शनि यदि है दसवें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 6 कार्य और जानिए भविष्य
मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च, मेष में नीच का होता है। लाल किताब में आठवें भाव में शनि बली और ग्यारहवां भाव पक्का घर है। सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। लेकिन यहां दसवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : यहां स्थित शनि को कोरा कागज समझों अर्थात तुमने उस पर जैसा लिख दिया वैसा जीवन हो जाएगा। किस्तम को जगाने वाला, लेकिन शर्त यह की शनि के मंदे कार्य न करें। यह शनि का अपना खुद का घर है, जहां वह अच्छे परिणाम देता है। जातक जब तक अपना खुद का घर नहीं बनाएगा तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा। जातक महत्वाकांक्षी होगा। जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए। तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पाएगा।
5 सावधानियां :
1. शराब, मांस और अंडे से परहेज करें।
2. ब्याज का धंधा करना अच्छा नहीं है।
3. नौकरी या व्यापार में लापरवाही ना बरतें।
4. जातक अपने पिता का सम्मान करें। माता-पिता की सेहत का हमेशा ध्यान रखें।
5. दूसरों का भला करने के लिए 10 बार सोंचे। धर्मात्म बनने से काम नहीं चलेगा कर्म सुधारना होंगे।
क्या करें :
1. प्रतिदिन मंदिर जाएं।
2. गुरुवार या एकाकशी का व्रत करें।
3. दस अंधे लोगों को भोजन कराएं।
4. नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करें।
5. पांच शनिवार को छाया दान करें।
6. दांत साफ रखें। नीम या कीकर से दातून करें।