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Written By DW
Last Updated : बुधवार, 27 दिसंबर 2023 (10:29 IST)

मौसम के अनुमान सुधारने के लिए एआई इस्तेमाल करेगा भारत

मौसम के अनुमान सुधारने के लिए एआई इस्तेमाल करेगा भारत - India will use AI to improve weather forecasts
AI to improve weather forecasts : भारत एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक का परीक्षण कर रहा है जिसका इस्तेमाल मौसम की जानकारी देने वाले एआई मॉडल बनाने में किया जाएगा। भारत में मौसम के पूर्वानुमानों की सटीकता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को बढ़ाए जाने की कोशिशें हो रही हैं।
 
मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसी तकनीकों का परीक्षण किया जा रहा है जिनके जरिए एआई आधारित क्लाइमेट मॉडल बनाए जा सकें, जो भारी बारिश, बाढ़ और सूखे जैसी कुदरती आपदाओं के बेहतर और ज्यादा सटीक पूर्वानुमान दे सकें।
 
ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बाकी दुनिया की तरह भारत में भी हाल के सालों में मौसम के उतार-चढ़ाव में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं। इससे मौसमी आपदाओं की बारम्बारता और सघनता भी बढ़ी है और वे ज्यादा घातक हुए हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुमान के मुताबिक इस साल मौसमी आपदाओं में 3,000 से ज्यादा लोगों की जान गई है।
 
पूरी दुनिया में एआई पर ध्यान
 
दुनियाभर में मौसम विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान दे रहे हैं, जो न सिर्फ लागत में कमी कर सकती है बल्कि रफ्तार भी सुधार सकती है। ब्रिटेन के मौसम विभाग के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल मौसम के पूर्वानुमान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। ऐसी कई मिसाल वैज्ञानिकों के सामने हैं। मसलन हाल ही में गूगल के दिए धन से तैयार किया गया मौसम के पूर्वानुमान जाहिर करने वाला एक मॉडल अब तक के पारपंरिक मॉडलों से कहीं ज्यादा सफल साबित हुआ।
 
भारत में मौसम के पूर्वानुमान में सटीकता और ज्यादा अहमियत रखती है, क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत चावल, गेहूं और चीनी जैसे मूलभूत उत्पादों का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और देश ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरे झेलने वालों की सूची में बहुत अग्रिम पंक्ति में है।
 
इंडियन इंस्टिट्यूट फॉर ट्रोपिकल मीटिरियोलॉजी में जलवायु वैज्ञानिक पार्थसारथी मुखोपाध्याय कहते हैं कि एआई का फायदा उठाने के लिए बेहतर डेटा की जरूरत होगी।
 
भारतीय मौसम विभाग सुपर कम्प्यूटरों का इस्तेमाल करता है और गणितीय मॉडलों के आधार पर पूर्वानुमान जारी करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एआई के प्रयोग से पर्यवेक्षण के नेटवर्क का विस्तार किया जा सकता है जिससे कम लागत पर ज्यादा अच्छी गुणवत्ता वाला डेटा मिल सकेगा।
 
पूर्वानुमानों में सुधार
 
भारतीय मौसम विभाग में क्लाइमेट रिसर्च के प्रमुख केएस होजालीकर कहते हैं कि विभाग को उम्मीद है कि जो एआई-आधारित क्लामेट मॉडल वे तैयार कर रहे हैं, उनसे पूर्वानुमानों में सुधार होगा।
 
होजालीकर बताते हैं कि विभाग ने लोगों के लिए चेतावनियां जारी करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया है। ये चेतावनियां हीटवेव से लेकर मलेरिया जैसी बीमारी तक विभिन्न आपदाओं के लिए जारी की गई हैं। अब विभाग की कोशिश है कि गांव के स्तर पर डेटा उपलब्ध कराने वाली वेधशालाओं में एआई का इस्तेमाल किया जाए ताकि वहां से पूर्वानुमान के लिए उच्च गुणवत्ता वाला डेटा मिले।
 
आईआईटी दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर सौरभ राठौर कहते हैं कि एआई के इस्तेमाल के और भी कई फायदे हैं। वे बताते हैं, 'एआई-आधारित मॉडल को चलाने के लिए आपको सुपर कम्प्यूटर की जरूरत नहीं है। इसे आप किसी अच्छे डेस्कटॉप पर भी चला सकते हैं।'(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)
 
-वीके/एए (रॉयटर्स)
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