शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. लाल किताब
  4. Rahu grah in 11th house lal kitab
Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Modified: मंगलवार, 30 जून 2020 (10:53 IST)

राहु यदि है 11वें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

राहु यदि है 11वें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य - Rahu grah in 11th house lal kitab
कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के ग्यारहवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
 
कैसा होगा जातक : धनवान घर में जन्म लेने वाला ऐसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ दौलत घटती जाती है। राहु अशुभ है तो जातक पितृ द्रोही होता है। ग्यारहवां घर शनि और बृहस्पति से प्रभावित होता है अत: जब तक जातक के पिता जीवित हैं तब तक जातक अमीर होगा। जातक के दोस्त अच्छे नहीं होंगे। उसे मतलबी लोगों से पैसा मिलेगा।
 
यदि राहु के साथ नीच का मंगल ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के जन्म के समय घर में सारी चीजें होंगी लेकिन धीरे धीरे करके सारी चीजें बरबाद होने लगेंगी। दूसरे भाव में स्थित ग्रह शत्रु की तरह कार्य करेंगे। कान, रीढ़, मूत्र से संबंधित समस्याएं या रोग हो सकते हैं। केतु से संबंधित व्यापार में नुकसान हो सकता है।
 
5 सावधानियां :
1. फिजूलखर्जी पर लगाम लगाएं।
2. शनि के मंदे कार्य न करें।
3. नीलम, हाथीदांत या हाथी का खिलौने से दूर रहें।
4. पिता से संबंध अच्छे रखें।
5. विद्युत उपकरण उपहार के रूप में न लें।
 
क्या करें : 
1. बृहस्पति को शुभ बनाएं।
2. केसर का तिलक लगाएं।
3. रोज मंदिर जाएं।
4. पिता की मृत्यु के बाद जातक को गले में सोना पहनना चाहिए। 
5. यदि बृहस्पति या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हों तो लोहा पहनें और पीने के पानी के लिए चांदी का गिलास का प्रयोग करें।
ये भी पढ़ें
ॐ जय जगदीश हरे : देवशयनी एकादशी पर इस आरती से करें श्रीविष्णु को प्रसन्न