बार बार वही गाने क्यों सुनते हैं लोग?
क्या आपका भी मन करता है कि कुछ ही गानों को बार बार सुनते रहें? कहीं यह किसी बीमारी का लक्षण तो नहीं। इस प्रवृत्ति के बारे में कुछ नई जानकारी पता चली है।
अगर आप 28 साल से ऊपर के हैं और आपका मन बार बार कुछ खास गानों को सुनने का ही करता है, बजाए इसके कि कुछ नया सुना जाए तो आप जैसे दुनिया में बहुत सारे लोग हैं।एक सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि इंसानों में ऐसा तब होता है जब उनकी आयु औसतन 27 साल 11 महीने होती है। इस स्थिति को "म्यूजिकल पैरालिसिस" कहा गया है।
स्ट्रीमिंग सर्विस देने वाली कंपनी डीजर ने इस बारे में व्यापक सर्वे कर जानकारी जुटाई है। डीजर ने ब्राजील, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका में 5000 लोगों पर ऑनलाइन सर्वे किया। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि आमतौर पर नया संगीत ढूंढने की इच्छा 25 साल की उम्र में प्रबल होती है। माना जाता है कि इस उम्र में इंसान हर हफ्ते कम से कम 10 नए गाने सुनता है।
म्यूजिकल पैरालिसिस की उम्र ब्राजील में थोड़ी जल्दी आती है। यहां इस स्थिति में पहुंचने वाले इंसानों की औसत आयु 23 साल दो महीने है। जबकि जर्मन लोग इस स्थिति में थोड़ी देर से आते हैं करीब 31 साल की उम्र में। हालांकि पांचों देशों के ज्यादातर लोगों ने कहा कि उनकी इच्छा थी वो ज्यादा नए गाने सुनें।
इसके पीछे जो कारण बताए गए हैं उनमें काम की व्यस्तता को सबसे प्रमुख बताया गया है। कुछ लोगों ने बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी और संगीत की पसंद से अभिभूत होने को भी इसका कारण बताया है। डीजर ने इस सर्वे को जारी कर अपने नए फीचर फ्लो का प्रचार कर रही है।
फ्लो में सुनने वाले की पसंदीदा संगीत के साथ नया संगीत भी जोड़ा जाता है जो पुरानी पसंद के आधार पर ही होता है। स्ट्रीमिंग सुविधा देने वाली कंपनियों में डीजर एक प्रमुख नाम है जिसकी होड़ स्पोटीफाइ, एप्पल म्यूजिक और टाइडल से है। पेरिस की इस कंपनी के पास 1.4 करोड़ सक्रिय यूजर हैं।
एनआर/एमजे (एएफपी)