शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. rajendra singh water man
Written By
Last Modified: गुरुवार, 16 अगस्त 2018 (11:30 IST)

जो मंत्री और संतरी न कर सके, वो राजेंद्र ने कर दिखाया

जो मंत्री और संतरी न कर सके, वो राजेंद्र ने कर दिखाया | rajendra singh water man
1947 में भारत के 292 गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे थे। आज 2,50,000 गांव पानी की कमी से छटपटा रहे हैं। भारत को राजेंद्र सिंह जैसे सैकड़ों लोगों की सख्त जरूरत है।
 
 
राजस्थान के अलवर शहर की एक सुबह। दर्जनों महिलाएं नगरपालिका के नल के पास जाकर अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं। ये सिर्फ अलवर शहर की ही कहानी नहीं हैं। भारत के लाखों गांव और शहर पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दो लाख भारतीय स्वच्छ पेयजल के अभाव में मारे जाते हैं। इस वक्त देश की आधी आबादी पानी किल्लत का सामना कर रही है।
 
 
नदियों और तालाबों के प्रदूषित होने के कारण बीते दो दशकों में भारत में भूजल का खूब दोहन हुआ। इसका नतीजा यह निकला कि भूजल का स्तर बहुत नीचे चला गया। अब हर साल गर्मियों में पानी को लेकर जो हाहाकार मचता है, वह सबके सामने है।
 
 
भारत को राजेंद्र सिंह जैसे लोगों की सख्त जरूरत है। "वॉटर मैन ऑफ इंडिया" कहे जाने वाले सिंह अब तक 11 नदियों में जान फूंक चुके हैं। सूख चुकीं ये नदियां अब साल भर पानी से लबालब रहती हैं। समुदायिक जल प्रबंधन में क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
 
 
सिंह की संस्था तरुण भारत अलवर से करीब 40 किलोमीटर दूर भीकमपुरा गांव में है। शहर और गांव के जल स्तर में जमीन आसमान का फर्क है। हरियाली और नमी वाले भीकमपुरा में गर्मियों में आबोहवा तरोताजा करने वाली रहती है। स्थानीय समुदाय द्वारा बनाए गए छोटे छोटे बांध बारिश के पानी को रोकते हैं। इससे भूजल का स्तर बढ़ा और हरियाली छाने लगी।
 
 
राजेंद्र सिंह इसका श्रेय पूरे समुदाय को देते हैं। वह कहते हैं,  "बीते 34 साल में हम 11,800 एनीकट्स और चेक डैम बना पाए हैं। हम लंबे समय से सूखे पड़े ढाई लाख कुओं में पानी को वापस लाने में सफल हुए हैं।"
 
 
सिंह मानते हैं कि भारत के जल संकट के लिए खराब प्लानिंग और जागरूकता की कमी जिम्मेदार है। वह कहते हैं, "1947 में जब भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ, उस वक्त सिर्फ 292 गांवों में पीने के पानी का संकट था, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर ढाई लाख हो गई है।"
 
 
राजेंद्र सिंह के मुताबिक सूखे के मामले 10 गुना बढ़ चुके हैं, बाढ़ की आशंका आठ गुना ज्यादा हो गई है। इसके कारण समझाते हुए वह कहते हैं, "ज्यादातर जल संसाधन प्रदूषण, कब्जे, रेत खनन और पानी के दोहन की वजह से प्रभावित हैं।" पूरी दुनिया से तुलना करें तो भारत के पास सिर्फ चार फीसदी ताजा पानी है, लेकिन आबादी 16 फीसदी।
 
 
आशंका है कि 2030 तक भारत में पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी और करोड़ों लोग अभूतपूर्व जल संकट का सामना करेंगे। भारत विश्व में सबसे ज्यादा भूजल दोहन करने वाला देश है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो भविष्य में भूजल करीबन खत्म हो जाएगा और फिर जमीन पर मौजूद हरियाली और जीवन मुरझाने लगेगा।
 
 
रिपोर्ट जसविंदर सहगल
 
ये भी पढ़ें
वियना को कौन सी बातें बनाती हैं बेहतरीन शहर