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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 27 नवंबर 2025 (08:15 IST)

दिल्ली: बंद होंगे मोहल्ला क्लीनिक, हजारों नौकरियां खतरे में

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने 170 मोहल्ला क्लीनिक बंद करने का आदेश दिया है। जिसके बाद कर्मचारियों को नौकरी जाने का खतरा सता रहा है।

mohalla clinic
शिवांगी सक्सेना
भारत की राजधानी दिल्ली में सभी मोहल्ला क्लीनिक बंद करने की तैयारी है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर इसकी सूचना दी। फिलहाल जो मोहल्ला क्लीनिक किसी सरकारी डिस्पेंसरी, मैटरनिटी होम, नगर निगम क्लीनिक और नए बने आयुष्मान आरोग्य मंदिर के एक किलोमीटर के दायरे में आते हैं, उन्हें बंद किया जाएगा। अभी यह निर्देश 170 ऐसे मोहल्ला क्लीनिकों के लिए है, जो पोर्टा केबिनों और किराये पर चल रहे क्लीनिकों में हैं। दिल्ली में फिलहाल 168 आयुष्मान मंदिर हैं। जबकि योजना के तहत हर वार्ड में चार से पांच और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 15 आरोग्य मंदिर खोले जाएंगे। 
 
केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर दिल्ली में नई हेल्थ स्कीम ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर' शुरू की है। इसके तहत पुरानी डिस्पेंसरी को बदलकर आरोग्य मंदिर बनाया जा रहा है। कुछ जगहों पर सामुदायिक सेंटर और बारात घर को भी आरोग्य मंदिर में बदलने की योजना है। पहले चरण में 33 सेंटर खुल चुके हैं और स्टाफ की भर्ती भी पूरी हो गई है। इस स्टाफ को दिल्ली के आरएमएल और एम्स जैसे अस्पतालों से लिया गया है। वहीं मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारी इस भर्ती प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। 
 
मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत साल 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने की थी। इस मॉडल को सस्ती व नजदीकी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनिया भर में सराहा गया था। ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं, जो कहती हैं कि इनसे गरीब और मध्यम वर्ग को काफी फायदा मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक इनसे सरकारी अस्पतालों की ओपीडी पर बोझ लगभग 20 प्रतिशत घटा था। 
 
मोहल्ला क्लीनिक बंद करने की जरूरत क्यों?
दिल्ली की नई सरकार की ओर से कहा गया है कि मोहल्ला क्लीनिक जहां केवल मुफ्त प्राथमिक उपचार और दवाएं उपलब्ध कराते थे। वहीं आरोग्य मंदिर में प्राथमिक इलाज के साथ विशेषज्ञ परामर्श, टीकाकरण, लैब जांच, मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराएंगे।
 
इसी साल हुए चुनावों के बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी। मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता ने कई बार आरोप लगाया कि मोहल्ला क्लीनिक भ्रष्टाचार का केंद्र हैं और पैसा उगाही का माध्यम बन गए हैं। कई नालों और गंदी जगहों पर क्लीनिक बनाने के लिए पोर्टा केबिन लगाए गए थे। अब दिल्ली सरकार इन्हें हटाने की योजना बना रही है।
 
आरोग्य मंदिर में काम चाह रहे मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारी
पश्चिम विहार का एक मोहल्ला क्लीनिक बंद किए जाने वाले क्लीनिकों की लिस्ट में शामिल है। हर क्लीनिक में चार लोगों का स्टाफ होता है। यहां मेडिकल सहायक मोनिका पिछले छह साल से काम कर रही हैं। उनके जैसे अधिकतर कर्मचारियों ने साल 2019 में लिखित परीक्षा पास की थी। इन्हें साल 2026 तक कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया है।
 
मोहल्ला क्लीनिक में वेतन हर दिन के हिसाब से मिलता है। एक मरीज को देखने के लिए डॉक्टर (मेडिकल ऑफिसर) को 40 रूपए, मल्टी-पर्पस वर्कर (एमपीडब्ल्यू) को आठ रूपए, फार्मासिस्ट को 12 रूपए और मेडिकल सहायक को 10 रूपए मिलते हैं। एक दिन में वे अधिकतम 120 मरीज ही देख सकते हैं। जबकि कुछ साल पहले तक ऐसी कोई लिमिट नहीं थी।
 
कर्मचारियों ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्हें स्वास्थ्य बीमा या मैटरनिटी बेनिफिट नहीं मिलता। रविवार, त्योहार या डॉक्टर की छुट्टी के दिन क्लीनिक बंद रहता है। उन दिनों का भुगतान किसी भी कर्मचारी को नहीं दिया जाता। उन्हें कोई एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट भी नहीं मिलता जिसे दिखाकर वे कहीं और नौकरी ढूंढ सकें। 
 
मोनिका की एक साल की बेटी है। उनके पति के पास नौकरी नहीं है। इसलिए परिवार की सारी जिम्मेदारी उन्हीं पर है। वह डीडब्ल्यू से कहती हैं, "पिछले साल से हमारा वेतन दो या तीन महीने देर से आता है। जब मैं गर्भवती थी, तब भी मैंने नौ महीने काम किया। क्योंकि मेरे पति कमाते नहीं हैं। महीने के अंत में खाते में केवल बीस से बाईस हजार रुपये आते हैं। घर से आने-जाने का खर्च ही लगभग दो हजार रूपए है। अगर नौकरी चली गई तो घर कैसे चलेगा? हम चाहते हैं हमें नए बन रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिर में नौकरी दी जाए।"
 
अभी अदालत की ओर से निकाले जाने पर स्टे
इस साल 21 अगस्त को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों को अगले साल 31 मार्च से पहले ना हटाया जाए। अगर उन्हें पहले हटाना हो, तो दो हफ्ते का नोटिस देना जरूरी है।
 
मोहल्ला क्लीनिक स्टाफ यूनियन के अनुसार क्लीनिक बंद होने से लगभग दो हजार कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है। हाल ही में 20 नवंबर को फिर से सुनवाई हुई। कैट ने कहा है कि अगली कार्यवाही चार दिसंबर को होगी। तब तक कर्मचारी नौकरी पर बने रहेंगे।
 
नए नियमों से भर्ती होना मुश्किल
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर में डॉक्टर, अकाउंट असिस्टेंट और नर्स की भर्ती के इंटरव्यू के लिए नए नियम लागू किए। इस कारण मोनिका जैसे मोहल्ला क्लीनिक के कई कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया से ही बाहर हो गए।
 
अब नर्स के लिए दिल्ली नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन, पचास-बेड वाले अस्पताल में एक साल काम, और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का अनुभव होना जरूरी है। आप सरकार ने यह ट्रेनिंग मोहल्ला क्लीनिक सहायकों को देने का वादा किया था लेकिन यह नहीं दी गई। फिलहाल मोहल्ला क्लीनिक के सहायक सिर्फ सैंपल लेने का काम करते हैं। 
 
आयुष्मान आरोग्य मंदिर में एमपीडब्ल्यू की जगह लैब टेक्नीशियन, ड्रेसर और अकाउंटेंट का पद होगा। एमपीडब्ल्यू रवि कुमार पश्चिम विहार के मोहल्ला क्लीनिक में मोनिका के साथ काम करते हैं। वह बताते हैं कि उन्हें कोविड महामारी के समय काम पर बुलाया गया। हर कोविड टेस्ट का 25 रूपए मिलना था। जिसका भुगतान आज तक नहीं किया गया है। 
 
रवि डीडब्ल्यू से कहते हैं, "मेरी तनख्वाह केवल बीस हजार रूपए है। मेरे पैसों पर घर चलता है। मैं उधार लेकर ही किराया और लोन की किस्तें भर पाता हूं। अब नौकरी फंदे पर लटकी है। मैं घर पर किसी को नहीं बता सकता कि क्लीनिक बंद होने जा रहा है। अब इतनी उम्र भी नहीं बची कि सरकारी नौकरी के लिए पढ़कर एग्जाम दे सकूं। कर्मचारी किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं। हम सालों से स्थायी नौकरी और पेंशन मांग रहे हैं। लेकिन सरकार नहीं सुनना चाहती।”
 
खाली कराए जा रहे मोहल्ला क्लीनिक का क्या होगा?
डीडब्ल्यू ने मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों से बात की। उन्होंने बताया कि कई जगहों पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर के निर्माण के लिए जगह तो ले ली गई, लेकिन वहां अभी काम शुरू नहीं हुआ है। साथ ही नए केंद्रों का प्रदर्शन कुछ समय तक देखा जाना चाहिए था। मोहल्ला क्लीनिक जमी-जमाई व्यवस्था थी। इसको बंद करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। 
 
बंद किए जाने वाले क्लीनिकों का सामान जैसे स्ट्रेचर, एसी और दवाएं, नई जगह शिफ्ट कर दी जाएंगी। प्रस्ताव है कि इन क्लीनिकों की जगह पुस्तकालय या अटल कैंटीन खोली जा सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिक बंद करने का संकेत पहले से दे रही थी। 
 
वसंत विहार के कुसुमपुर पहाड़ी इलाके में स्थित मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर चंद्र शेखर ने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले 5-6 महीनों से दवाएं नहीं आ रही हैं। पेनकिलर, पैरासिटामोल, जुकाम और कफ सिरप जैसी दवाएं, जिनकी इस सीजन में सबसे ज्यादा जरूरत है, हमारे क्लीनिक में नहीं हैं। इसी वजह से मरीजों की संख्या घटकर 80-90 रह गई है। यह पहले सौ से ज्यादा हुआ करती थी। जो मरीज आते हैं उन्हें दवा ना होने के कारण लौटाना पड़ता है।"
 
मोहल्ला क्लीनिक बंद होने पर क्या सोचते हैं मरीज
पूनम पाल अपनी दो साल की बेटी को लेकर कुसुमपुर पहाड़ी मोहल्ला क्लीनिक आई हैं। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। पूनम बताती हैं कि प्राइवेट क्लीनिक में डॉक्टर पांच सौ रूपए फीस लेते हैं। मोहल्ला क्लीनिक में नेबुलाइजर और मुफ्त दवाएं मिल जाती है। उनकी मां की डायबिटीज की दवा भी यहीं मिलती है। 
 
उनके साथ खड़ी रिया कुमारी घरों में काम करती हैं। वह कहती हैं, "मुझे आयुष्मान मंदिर के बारे में नहीं पता। मोहल्ला क्लीनिक काम के रास्ते में पड़ता है। इसलिए कभी भी डॉक्टर को दिखाने आ जाती हूं। अगर यह बंद हुआ तो गरीब लोग कहां जाएंगे?"
 
आप सरकार में मंत्री और पूर्व दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने डीडब्ल्यू से बात की। वह कहते हैं कि दिल्ली की बीजेपी सरकार ने अब तक कोई नया काम नहीं किया है। उन्होंने पुरानी डिस्पेंसरी और पॉलीक्लीनिक का बोर्ड बदलकर उस पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर लिख दिया। मोहल्ला क्लीनिक बंद करने की कोई जरुरत नहीं थी। कई लोगों की जिंदगी यहां मिलने वाली दवाई और मुफ्त इलाज से चल रही थी।
 
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने डीडब्ल्यू से कहा कि ये क्लीनिक सिर्फ आधे दिन ही खुले रहते थे। इनमें से ज्यादातर क्लीनिकों में डॉक्टर तक नहीं था। अधिकांश स्टाफ हेल्थकेयर के लिए प्रशिक्षित नहीं था। उनकी नियुक्तियां किसी प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत नहीं की गई थीं। सभी का संबंध आम आदमी पार्टी से था।
 
सत्ता और विपक्ष की इस खींचतान के बीच दिल्ली के वंचित समुदाय का स्वास्थ्य दांव पर है। फिलहाल दिल्ली की बीजेपी सरकार ने अगले साल अप्रैल तक कुल 1100 आरोग्य मंदिर खोलने का लक्ष्य रखा है। 
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