भारत में टिक टॉक पर क्यों लगी रोक?
चीन का वीडियो ऐप टिकटोक अब भारत में गूगल और एप्पल के ऐप स्टोर में नहीं दिखेगा। तमिलनाडु की एक अदालत ने इस ऐप को डाउनलोड करने पर रोक लगा दी है। भारत में इसे बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल कर रहे थे। आखिर क्यों लगाई गई रोक?
टिक टॉक के जरिए यूजर छोटे छोटे वीडियो बना कर उन्हें शेयर कर सकते हैं। स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए बनाए जाने वाले ये वीडियो भारत के किशोरों को खूब भा रहा था। हालांकि कुछ नेताओं का कहना है कि इसके जरिए आपत्तिजनक वीडियो बनाए जा रहे थे।
तमिलनाडु की अदालत ने केंद्र सरकार से 3 अप्रैल को टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा। कोर्ट का कहना है कि इससे पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि यौन अपराधी बच्चों को निशाना बना सकते हैं।
सूचना तकनीक मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इसके बाद केंद्र सरकार ने एप्पल और गूगल को पत्र लिख कर कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कहा। गूगल ने अपने प्ले स्टोर से टिकटोक को कोर्ट के निर्देश के अनुसार हटा दिया है। बुधवार को प्ले स्टोर पर टिक टॉक नहीं नजर आया। गूगल ने बयान जारी कर कहा है कि वह किसी ऐप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता लेकिन उसे स्थानीय कानून का पालन करना है। एप्पल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भारत में टिकटोक के प्रवक्ता ने ऐप हटाए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि मामला अभी अदालत में है। कंपनी ने इतना जरूर कहा कि उसे न्याय व्यवस्था पर भरोसा है साथ ही लाखों यूजर से "उम्मीद है कि जो भी नतीजा होगा उसे वे सहज रूप से स्वीकार करेंगे।"
भारत में टिक टॉक को 24 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। यह जानकारी ऐप एनालिटिक्स फर्म सेंसर टावर ने फरवरी में दी थी। केवल जनवरी 2019 में ही 3 करोड़ यूजर ने इस ऐप को डाउनलोड किया जो इसी महीने में एक साल पहले की संख्या से करीब 12 गुना ज्यादा है।
भारत के सिनेमा जगत से जुड़े चुटकुले वीडियो क्लिप और फुटेज ऐप प्लेटफॉर्म पर बहुत लोकप्रिय हैं। युवा तरह तरह की प्रयोग वीडियो के साथ करके उसे दिलचस्प बनाते हैं, इनमें पैरोडी, लिप सिंक और डांस भी शामिल हैं।
ऐप बनाने वाली कंपनी बाइटडांस ने अदालत के फैसले को पिछले हफ्ते चुनौती दी। बाइटडांस का कहना है कि यह भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस उसी अदालत में भेज दिया। तमिलनाडु की अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगाने की बाइटडांस की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने बाइटडांस से लिखित में निवेदन मांगा है और इस पर सुनवाई के लिए 24 अप्रैल की तारीख तय की है।
तकनीकी मामलों से जुड़े कानून के जानकार सलमान वारिस का कहना है कि बाइटडांस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से भारत की अदालतों में एक नजीर बन जाएगी जो सोशल मीडिया और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट का नियमन करने में दखल दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में बाइटडांस ने दलील दी थी कि टिकटोक के एक "अत्यंत छोटे" हिस्से को आपत्तिजनक या अश्लील माना जा सकता है।
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)