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Written By DW
Last Modified: शनिवार, 11 मई 2024 (07:59 IST)

गाजा में युद्ध पर बाइडेन और नेतन्याहू में बढ़ता तनाव

netanyahu
Biden Netanyahu relation : हमास से लड़ाई के बीच ही अमेरिकी राष्ट्रपति और इजराइली प्रधानमंत्री के रिश्तों में खटास बढ़ गई है। एक महीने से ज्यादा समय तक दोनों में बोलचाल बंद थी। अब बातचीत हो रही है तो उसमें कड़वाहट और धमकियों के सुर गूंज रहे हैं।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने अपने जटिल रिश्तों को लंबे समय से बचा रखा है, हालांकि गाजा युद्ध पर उनकी सोच में फर्क, उनके लिए एक दूसरे को असहनीय बना रहा है। इसकी एक वजह दोनों ही नेताओं के राजनीतिक भविष्य का अधर में लटका होना भी है।
 
पिछले हफ्ते बाइडेन ने इजराइल को भारी बमों की आपूर्ति रोक दी। इसके साथ चेतावनी दी कि अमेरिका टैंक के लिए गोला बारूद और दूसरे हथियारों को भेजना भी रोक सकता है, अगर इजराइल गाजा के रफाह में बड़े पैमाने पर सैनिक कार्रवाई शुरू करता है।
 
नेतन्याहू ने बाइडेन की चेतावनियों को कंधे उचका कर झाड़ दिया और खम ठोक कर कहा, "अगर हमें अकेले खड़ा होना पड़ा तो हम अकेले ही डट जाएंगे। अगर हमें जरूरत पड़ी तो अपने नाखूनों के सहारे लड़ेंगे लेकिन हमारे पास नाखूनों से बहुत कुछ ज्यादा है।"
 
बाइडेन को लंबे समय तक इस बात पर गर्व रहा है, कि वह नेतन्याहू को सजा की बजाय इनामों से संभालते आए हैं। हालांकि पिछले सात महीनों में जिस तरह दोनों में टकराव बढ़ा है, उससे लगता है कि यह बीते दिनों की बात हो गई। दोनों नेता मध्यपूर्व की विस्फोटक स्थिति से घरेलू राजनीतिक समस्याओं को भी संतुलित करने की कोशिश में हैं। बाइडेन के सार्वजनिक हमलों और निजी अनुरोधों के सामने नेतन्याहू का रवैया तेजी से प्रतिरोध की ओर बढ़ रहा है।
 
इसके नतीजे में बाइडेन बीते हफ्तों में और ज्यादा दृढ़ हुए हैं। बाइडेन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'अगर वे रफाह जाते हैं, तो मैं उन्हें वो हथियार नहीं दूंगा जिनका इस्तेमाल पहले से रफाह में होता रहा है, शहरों और समस्याओं से वो निपटें।'
 
बाइडेन के सहयोगी अब भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में अमेरिका-इजराइल के संबंधों को बिगड़ते नहीं देखना चाहते। वो सिर्फ राजनीति का जिक्र नहीं करते, ज्यादातर अमेरिकी इजराइल का समर्थन करते हैं, साथ ही बाइडेन का निजी इतिहास इजराइल के साथ रहा है, और वो उसके आत्मरक्षा के अधिकार में यकीन रखते हैं।
 
इजराइल समर्थक बाइडेन : राष्ट्रपति के सहयोगी यह देख रहे हैं कि कैसे फलीस्तीन समर्थक प्रदर्शनों ने उनकी पार्टी और कॉलेज परिसरों को अपने घेरे में ले लिया है, जो डेमोक्रैटिक वोटरों के लिए कभी जमीन तैयार करती थी। कई महीनों से ऐसा लग रहा है कि कहीं बाइडेन, व्हाइट हाउस में पहुंचने वाले आखिरी इजराइल समर्थक नेता ना बन जाएं। नेतन्याहू को नियंत्रित करने की उनकी क्षमता को लेकर लोगों की उम्मीदें उसी विवादित घेरे में फंस रही हैं जिसमें इजराइल से उलझने वाले कई अमेरिकी राष्ट्रपति बीते दशकों में फंसते आए हैं।
 
बाइडेन और नेतन्याहू एक दूसरे को तब से जानते हैं जब बाइडेन एक युवा सीनेटर और नेतन्याहू इजराइली दूतावास में वरिष्ठ अधिकारी थे। उनके बीच पहले भी टकराव हो चुके हैं। बराक ओबामा के दौर में बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहते, पश्चिमी तट पर इजराइली बस्तियों को लेकर भी उनमें विवाद हुआ था। बाद में नेतन्याहू ने ईरान के साथ परमाणु करार को फिर से बहाल करने का भी जम कर विरोध किया। यह करार ओबामा के शासन काल में हुआ था जिसे डॉनल्ड ट्रंप ने खत्म कर दिया।
 
2021 में इजराइल की हमास के साथ 11 दिन चली जंग को शांत करने के लिए जब बाइडेन ने उनपर दबाव डाला तब भी वह बहुत झल्लाए थे। गाजा में बढ़ते मानवीय संकट की वजह से ही बाइडेन की निराशा बढ़ने लगी और उसके बाद दोनों नेताओं के बीच इस साल एक महीने से ज्यादा बातचीत बंद थी। इन विवादों के बावजूद मध्य वामपंथी डेमोक्रैट नेता और इजराइल के सर्वकालिक धुर दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार के प्रमुख के बीच रिश्ता बना रहा। हालांकि यह अब पहले की तुलना में बहुत ज्यादा तनावपूर्ण हो गया है, जिसमें यह कहना मुश्किल है कि ये दोनों उसे कैसे आगे ले जाएंगे।
 
ताजा विवाद में नेतन्याहू की चुनौतियां : नेतन्याहू पर बंधकों को छुड़ाने के लिए सार्वजनिक दबाव है। दूसरी तरफ उनके गठबंधन के कट्टरपंथी चाहते हैं कि वह अपने हमले का विस्तार कर उसे रफाह तक ले जाएं। रफाह में करीब 13 लाख फलीस्तीनियों ने शरण ले रखी है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद नेतन्याहू ने साफ कहा है कि वह रफाह अभियान को आगे बढ़ाएंगे चाहे बंधकों के लिए करार हो या न हो। इजराइली नेता ने7 अक्टूबर के हमलेके बाद हमास को ध्वस्त करने की शपथ ली है। हमास के आकस्मिक हमले में 1,200 इजराइली लोगों की मौत हुई और करीब 250 लोगों को बंधक बनाया गया।
 
हालांकि नेतन्याहू के लिए लोगों का समर्थन उसके बाद से लगातार घट रहा है। अब उन पर दबाव है कि वह युद्ध रोक कर ऐसा समाधान निकालें, जिससे कि बंधकों और मारे गए इजराइलियों के अंतिम अवशेषों को सुरक्षित वापस लाया जा सके। नेतन्याहू ने हमास के हमले के बारे में खुफिया और सैन्य नाकामी की जांच कराने से इनकार किया है। सारी घटनाओं के बीच उनके खिलाफ कानूनी समस्याएं बनी हुई हैं। इनमें लंबे समय से चल रहा भ्रष्टाचार का एक मुकदमा भी है, जो उनके खिलाफ धोखाधड़ी और घूस लेने के आरोपों से जुड़ा है।
 
नेतन्याहू की राजनीतिक मुश्किलें : नेतन्याहू का राजनीतिक भविष्य रफाह पर हमले से जुड़ा हुआ है। अगर वह बंधकों के लिए करार कर लेते हैं, और रफाह पर हमला रोक देते हैं, तो गठबंधन के कट्टरपंथी उनकी सरकार गिराने और नया चुनाव कराने की धमकी दे रहे हैं। दूसरी तरफ ओपिनियन पोल इस समय चुनाव में उनकी हार की भविष्यवाणी कर रहे हैं। नेतन्याहू की जीवनी लिखने वाले स्तंभकार आंशेल फेफर ने एक इजराइली अखबार में लिखा है, "अपने सहयोगियों को साथ रखने और समय से पहले चुनाव रोकने के लिए, जिसमें लिकुड का पतन होगा और उनका पद छिन जाएगा, उन्हें 'संपूर्ण विजय' के मिथक को जीवित रखना होगा, और यह सिर्फ तभी संभव है, जब हमास से समझौता ना हो।"
 
नेतन्याहू के पूर्व प्रवक्ता और चीफ ऑफ स्टाफ आविव बुशिंस्की का कहना है कि इजराइली नेता का ध्यान पूरी तरह युद्ध के प्राथमिक उद्देश्य, हमास को हराने पर है, क्योंकि उन्हें अपनी छवि और विरासत की चिंता है। नेतन्याहू ने अपने पूरे करियर में खुद को आतंक पर कठोर शख्स के रूप में दिखाया है। वह समझते हैं कि इसी तरह से उन्हें याद रखा जाएगा। वह एक दशक से हमास को मसलने का वादा करते रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर वह ऐसा नहीं कर सके तो उन्हें सबसे बुरे प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाएगा।
 
अमेरिका की बदलती हवा : उधर अमेरिका में इस वक्त बाइडेन युवा अमेरिकियों के विरोध प्रदर्शनों से जूझ रहे हैं। यह उनके वोटरों का वह धड़ा है जो दोबारा चुने जाने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके अलावा उन्हें अमेरिकी मुसलमानों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है जो मिशिगन में प्रमुख स्थिति में हैं। कुछ ने तो उन्हें युद्ध को संभालने में उनकी भूमिका पर विरोध जताने के लिए नवंबर में वोट नहीं देने की धमकी देनी भी शुरू कर दी है।
 
बाइडेन के सहयोगी बर्नी सांडर्स भी युद्ध पर प्रशासन के रवैये से परेशान हैं। सांडर्स का कहना है कि बाइडेन को आगे बढ़ कर इजराइल को सभी हमलावर हथियारों की आपूर्ति रोक देनी चाहिए। सांडर्स ने कहा है, " निश्चित रूप से हमें अपनी स्थिति का पूरा फायदा उठा कर गाजा की तबाही को और ज्यादा बढ़ने से रोकना चाहिए।" सांडर्स का यह भी कहना है कि अमेरिका अपने सहयोगियों का साथ देता है और देना भी चाहिए, लेकिन सहयोगियों को भी अमेरिकी मूल्यों और कानूनों के साथ खड़ा होना चाहिए।
 
इसी दौर में बाइडेन को रिपब्लिकन पार्टी की आलोचना भी झेलनी पड़ रही है। पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का कहना है, 'इजराइल के संदर्भ में जो बाइडेन कर रहे हैं वह अपमानजनक है। अगर किसी यहूदी ने जो बाइडेन को वोट दिया है तो वह खुद पर शर्मिंदा होगा। उन्होंने इजराइल को छोड़ दिया है।'
एनआर/एमजे (एपी)
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