शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Coal will continue to burn in India
Written By DW
Last Updated : शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021 (16:36 IST)

भारत ने यूएन से कहा, कोयला तो जलता रहेगा: रिपोर्ट

भारत ने यूएन से कहा, कोयला तो जलता रहेगा: रिपोर्ट - Coal will continue to burn in India
रिपोर्ट: विवेक कुमार (रॉयटर्स)
 
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल करता रहेगा। बीबीसी के मुताबिक लीक हुई एक रिपोर्ट से यह बात पता चली है। नरेंद्र मोदी कोप26 सम्मेलन में हिस्सा लेने ग्लासगो जा रहे हैं।
 
बीबीसी ने लीक हुई एक रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र को स्पष्ट कह दिया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल जारी रखेगा। भारत उन देशों में शामिल है जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल एकदम बंद करने के खिलाफ हैं।
 
नवंबर में होने वाले यूएन के जलवायु सम्मेन (कोप26) में दुनियाभर के देशों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने का अनुरोध किया जाएगा। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है।
 
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर (सीएटी) के मुताबिक भारत का लक्ष्य 2030 से पहले अपने कुल बिजली उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों और परमाणु ऊर्जा से हासिल करने का है जिसे वक्त से पहले भी हासिल किया जा सकता है।
 
कोयला जलता रहेगा
 
भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसके बिजली ग्रिड का 70 फीसदी इसी खतरनाक ईंधन से चलता है। बीबीसी की रिपोर्ट है कि भारत ने यूएन की रिपोर्ट तैयार कर रहे वैज्ञानिकों को बताया है कि कोयले को छोड़ना मुश्किल होगा। यह रिपोर्ट ग्लासगो सम्मेलन में पेश की जाएगी।
 
यह रिपोर्ट यूएन के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा तैयार की जा रही है, जिसमें ऐसे सबूत दिए जाएंगे कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं।
 
लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से बीबीसी ने लिखा है कि भारत के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग ऐंड फ्यूल रिसर्च के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, 'भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अच्छी-खासी वृद्धि होने के बावजूद देश की स्थिर आर्थिक प्रगति के लिए अगले कुछ दशकों तक कोयला ऊर्जा मुख्य ऊर्जा स्रोत बना रह सकता है।'
 
भारत ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह शून्य कार्बन उत्सर्जन करना चाहता है या नहीं और यदि करेगा तो कैसे करेगा। दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक और सबसे ज्यादा कोयला उपभोग करने वाला देश चीन कह चुका है कि 2060 तक कार्बन शून्य हो जाएगा। चीन में कोयले की मांग भी तेजी से घटी है इसलिए भारत पर कोयला उपभोग का बड़ा हिस्सा निर्भर करेगा।
 
ग्लासगो जाएंगे मोदी
 
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इटंरव्यू में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह जानकारी दी।
 
यादव ने कहा, 'प्रधानमंत्री ग्लासगो जा रहे हैं।' सम्मेलन का आयोजन कर रहे ब्रिटेन ने इस खबर का स्वागत किया है। ब्रिटेन ने कहा कहा कि भारत की भूमिका अहम है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा, 'इसमें भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री ने मोदी से जलवायु परिवर्तन की अहमियत पर कई बार चर्चा की है। इसलिए हम उनके साथ और चर्चा को लेकर उत्साहित हैं।'
 
भारत ने अभी ग्लासगो में अपने रुख को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि आने वाले हफ्ते में इस बारे में कोई फैसला हो सकता है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत उत्सर्जन घटाने में अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत के एनडीसी (जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए योजनाएं) काफी महत्वाकांक्षी हैं। हम अपने हिस्से से ज्यादा काम कर रहे हैं। हमारे लक्ष्य दूसरे बड़े प्रदूषकों से कहीं ज्यादा बड़े हैं।'
 
उधर सरकार के सूत्रों के मुताबिक ग्लासगो में भारत का किसी तरह का वादा करने की संभावना कम ही है क्योंकि मुश्किल समयसीमा तय करने से उसके आर्थिक प्रगति के लक्ष्यों पर असर पड़ सकता है।
ये भी पढ़ें
भारत समेत 11 देशों पर अमेरिकी जासूसी एजेंसियों की पैनी नजर