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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 19 जुलाई 2022 (09:03 IST)

जलवायु लक्ष्यों पर भारी पड़ता रोटी, तेल का संकट

जलवायु लक्ष्यों पर भारी पड़ता रोटी, तेल का संकट - war must not stop climate fight german summit hears
जर्मनी और मिस्र के नेताओं ने औद्योगिक देशों में अपील की है कि वे यूक्रेन युद्ध के कारण जलवायु लक्ष्यों को ना भूलें। यूक्रेन युद्ध के कारण कई देश कोयले और परमाणु ऊर्जा से बिजली पैदा करने के रास्ते पर लौटने लगे हैं।
 
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में पीटर्सबेर्ग क्लाइमेट डायलॉग के पहले दिन जर्मनी और मिस्र के नेताओं ने नवंबर 2022  में होने वाले जलवायु सम्मेलन COP27 के बारे में बातचीत की। आम तौर पर पीटर्सबेर्ग क्लाइमेट डायलॉग जर्मनी के बॉन शहर के पीटर्सबेर्ग में होता है, लेकिन इस बार यह आयोजन बर्लिन में किया गया।
 
जर्मनी और मिस्र के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी के बीच जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण COP27 की सफलता कठिन हो गई है। बेयरबॉक ने कहा, "वैश्विक हालात इसे आसान नहीं बना रहे हैं।" उन्होंने यूक्रेन में जारी रूसी हमले को "वैश्विक ऊर्जा और खाद्यान्न संकट" के लिए जिम्मेदार ठहराया। जर्मन विदेश मंत्री के मुताबिक दुनिया भर में लाखों लोग गरीबी और भूख की तरफ धकेले जा रहे हैं।
 
जून में बॉन में हुई मिस्र कॉन्फ्रेंस के बाद COP27 को सफल बनाने के लिए मिस्र के नेता कई कोशिशें कर रहे हैं। लेकिन सोमवार को बर्लिन में तैनात मिस्र के राजदूत मोहम्मद नस्र की आवाज में निराशा का पुट था। नस्र ने माना कि नई चुनौतियों की वजह से जलवायु परिवर्तन को रोकने वाले कदम पीछे खिसक रहे हैं।
 
यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले भी जलवायु सम्मेलन तकनीकी बिंदुओं पर अटक जाते थे। इन बिंदुओं में सबसे अहम गरीब और कमजोर देशों के लिए समृद्ध देशों द्वारा प्रभावी "लॉस एंड डैमेज" फंड बनाए जाने की मांग है। इस बीच जर्मन विदेश मंत्री ने हालात से निपटने, नुकसान और हर्जाने के लिए जरूरी वित्तीय मदद देने पर सहमति जताई है। लेकिन इतना पैसा आएगा कहां से, इसकी ठोस योजना नदारद है।
 
रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से दुनिया के कई देशों के सामने ऊर्जा और खाद्यान्न संकट खड़ा हो गया है। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े तमाम संगठनों के मुताबिक, मौजूदा दौर में जलवायु लक्ष्य गुम से हो गए हैं। हालांकि फोरम को संबोधितक करते हुए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि रूस के हमले के कारण वे "2045 तक जर्मन अर्थव्यवस्था को कार्बन न्यूट्रल बनाने के प्रति और ज्यादा वचनबद्ध" हुए हैं। हालांकि रूसी गैस सप्लाई बंद होने के कारण अब जर्मनी भी अपने पुराने कोयला बिजली घरों को फिर से चालू करने की योजना बना रहा है।
 
कोयला, गैस और परमाणु बिजलीघरों को चालू करने की जर्मन योजना का बचाव करते हुए चांसलर शॉल्त्स ने कहा, "इस बात से कोई संतुष्ट नहीं होगा कि हमारे देश में कोयले से मिलने वाली बिजली की हिस्सेदारी फिर से बढ़ने जा रही है।" लेकिन उन्होंने इसे अल्पावधि का एक आपात कदम करार दिया।
 
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने अमीर देशों से अपील करते हुए कहा कि वे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग जारी रखें। अल-सिसी के मुताबिक, "दुनिया इस वक्त जिस नाजुक वक्त से गुजर रही है, इसमें यह अहम हो जाता है कि हम सब कोशिशें करें और चुनौतियों का मिलकर सामना करें।"
 
जर्मनी में हर साल होने वाला पीटर्सबेर्ग क्लाइमेट डायलॉग असल में पूर्व जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने शुरू किया था। 2009 में कोपेनहेगन में COP15 के दौरान गतिरोध होने के बाद पीटसबेर्ग क्लाइमेट डायलॉग शुरू किया गया। इसका लक्ष्य जलवायु सम्मेलन COP के फैसलों को ट्रैक करना और आने वाले सम्मेलनों को असरदार बनाने की दिशा में काम करना है।
 
ओएसजे/एनआर (एएफपी, डीपीए)
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