"इनक्लूसिव लव" से साथ मिलना हुआ आसान
बड़े-बूढ़ों से कहते तो सुना ही होगा कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती है लेकिन जोड़ियां बनाने का काम अब काफी समय से ऑनलाइन साइट्स करती आ रहीं हैं। अब विकलांग लोग भी एक खास ऐप के जरिये इसका लाभ ले रहे हैं।
मोबाइल मैचमेकिंग ऐप और कुछ व्हाट्सऐप ग्रुपों ने अब विकलांग लोगों की जिंदगी आसान बना दी है। हाल में लॉन्च की गयी एक ऐप "इनक्लूसिव लव" की मदद से अब तक तकरीबन आधा दर्जन लोग अपने जीवनसाथी से मिल चुके हैं। इनक्लूसिव लव का छोटा नाम इनक्लोव है। इस ऐप की संस्थापक 24 वर्षीय कल्याणी खोणा है।
खोणा मानती हैं, "तकरीबन दो तिहाई विकलांग अकेले हैं उनके पास साथी तलाश करने का न कोई विकल्प है और न ही कोई सुविधा।" खोणा कहती हैं, "जितनी भी डेटिंग और मैचमेकिंग साइट हैं, वे इन लोगों के बारे में अब तक नहीं सोचती हैं, न ही किसी साइट या ऐप में इन्हें शामिल किया जाता है क्योंकि शायद हमने ये मान लिया है कि जो लोग विकलांग हैं उन्हें अकेले ही रहना है।"
भारत में तकरीबन 2.7 करोड़ लोग विकलांग हैं। इन लोगों के लिए कई जगह कोई व्यवस्था नहीं है। मसलन सार्वजनिक परिवहन से लेकर रेस्तरां और मूवी थिएटर में भी ऐसे लोगों के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं होती। खोणा कहती हैं, "विकलांगता जब महिलाओं के साथ होती है तो परिवार इन्हें और भी बड़ा बोझ मानता है। आम परिवारों में इनकी शादी बड़ी समस्या हो जाती है।"
इनक्लोव नाम की इस ऐप के लिए क्राउडफंडिंग से पैसे जुटाये गये हैं। भारत में अब तक इसके तकरीबन 19 हजार रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। इसमें 80 फीसदी पुरुष हैं। खोणा कहती हैं, "हम सब जानते हैं कि हर किसी विकलांग व्यक्ति के पास तो स्मार्टफोन की सुविधा भी नहीं होती, खासकर महिलाओं के मामले में यह और सीमित हो जाता है।"
लेकिन अच्छी बात यह है कि अब सोशल मीडिया पर विकलांग लोगों की पहुंच बस यहीं तक सीमित नहीं है। मुंबई में इन दिनों कृत्रिम टांगों का इस्तेमाल करने वाली कुछ महिलाओं ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया है जहां वे अपने निजी अनुभव साझा करती हैं, कई बार तो अपने जूतों पर भी चर्चा करती हैं। ये व्हाट्सऐप ग्रुप मुंबई की तीन लड़कियों ने शुरू किया है जो इसी समस्या से जूझ रही हैं। ये तीनों ही लड़कियां सिंगल हैं।
ये ग्रुप शुरू करने वाली 25 वर्षीय अंतरा तेलंग कहती हैं, "यह पूरा मसला हमारी विकलांगता से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए मौका है ऐसे लोगों से बात करने का, ऐसे लोगों को समझने का जो हमारी ही जैसी समस्या से जूझ रहे हैं।" उन्होंने बताया कि चैट ग्रुप में शामिल हम सब महिलाएं एक दूसरे को सहयोग करती हैं, साथ देती हैं।"
- एए/आईबी (रॉयटर्स)