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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021 (21:58 IST)

ग्लासगो में लक्ष्य तय करने की मांग भारत ने की खारिज

ग्लासगो में लक्ष्य तय करने की मांग भारत ने की खारिज - India rejects demand to set target in Glasgow
भारत ने कार्बन उत्सर्जन शून्य किए जाने के लिए लक्ष्य तय करने की मांग को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि इस बारे में एक रास्ता सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ग्रीनहाउस उत्सर्जक देश भारत से उम्मीद की जा रही है कि वह ग्लासगो में बताए कि कब तक शून्य उत्सर्जन हासिल कर लेगा। भारत ने अब तक तय नहीं किया है कि शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य कब तक पूरा होगा। भारत ने इस मांग को खारिज कर दिया है।

भारत के पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता ने कहा कि शून्य उत्सर्जन जलवायु संकट का हल नहीं है। उन्होंने कहा, जरूरी यह है कि शून्य उत्सर्जन पर पहुंचने के दौरान आप कितनी कार्बन उत्सर्जित करते हैं। भारत सरकार की गणना का हवाला देते हुए आरपी गुप्ता ने कहा कि अब से 2050 तक अमेरिका पर्यावरण में 92 गीगाटन कार्बन उत्सर्जित करेगा और यूरोप 62 गीगाटन। उन्होंने कहा कि चीन 450 गीगाटन कार्बन छोड़ चुका होगा।

भारत कब करेगा वादा?
अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म कर देने का लक्ष्य तय किया है यानी 2050 के बाद ये देश उतनी ही कार्बन वातावरण में छोड़ेंगे, जितनी जंगलों, मिट्टी और अन्य कुदरती साधनों द्वारा सोखी जा सकती है।

चीन और सऊदी अरब ने भी अपने लक्ष्य घोषित कर दिए हैं। उन्होंने 2060 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का वादा किया है। वैसे, 2060 को भी लक्ष्य के तौर पर प्रभावहीन माना जा रहा है और आलोचकों का कहना है कि अगर अभी प्रभावशाली कदम नहीं उठाए जाते तो ये लक्ष्य बेकार हैं।

31 अक्टूबर से ग्लासगो शुरू होने वाले COP26 सम्मेलन में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि पहुंच रहे हैं। यहां 2015 के पेरिस समझौते से आगे की रणनीति पर चर्चा होनी है। इस बैठक में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। भारतीय अधिकारी कहते हैं कि मोदी का बैठक में हिस्सा लेना इस बात का प्रतीक है कि भारत जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से ले रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इस सम्मेलान में आना अभी भी तय नहीं है।

ग्लासगो से उम्मीद
पर्यावरणविद उम्मीद कर रहे हैं कि ग्लासगो में विभिन्न देश उत्सर्जन घटाने के लिए अपनी नई रणनीतियां और नए लक्ष्य घोषित करेंगे। लेकिन भारत ने पहले ही कह दिया है कि वह कोयले के उपभोग में कमी नहीं करेगा। बीबीसी ने लीक हुई एक रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र को स्पष्ट कह दिया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल जारी रखेगा। भारत उन देशों में शामिल है जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल एकदम बंद करने के खिलाफ हैं।

भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि 2015 के पेरिस सम्मेलन में जो लक्ष्य तय किए गए थे, उन्हें भारत समय से पूरा कर लेगा। लक्ष्यों में बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि सारे विकल्प खुले हुए हैं। पेरिस में भारत ने 2030 तक उत्सर्जन को 2015 के स्तर के 33-35 प्रतिशत तक ले जाने की प्रतिबद्धता जताई है।

कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपने उत्सर्जन लक्ष्य को 40 फीसदी तक ले जा सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कितना धन और नई तकनीक उसके लिए उपलब्ध है। यादव कहते हैं कि ग्लासगो सम्मेलन की सफलता इस बात से तय होगी कि विकासशील देशों को उत्सर्जन कम करने के बावजूद अपनी आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के लिए कितना धन मिलता है।
- वीके/एए (रॉयटर्स)
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