अगर आपको सड़क पर किसी का बटुआ पड़ा मिले तो आप क्या करेंगे? उसे खोल कर देखेंगे कि उसमें क्या है? क्या रुपये पैसे निकालकर बटुआ छोड़ देंगे या किसी भी तरह बटुए को उसके मालिक तक पहुंचाएंगे। देखिए रिसर्च में क्या पता चला।
आम तौर पर कहा जाता है कि पैसों से भरा बटुआ लेकर नहीं चलना चाहिए। यह बात इसलिए कही जाती है ताकि बटुआ चोरी ना हो जाए। लेकिन अब एक नई रिसर्च बताती है कि पैसों से भरे खोए बटुए के मिलने की संभावना अधिक होती है। ज्यूरिख, मिशिगन और ऊटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में ये जानने की कोशिश की है कि दुनिया भर में लोग कितने ईमानदार हैं।
शोधकर्ताओं ने 40 देशों में वहां के नागरिकों की संख्या के हिसाब से करीब 17 हजार नकली बटुए इधर-उधर डाले। ये बटुए बैंक, थियेटर, पोस्ट ऑफिस, होटल, पुलिस थाने और सरकारी इमारतों के पास आसपास के इलाके में रखे गए। इसके बाद उन्होंने यह देखने के लिए इंतजार किया कि इन बटुओं को उठाने वाले लोग उनके मालिकों से संपर्क करते हैं या नहीं।
इन बटुओं में बिजनेस कार्ड (जिस पर उस व्यक्ति की जानकारी लिखी थी जहां बटुए वापस किए जा सकते थे), किराने के सामान की सूची, चाबी और कुछ पैसे थे। कुछ बटुओं में पैसे नहीं भी थे। जो बटुए फेंके गए थे उनमें इस बात का ध्यान रखा गया था कि पैसे उस इलाके और देश के आम आदमी की क्रय शक्ति (परचेसिंग पावर) के करीब हों। रिसर्चरों ने देखा कि ऐसे बटुए जिनमें कुछ रुपये-पैसे थे उन्हें उनके मालिकों तक अधिक संख्या में पहुंचाया गया। वहीं पैसे से खाली बटुओं की वापसी के लिए लोगों ने मेहनत नहीं की।
शोध के ये परिणाम 40 में से 38 देशों के लिए काफी सटीक थे, हालांकि अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणी इससे उलट थी। वहीं पेरू और मेक्सिको के नतीजे अपवाद रहे लेकिन वे नतीजे सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं है। स्टडी में सह लेखक क्रिस्टियान सुंड ने कहा, "जैसे नतीजे मिले हैं वे विश्व भर में लागू होते हैं।"
चोर जैसा महसूस होता है
पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका में रिसर्चरों ने एक अतिरिक्त संभावना भी देखी। शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन बटुओं में 94 डॉलर मतलब तकरीबन साढ़े छह हजार या इससे अधिक की राशि थी, उन्हें वहां ज्यादा रिटर्न किया गया। शोधकर्ताओं ने लोगों के बीच सर्वे किया और पाया कि पैसों से भरा बटुआ अपने पास रखने पर व्यक्ति को एक चोर जैसा महसूस होता है इसलिए बटुए को रखने की बजाय लोग उसे असली मालिक को वापस करना ज्यादा पसंद करते हैं।
पहले इस स्टडी का केंद्र यूरोपीय देश ही थे, लेकिन बाद में इस शोध को और विस्तृत किया गया और दुनिया के अन्य देशों को भी शामिल किया गया। जिन देशों को शामिल किया था वह यूरोपीय और अन्य पश्चिमी मुल्क थे। शोधकर्ता क्रिस्टियान कहते हैं कि वह मेक्सिको और पेरू में और भी अधिक रिसर्च करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों इन दोनों देशों में लोगों ने पैसों से भरे वॉलेट, मालिकों को वापस नहीं किए।
वापस किए गए बटुए
शोधकर्ता ये भी मान रहे हैं कि लोगों की ईमानदारी और देश की आय स्तर के बीच सीधा संबंध होता है। स्टडी के मुताबिक स्विट्जरलैंड में बटुए लौटाने की दर तकरीबन 76 फीसदी रही, वहीं चीन में महज 14 फीसदी लोगों ने बटुए लौटाए। क्रिस्टियान ने समझाया कि बटुए लौटाने की दर और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार सूचकांक में भी संबंध साफ दिखता है। जिस देश में भ्रष्टाचार अधिक होगा वहां बटुए लौटाने की दर अन्य देशों के मुकाबले कम होगी। मतलब उन देशों में खोए हुए बटुए मिलने की उतनी कम संभावना है। स्टडी में मिली बातों पर उन्होंने कहा, "हम अन्य लोगों के व्यवहार और सोच को लेकर ज्यादा ही कटुता रखते हैं।"
- सैम बेकर/एए