह ने 70 देशों के 370 रिपोर्टरों के साथ मिलकर डेटा की जांच की।
 
भारत की ओर से ‘द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार ने पनामा पेपर्स की जांच की थी। भारतीय पत्रकार- पी वैद्यनाथन अय्यर और जय मजूमदार जांच करने वाले दल के सदस्य थे। दोनों ने 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा फाइलों में से भारत से जुड़ी  36,957 फाइलें तलाशी थीं।
 
बस कालाधन छुपाने का जरिया है?
देश से पैसा विदेश भेजने या विदेश से देश में पैसा भेजने के लिए कंपनियों या बैंक खातों का इस्तेमाल हो सकता है। इसका मतलब ये नहीं कि हर विदेशी खाता या बैंक अकाउंट फर्जीवाड़ा करने के लिए खुलवाया जा रहा है। हालांकि लंबे समय से, खासतौर पर टैक्स हैवन्स में विदेशी खातों या कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स चोरी या अनाधिकृत स्रोत से कमाए गए पैसे को सुरक्षित करने के लिए किया जाता रहा है।
 
पनामा पेपर्स में जिन नामी भारतीयों का नाम आया था, उनमें- अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अजय देवगन, विनोद अदाणी, शिशिर बजौरिया, गड़वारे परिवार, अपोलो ग्रुप के चेयरमैन ओंकार कंवर, वकील हरीश साल्वे, टैफे की चेयरमैन मल्लिका श्रीनिवासन, डीएलएफ के केपी सिंह और परिवार का नाम प्रमुख है।
 
पनामा पेपर्स की तरह ही ICIJ ने दुनिया भर के चुनिंदा पत्रकारों के साथ मिलकर साल 2021 में पेंडोरा पेपर्स की जांच प्रकाशित की है। इसमें भी कई भारतीयों का नाम आया था। इनकम टैक्स विभाग ने कार्रवाई करते हुए ऐसे लोगों को नोटिस भेजे हैं।
 
रिपोर्टः रजत शर्मा
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