शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. How Adani Group silences its critics
Written By DW
Last Updated : सोमवार, 20 फ़रवरी 2023 (21:31 IST)

आलोचकों को कैसे चुप कराता है अडानी समूह?

आलोचकों को कैसे चुप कराता है अडानी समूह? - How Adani Group silences its critics
-एए/सीके (एएफपी)
 
भारतीय पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता पर अडानी समूह ने 6 अलग-अलग अदालतों में मानहानि के मुकदमे दायर किए हैं। ठाकुरता न तो समूह के खिलाफ कुछ बोल या लिख सकते हैं न ही उनके मालिक गौतम अडानी के खिलाफ। अडानी समूह पर अमेरिकी फॉरेंसिक फाइनेंशल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की विस्फोटक रिपोर्ट ने ऐसी तबाही मचाई कि समूह को शेयर बाजार में 120 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।
 
पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता का कहना है कि कंपनी खुद को समीक्षा से बचाने के लिए लंबे समय से मुकदमेबाजी जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करती है। पिछले महीने हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी ग्रुप के ऊपर कर्ज बहुत ज्यादा है जिसके कारण उसकी कंपनियों की स्थिरता पर संदेह है। यह रिपोर्ट कहती है कि अडानी ग्रुप ने टैक्स हेवन माने जाने वाले देशों का अनुचित इस्तेमाल भी किया है। हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी रिपोर्ट में ग्रुप की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
 
अडानी समूह पर हिंडनबर्ग के आरोप
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में बनाई गईं कई बेनामी कंपनियां हैं जिनके पास अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक ​​कि राजनेता प्रतिशोध के डर से बोलने से डरते हैं।
 
67 वर्षीय पत्रकार ठाकुरता पर 6 मानहानि के मुकदमे ठोक दिए गए जिनमें 3 आपराधिक हैं। ये सभी मुकदमे अडानी समूह और उसके अध्यक्ष गौतम अडानी के खिलाफ रिपोर्टों की सीरीज लिखने के बाद दर्ज किए। दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल हो सकती है। एक अदालत ने तो समूह या फिर उसके मालिक के खिलाफ बोलने या लिखने पर रोक लगा दी है।
 
मुझे चुप रहने का आदेश : ठाकुरता
 
अब पहली बार ठाकुरता ने मीडिया से इस मुद्दे पर बात की है। समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए ठाकुरता ने कहा कि चुप रहने का आदेश मुझे दिया गया था। वे आगे कहते हैं कि मुझे कहा गया कि मैं गौतम अडानी और उनके कॉरपोरेट समूह की गतिविधियों पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। इसलिए मैं अदालत की अवमानना नहीं करना चाहता।
 
ठाकुरता के सहयोगी अबीर दासगुप्ता कहते हैं कानूनी लड़ाई लड़ने के खर्चे और 3 राज्यों में सुनवाई में भाग लेने की आवश्यकता शारीरिक और मानसिक रूप से हम पर चोट करती हैं। दासगुप्ता पर खुद मानहानि के 3 मुकदमे दर्ज हैं। दासगुप्ता कहते हैं कि यह हमारा समय लेता है, यह हमारे परिवारों को प्रभावित करता है। इस कारण हमारी आय और समय का नुकसान हुआ है।
 
रिपोर्ट आने के बाद अडानी के शेयरों में भारी गिरावट आई। कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति रहे अडानी अमीरों की वैश्विक सूची की लिस्ट में काफी नीचे चले गए। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों से इनकार किया है और उसे मुकदमे की धमकी दे डाली। सीएनबीसी टीवी 18 के 2 पत्रकारों पर अडानी की सहायक कंपनी ने घोर दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक और झूठी समाचार रिपोर्ट लिखने का आरोप लगाते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
 
कानून का पालन करता है समूह : अडानी ग्रुप
 
समूह के एक प्रवक्ता ने एएफपी से कहा कि अडानी समूह प्रेस की स्वतंत्रता में दृढ़ता से विश्वास करता है और सभी कंपनियों की तरह मानहानिकारक, भ्रामक या झूठे बयानों के खिलाफ खुद का बचाव करने का अधिकार रखता है।
 
प्रवक्ता ने आगे कहा कि पहले भी अडानी ग्रुप ने कई बार उन अधिकारों का इस्तेमाल किया है। समूह ने हमेशा कानून के मुताबिक काम किया है। हिंडनबर्ग के आरोपों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं, लेकिन कई भारतीय मीडिया चैनलों ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया या फिर खारिज कर दिया या फिर रिपोर्ट के लेखकों की निंदा की। कई लोगों ने अडानी समूह के इस दावे को दोहराया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट एक जान-बूझकर भारत पर हमला थी, एक टेलीविजन पैनलिस्ट ने इसे देश के खिलाफ वित्तीय आतंकवाद का कार्य बताया।
 
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने 413 पन्नों का जवाब दिया था और आरोपों को खारिज कर दिया था। यहां तक की समूह के अध्यक्ष अडानी ने एक वीडियो बयान भी जारी किया था। अडानी समूह ने रिपोर्ट पर जवाब देते हुए कहा कि यह भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला है। इसके बाद अडानी समूह अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का 20 हजार करोड़ रुपए का एफपीओ वापस ले लिया था।
ये भी पढ़ें
क्या पुतिन यूक्रेन में नाकाम हो गए हैं, आख़िर रूस चाहता क्या है?