मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Why are tech companies doing so many layoffs in India?
Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 24 नवंबर 2022 (09:14 IST)

Economy : भारत में क्यों इतनी छंटनी कर रही हैं टेक कंपनियां?

Economy : भारत में क्यों इतनी छंटनी कर रही हैं टेक कंपनियां? - Why are tech companies doing so many layoffs in India?
-मुरली कृष्णन
 
पिछले कुछ महीनों में भारत में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। छंटनी करने वालों में वे टेक कंपनियां सबसे आगे हैं जिनमें कोविड के दौरान जमकर भर्तियां हुई थीं। नेहा सेतिया मुंबई में एक मल्टीनेशनल टेक कंपनी में सीनियर मैनेजर थीं। पिछले महीने जब उनके कई दोस्तों को कंपनी ने नोटिस थमा दिए तो उनके मन में भी आशंकाएं घर करने लगीं।
 
उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि मुझे पता था कि कोविड के दौरान ई-कॉमर्स का विस्फोट हुआ था और तब निवेशक उस ओर आकर्षित हुए थे। बाजार की अस्थिरता के बीच जैसे ही महामारी खत्म हुई, टेक कंपनियों के सामने संकट खड़ा होने लगा। लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि संकट इतनी जल्दी आ जाएगा।
 
प्रज्ञा कपूर दिल्ली में एक कंपनी में काम करती हैं। वे कहती हैं कि उनके वरिष्ठों ने उन्हें बता दिया है कि वैश्विक संकट के कारण लोगों की छंटनी की जा रही है। कपूर ने कहा कि मुझे बताया गया कि अब मेरी जरूरत नहीं है। इसका मेरे काम से कोई लेना-देना नहीं था। एकाएक उन्होंने मुझे छंटनी की एवज में पैसा देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
 
नेहा और प्रज्ञा जैसी कहानियां हजारों भारतीय युवाओं की हैं जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में अपनी नौकरियां गवाईं हैं। ये लोग बड़ी टेक कंपनियों से निकाले गए हैं। आमतौर पर माना जाता है कि ये कंपनियां खूब पैसा खर्च करती हैं लेकिन अब ये बड़े पैमाने पर कटौती भी कर रही हैं।
 
बड़ी कंपनियों में छंटनी
 
शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वालीं टेक कंपनियां जैसे कि यूनिकॉर्न बायजू जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है। बायजू तो भारत के सबसे अमीर स्टार्ट-अप में से एक है जिसने पिछले कुछ महीनों में 2,500 लोगों को निकाला है।
 
उद्योग जगत पर नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि भारत में 44 स्टार्ट-अप कंपनियों ने अपने यहां छंटनी की है। अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी छंटनी कर रही हैं। एप्पल, मेटा और एमेजॉन ने या तो नई भर्तियां बंद कर दी हैं या फिर लोगों को निकाला है।
 
एक जॉब पोर्टल में वरिष्ठ पद पर काम करने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर डॉयचे वेले को बताया कि जब अगस्त में वैश्विक टेक जगत में छंटनियां शुरू हुईं, तभी यह साफ हो गया था कि यह तूफान भारत तक भी पहुंचेगा। यह भी सच है कि अमेरिका में बढ़ती महंगाई के कारण कई कंपनियां अब भारत में भी विज्ञापन पर खर्च नहीं करना चाहतीं। नतीजा छंटनी के रूप में सामने आ रहा है।
 
रिपोर्ट बताती हैं कि एलन मस्क के कमान संभालने के बाद ट्विटर ने तो अपने लगभग आधे कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। उसका असर फेसबुक की कंपनी मेटा पर भी दिखाई दिया जिसने करीब 11,000 लोगों को निकालने की बात कही है। इसका असर भारत में काम करने वाले लोगों पर भी होगा। अन्य कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, सेल्सफोर्स और ऑरैकल शामिल हैं, जहां से लोगों की नौकरियां गई हैं या जा रही हैं।
 
वैश्विक संकट
 
पिछले हफ्तों में हुई छंटनी इन कंपनियों के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी कही जा रही है। इसकी वजहों में कोविड महामारी के कारण पैदा हुआ आर्थिक संकट और यूक्रेन युद्ध भी शामिल है। आलम यह है कि अब ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि आईटी कंपनियों के लिए एक अंधेरा युग आने वाला है। भारत को हमेशा आईटी उद्योग में विकास के बड़े रास्ते के रूप में देखा जाता है इसलिए इस अंधकार का असर भारतीय बाजार पर होना लाजमी है।
 
यूनिकॉर्न बिजनेस मॉडल और टेक कंपनियों की बर्बादी जैसी आशंकाओं के बीच यह देखा जा रहा है कि स्टार्ट-अप कंपनियों पर दबाव बहुत ज्यादा है और कई कंपनियों ने अपने यहां बड़े बदलाव का ऐलान किया है जिसका एक हिस्सा लोगों को हटाना भी होगा।
 
टेक स्टार्ट-अप कंपनियों को कानूनी सलाह-मश्विरा उपलब्ध कराने वाली कंपनी लीगलविज के संस्थापकों में से एक श्रीजय सेठ कहते हैं कि महामारी के दौरान टेक कंपनियों में उछाल आया और अतिरिक्त भर्तियां हुई थीं। जाहिर है, उसका नतीजा उम्मीद के उलट निकला।
 
सेठ कहते हैं कि अब कंपनियों के सामने बढ़ी हुई ब्याज दरें भी हैं जिसके कारण उधार लेने की क्षमता घट गई है। डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के कारण पूरी दुनिया में कंपनियों के लिए तेजी से बदलते हालात का सामना करना मुश्किल हो गया है। भारत भी उस आंच को महसूस कर रहा है। चीजों को शांत होने में 1 से 2 तिमाहियां लग सकती हैं।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
भारत में सरना धर्म की मान्यता के लिए जोर पकड़ता आंदोलन