नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे मुख्य कार्यकारी राहुल जौहरी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बंटा नजर आ रहा है जिसके बाद अब इस मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र समिति गठित करने का फैसला किया गया है।
बीसीसीआई की ओर से गुरुवार देर रात इस बाबत बयान जारी किया गया। सीओए के अध्यक्ष विनोद राय ने सदस्यों के भिन्न विचारों को देखते हुए तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच समिति बनाने का फैसला किया है। हालांकि बोर्ड के जारी बयान से साफ है कि सीओए के सदस्य जौहरी पर कार्रवाई करने को लेकर बंटे हुए हैं।
सीओए की महिला सदस्य और पूर्व महिला क्रिकेट कप्तान डायना इडुलजी जौहरी पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर काफी सख्त हैं और उन्होंने जौहरी के करार को रद्द करने या उन्हें पद से इस्तीफा देने की सिफारिश की है।
बीसीसीआई ने बताया कि जौहरी पर आरोपों की जांच को लेकर बनाई गई तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश शर्मा करेंगे जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक पीसी शर्मा और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह पैनल में अन्य सदस्य होंगे।
तीन सदस्यीय जांच समिति अगले 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें देंगी। गौरतलब है कि जौहरी पर 12 अक्टूबर को ट्विटर पर एक अज्ञात महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। देश में महिला उत्पीड़न के खिलाफ चल रहे 'मी टू्' अभियान के दौरान इस महिला ने जौहरी पर यह आरोप लगाए थे लेकिन उसने खुद की पहचान को अब तक गुप्त रखा है। हालांकि पीड़िता ने यह भी बताया है कि यह मामला तब का है जब जौहरी बीसीसीआई से नहीं जुड़े थे।
सीओए ने इस मामले में जौहरी से लिखित जवाब मांगा था जिसमें सीईओ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। बीसीसीआई ने जारी बयान में कहा, जौहरी के खिलाफ 12 अक्टूबर को ट्विटर पर अज्ञात व्यक्ति ने शिकायत की थी जिसके बाद से ही जौहरी अवकाश पर हैं। हालांकि जौहरी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया है। लेकिन उन पर यौन उत्पीड़न के जो भी आरोप लगाए गए हैं उसपर समिति जांच करेगी क्योंकि वर्तमान में वह बीसीसीआई के कर्मचारी हैं।
हालांकि आधिकारिक बयान में यह भी बताया गया है कि जौहरी के खिलाफ स्वतंत्र समिति इसलिए गठित की गई है क्योंकि उन्हें लेकर सीओए के सदस्यों की राय बिल्कुल अलग है। बयान के अनुसार, सीओए ने जौहरी मामले पर 20 और 22 अक्टूबर को बैठक की थी जिसमें विनोद राय ने स्वतंत्र समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया ताकि कानून अपने हिसाब से काम कर सके और न्याय हो सके।
रिलीज के अनुसार इडुलजी का मानना है कि जौहरी पर यौन उत्पीड़न के संगीन आरोप लगे हैं इसलिए उन्हें बीसीसीआई जैसी संस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहिए और पद से या तो इस्तीफा देना चाहिए या बोर्ड को उनका करार रद्द कर देना चाहिए। लेकिन सीओए अध्यक्ष राय इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
राय का मानना है कि क्योंकि एक अज्ञात महिला ने जौहरी पर आरोप लगाए हैं तो इस मामले में पहले स्वतंत्र जांच होनी चाहिए उसके बाद ही जौहरी को लेकर फैसला हो। वह यह भी मानते हैं कि जो आरोप लगे हैं वह जौहरी के बीसीसीआई से जुड़ने और सीईओ बनने से बहुत वर्ष पुराने हैं ऐसे में जरूरी है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन कर जौहरी के साथ भी न्याय किया जाए।
बयान के अनुसार, इसी तरह के अन्य मामलों में जिस व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगे थे उन्हें जांच समिति के सामने अपनी बात रखने का मौका दिया गया गया था ताकि सभी सबूतों की जांच करने के बाद कोई फैसला लिया जा सके। हालांकि इडुलजी का मानना है कि इस तरह की जांच बैठाने की जरूरत नहीं है क्योंकि जौहरी को पद से हटाने के लिए फिलहाल पर्याप्त कारण मौजूद है।
सीओए महिला सदस्य ने अध्यक्ष राय को बताया है कि यदि बीसीसीआई जौहरी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाता है और उन्हें बोर्ड में अपने पद पर बनाए रखा जाता है तो वह इस मामले में आगे के कदम को लेकर सर्वोंच्च न्यायलय के वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम से विचार विमर्श करेंगी।
रिलीज के अनुसार, इस मामले में कानूनी सलाह लेने और संबंधित पक्षों से बात करने के बाद स्वतंत्र जांच समिति के प्रस्तावित सदस्यों की सहमति के लिए संपर्क किया गया था। जौहरी को गत सप्ताह सिंगापुर में हुई आईसीसी की कार्यकारी समिति की बैठक में भी हिस्सा लेने से मना कर दिया गया था। उन्हें स्वतंत्र समिति की जांच और रिपोर्ट आने तक बीसीसीआई से दूर ही रखा जाएगा।